गरियाबंद में दशहरा पर आफत की बारिश: अमाड़ नदी में खाट पर बंधी प्रसव पीड़िता का Video वायरल, जगह-जगह बिजली के खंभे गिरे

गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ का गरियाबंद जिला इस साल दशहरा पर्व पर आपदा जैसी स्थिति से जूझता रहा। जिस दिन लोग उत्सव और जुलूस में शामिल होने की तैयारी कर रहे थे, उसी दिन आसमान से आफत की बारिश टूट पड़ी। जिले के 7 तहसीलों में 471 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जिससे पूरे इलाके का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। नदी और नाले उफान पर आ गए और घरों से लेकर सड़कों तक सबकुछ पानी-पानी नजर आने लगा।
दशहरा पर टूटा बारिश का कहर
सबसे ज्यादा बरसात अमलीपदर तहसील में दर्ज की गई जहां 101 मिमी पानी बरसा। इसके अलावा फिंगेश्वर में 95.8 मिमी और मैनपुर में 90.4 मिमी बारिश हुई। लगातार हुई मूसलाधार बरसात ने दशहरा जैसे बड़े पर्व का पूरा उमंग फीका कर दिया। जगह-जगह पानी भरने से दशहरा के जुलूस और आयोजनों पर असर पड़ा।
प्रशासन ने हालात को देखते हुए अलर्ट मोड अपना लिया है। देवभोग तहसील के बेलाट नाला पर नाले के उफान को देखते हुए स्थानीय तहसीलदार अजय चंद्रवंशी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और तुरंत रस्सी से बेरिकेडिंग कराई ताकि कोई व्यक्ति उस रास्ते से आने-जाने की कोशिश न करे।

वायरल हुआ अमाड़ नदी का वीडियो
गरियाबंद जिले की सबसे ज्यादा चर्चा इस वक्त अमाड़ नदी के एक वीडियो की हो रही है, जिसमें लोगों को भारी जोखिम उठाकर 24 वर्षीय गर्भवती महिला को खाट पर बांध कर नदी पार कराते देखा गया। लगातार बारिश से मैनपुर तहसील क्षेत्र के ज्यादातर बरसाती नाले और नदियां उफान पर हैं। इसी बीच देवझर अमली गांव की रहने वाली पिंकी नेताम को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। घरवाले उसे तुरंत अस्पताल ले जाने की कोशिश में लगे, लेकिन चारों तरफ पानी का सैलाब होने से रास्ते कट गए थे।
परिजनों के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी
उफनती अमाड़ नदी को पार करना। ऐसे में ग्रामीणों ने मिलकर पिंकी को खाट (चारपाई) पर लिटाया और सावधानी बरतते हुए उसे मजबूती से रस्सियों से बांध दिया ताकि पानी के तेज बहाव में गिरने का खतरा न रहे। इसके बाद कई ग्रामीणों ने नदी के तेज प्रवाह में उतरकर खाट को अपने कंधों पर उठाया और धीरे-धीरे नदी पार कराई।
यह दृश्य इतना भावुक और रोमांचक था कि मौके पर मौजूद किसी ने वीडियो बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो बन चुका है। इसे देखने के बाद लोग ग्रामीणों की बहादुरी और जुगाड़ की तारीफ कर रहे हैं, तो वहीं कई लोग सिस्टम की खामियों पर भी सवाल उठा रहे हैं – आखिर 2025 में भी क्यों गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने के लिए यह हालात झेलने पड़ रहे हैं।

प्रशासन अलर्ट पर, लेकिन चुनौतियां बरकरार
गरियाबंद में बाढ़ जैसी स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने कहा है कि रेस्क्यू टीम्स पूरी तरह सतर्क हैं और गांव-गांव पर नज़र रखी जा रही है। मगर लगातार हो रही बारिश (Rain in Gariyaband) और नदियों के बढ़ते जलस्तर के कारण लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
ग्रामीण इलाकों में कई जगह संपर्क मार्ग कट गए हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे और जरूरत का सामान पहुंचाना भी भारी चुनौती बन गया है। वहीं, किसान अपने खेतों में लगी फसल बर्बाद होने को लेकर चिंतित हैं।

त्योहार की खुशी पर प्राकृतिक आपदा हावी
गरियाबंद में दशहरा त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार का नजारा अलग था। जगह-जगह पानी का सैलाब, उफनते नदी-नाले, और प्रशासन की रेस्क्यू तैयारी ही चर्चा का विषय रहे। लोग कह रहे हैं कि दशहरा पर रावण दहन की जगह इस बार बाढ़ की मार ही सुर्खियाँ बनी।
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बदलते मौसम की वजह से गरियाबंद और आसपास के इलाकों में हेवी रेनफॉल (Heavy Rainfall in Chhattisgarh) जैसी घटनाएं अब लगातार बढ़ेंगी। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीण और पिछड़े इलाकों को उठाना पड़ता है।
गरियाबंद की बाढ़ और अमाड़ नदी का वायरल वीडियो न केवल एक दर्दनाक स्थिति को दिखाता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि आपदा प्रबंधन और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को कितना और मजबूत करने की जरूरत है।

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