डॉ. नागेंद्र सिंह को MGKVP में गृहपति की कमान: कुलसचिव ने अनुशासन के नए वाहक की सौंपी बागडोर, पढ़िए पत्रकार से प्रोफेसर तक की कहानी

Dr. Nagendra Singh takes over as Home Secretary at MGKVP: वाराणसी की पवित्र धरती, जहां हर घाट पर गंगा की लहरें अध्यात्म का स्वर गुनगुनाती हैं और जहां हर गली में ज्ञान की परंपरा सांस लेती है, वहां महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने एक और ऐतिहासिक अध्याय रचा है। यह अवसर न केवल एक नियुक्ति का है, बल्कि उस विश्वास, संवेदना और नेतृत्व भावना की पुष्टि भी है जिसने इस संस्थान को दशकों से भारतीय शिक्षा के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
विश्वविद्यालय के महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक, डॉ. नागेन्द्र कुमार सिंह को विद्यापीठ का मुख्य गृहपति (Chief Warden) नियुक्त किया गया है—एक ऐसी जिम्मेदारी जिसमें न केवल अनुशासन की बागडोर होगी, बल्कि विद्यार्थियों के आत्मिक विकास और संवाद का भी दायरा शामिल है।

शिक्षा से नेतृत्व तक : एक शिक्षक का सफर
Dr. Nagendra Singh takes over as Home Secretary at MGKVP: डॉ. नागेन्द्र कुमार सिंह की कहानी, एक साधारण शिक्षक के असाधारण सफर की कथा है—जहां शिक्षा केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज निर्माण का साधन है। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से पत्रकारिता में एम.जे.एम.सी. और पीएच.डी. की उपाधि ली।
5 वर्षों तक दैनिक जागरण में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने समाज और खबर के बीच उस धूसर रेखा को नजदीक से समझा। यह अनुभव आगे चलकर उन्हें केवल पत्रकारिता का शिक्षक नहीं, बल्कि जीवन और मूल्य शिक्षा का मार्गदर्शक बना गया।
Dr. Nagendra Singh takes over as Home Secretary at MGKVP: उनकी कक्षाओं में पत्रकारिता सिर्फ रिपोर्टिंग या लेखन की कला नहीं, बल्कि सच को देखने की दृष्टि है। उनके छात्र उन्हें “टीचर” नहीं, बल्कि “प्रेरक व्यक्तित्व” कहते हैं—जो सिखाता है कि खबर शब्दों से नहीं, नीयत से बनती है। यही अनुभव आज उन्हें विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ढांचे में संवाद और संवेदना के बीच की कड़ी बना रहा है।

नई भूमिका, नई जिम्मेदारी
Dr. Nagendra Singh takes over as Home Secretary at MGKVP: अब मुख्य गृहपति के रूप में डॉ. सिंह काशी विद्यापीठ के हज़ारों विद्यार्थियों के आवास, अनुशासन, और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी संभालेंगे। यह जिम्मेदारी अधिक प्रशासनिक जरूर है, लेकिन उससे भी अधिक मानवीय—क्योंकि यह विद्यार्थियों की समस्याओं, उम्मीदों और उनके मनोबल से जुड़ी है।
Dr. Nagendra Singh takes over as Home Secretary at MGKVP: कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी के आदेश और कुलसचिव डॉ. सुनीता पाण्डेय के निर्देश पर उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन को भरोसा है कि उनकी नेतृत्व क्षमता और संवादशील दृष्टिकोण से छात्रावासों में एक नया अनुशासन, सहयोग और आत्मीयता का वातावरण बनेगा।
Dr. Nagendra Singh takes over as Home Secretary at MGKVP: डॉ. सिंह ने इस दायित्व को एक ‘सेवा’ के रूप में स्वीकार किया है। उनका मानना है कि विद्यार्थी किसी भी विश्वविद्यालय की आत्मा होते हैं। उनके आसपास सकारात्मकता, सुरक्षा और सम्मान का वातावरण बनाना ही शिक्षा को सार्थक करता है।” उनके इस विचार में गुरु की करुणा और प्रशासक की दृढ़ता, दोनों झलकती हैं।

बनारस की मिट्टी से उभरा एक नया नेतृत्व
Dr. Nagendra Singh takes over as Home Secretary at MGKVP: बनारस, जहां हर श्वास में परंपरा और परिवर्तन साथ बहते हैं—उसी धरती ने डॉ. नागेन्द्र को गढ़ा है। उन्होंने अमरकंटक, मध्यप्रदेश स्थित IGNTU में विभागाध्यक्ष और सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य करते हुए शैक्षणिक नेतृत्व का अनुभव अर्जित किया।
जब वे वापस बनारस लौटे और उसी विश्वविद्यालय में निदेशक बने, जहां कभी विद्यार्थी थे, तब यह केवल प्रोफेशनल उपलब्धि नहीं थी—यह एक भावनात्मक वापसी थी। जहां कभी गुरुजनों से शिक्षा ली थी, वहीं अब उन्हीं गलियारों में वे अगली पीढ़ी के ‘संस्कार’ बुन रहे हैं।
पत्रकारिता शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक प्रयोग, लैब-आधारित प्रशिक्षण और अनुसंधान-प्रधान संरचना की स्थापना में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सिद्धांतों के अनुरूप बदलाव किए, जिससे पत्रकारिता विभाग आज UP के अग्रणी संस्थानों में शामिल है।

उम्मीदों की रोशनी
डॉ. नागेन्द्र कुमार सिंह की यह नियुक्ति सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं—यह विश्वविद्यालय के चरित्र का विस्तार है। यह उस परंपरा का सम्मान है जिसने बनारस को ‘शिक्षा की नगरी’ बनाया। सहयोगी प्राध्यापक हों या छात्र, सब कहते हैं कि उनका नेतृत्व संवेदनशील है और उनकी सोच दूरदर्शी।
विद्यार्थी अब उम्मीद करते हैं कि उनके होस्टल सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि सीखने और बढ़ने का केंद्र बनेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए यह निर्णय उस सांस्कृतिक अनुशासन को मजबूत करेगा, जो महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की पहचान रहा है।
काशी विद्यापीठ अब एक नया अध्याय लिख रहा है—जहां अनुभव, शिक्षा और आदर्श का संगम है। डॉ. नागेन्द्र कुमार सिंह उस पुल की तरह हैं जो गुरुकुल की आत्मा को आधुनिक प्रबंधन की व्यावहारिकता से जोड़ता है। यह कहानी बनारस की परंपरा की है, लेकिन इसकी प्रेरणा पूरे देश के उन शिक्षकों के लिए है जो अपने कर्म से बताना चाहते हैं कि शिक्षक कभी केवल पढ़ाने वाला नहीं होता—वह संस्कार गढ़ने वाला होता है।
अब पढ़िए कौन हैं नागेंद्र कुमार सिंह




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