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गरियाबंद में चल रही खुली लूट ? बिल कहीं का और पेमेंट किसी को, न गोदाम और न दुकान बना ट्रेडर्स, करप्शन पर CEO साहब की चुप्पी ?

गिरीश जगत की रिपोर्ट। गरियाबंद। छत्तीसगढ़

गरियाबंद के देवभोग के ग्राम विकास मद (15वें वित्त) से जारी फंड में भारी गड़बड़ी का मामला सामने आया है। भतराबहली पंचायत के नाम पर जारी बिल का भुगतान बरकानी पंचायत द्वारा किया गया है। यही नहीं, इस बिल को मुहर लगाकर प्रिया सॉफ्ट में अपलोड भी कर दिया गया, जिससे यह स्पष्ट है कि मामला सिर्फ लापरवाही का नहीं, बल्कि एक सोची-समझी वित्तीय हेराफेरी का है।

जय ट्रेडर्स नामक फर्म ने 24 जून को पचरी निर्माण के लिए ₹30,000 का बिल भतराबहली पंचायत के नाम से जारी किया, लेकिन उसका भुगतान बरकानी पंचायत ने कर दिया। सोशल मीडिया पर बिल वायरल होने के बाद पूरे पंचायत तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

सरपंच पवन यादव ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार करते हुए दावा किया है कि “पचरी निर्माण बरकानी में हुआ है, इसलिए भुगतान भी वहीं से हुआ।” लेकिन सवाल उठता है — फिर बिल भतराबहली के नाम क्यों बना?

‘बिना गोदाम-दुकान वाला’ ट्रेडर्स, लाखों की लेन-देन – जांच में खुली पोल

वायरल बिल की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है — जिस जय ट्रेडर्स फर्म के नाम से बिल जारी किया गया, वह बरकानी गांव के एक कमरे से संचालित है, जहां न कोई गोदाम है, न दुकान, न ही सामग्री।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पंचायत सचिव जयलाल नागेश इसी गांव का रहने वाला है और फर्म के संचालक उसके रिश्तेदार हैं। सचिव का मूल प्रभार भतराबहली है, लेकिन उसने अपने गृहग्राम बरकानी का अतिरिक्त प्रभार लेकर ‘घोटाले का तंत्र’ खड़ा कर दिया है।

गांव में ‘गोटिया’ कहलाने वाला यह सचिव परिवार इतनी पकड़ रखता है कि ग्रामीण खुलकर कुछ कहने से डरते हैं।

काम कुछ, भुगतान ज्यादा – अन्य कार्यों में भी मनमानी की आशंका

नाम न छापने की शर्त पर कुछ जागरूक ग्रामीणों ने बताया कि गौठान मार्ग पर मामूली मुरमिकरन कार्य कराया गया, लेकिन बिल जय ट्रेडर्स के नाम जारी हुआ।

हाथीपारा नाली निर्माण, नलकूप सोखता, फर्नीचर खरीद, और वायरिंग जैसे कार्यों में भी भुगतान ज्यादा और कार्य कम का आरोप है। यानी सिर्फ एक बिल नहीं, पूरा पंचायत सिस्टम संदेह के घेरे में है।

जनपद CEO ने पल्ला झाड़ा, कहा – शिकायत मिले तो होगी जांच

जब मामले में जनपद सीईओ भारतीस भगत से पूछा गया, तो उन्होंने कहा,”अभी तक कोई शिकायत मिली नहीं है। अगर शिकायत आती है तो जांच कराएंगे, नहीं तो व्यय के ऑडिट में गड़बड़ी पकड़ी जाएगी और पंचायत से वसूली की जाएगी।”

लेकिन सवाल ये है — जब गड़बड़ी की परतें खुद-ब-खुद खुल रही हैं, तब शिकायत का इंतजार क्यों?

सवालों के घेरे में पंचायत की कार्यप्रणाली

एक पंचायत के नाम पर बना बिल, दूसरी पंचायत से भुगतान!
बिना गोदाम की फर्म को लाखों का काम!
सचिव के रिश्तेदार के नाम फर्म और उसी गांव का प्रभार!
ग्रामीणों में भय का माहौल, जनप्रतिनिधि मौन!
क्या यह सिर्फ लापरवाही है, या योजनाबद्ध भ्रष्टाचार?
अब देखना है कि प्रशासन इस पर कब तक चुप्पी साधे रहता है।

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