
गिरीश जगत की रिपोर्ट। गरियाबंद। छत्तीसगढ़
गरियाबंद। अमलीपदर तहसील के घुमरा पदर में रविवार देर शाम एक अनोखा विवाद सामने आया। सालभर पहले सड़क हादसे में घायल हुए ट्रैक्टर चालक जितेंद्र नागेश ने राशन से भरे पीडीएस ट्रक को रोक लिया। आरोप है कि हादसे के इलाज में लगे 83 हजार रुपए की भरपाई ट्रांसपोर्टर ने नहीं की। इसी कारण जितेंद्र ने ट्रक को बंधक बना लिया और साफ कह दिया— “जब तक लागत नहीं लौटाओगे, ट्रक नहीं जाने दूंगा।”

कैसे हुआ विवाद – हादसे से ट्रक रोकने तक की कहानी
20 सितंबर 2024 को होरा ट्रांसपोर्टर का ट्रक राशन खाली कराने के बाद आगे बढ़ रहा था, लेकिन खराब सड़क की वजह से फंस गया। उसे निकालने के लिए स्थानीय ट्रैक्टर चालक जितेंद्र नागेश की मदद ली गई। जितेंद्र अपने ट्रैक्टर से ट्रक को धक्का दे रहा था, तभी अचानक ट्रक पीछे आ गया और जोरदार टक्कर से ट्रैक्टर पलट गया। हादसे में चालक घनश्याम दब गया और गंभीर रूप से घायल हुआ।
घायल जितेंद्र को रायपुर रेफर किया गया, जहां उसका लंबा इलाज चला। इस दुर्घटना में उसका बायां कान कट गया, सिर पर 10 से ज्यादा टांके लगे और एक महीने तक वह जिंदगी और मौत से जूझता रहा।

पहले भी रोका गया था ट्रक
हादसे के बाद पूरा गांव और समाज आक्रोश में आ गया था। ग्रामीणों ने 20 सितंबर 2024 से ही राशन ट्रक को बंधक बना लिया था। तब प्रशासन की पहल पर कई दौर की बैठकों के बाद समझौता हुआ। ट्रांसपोर्टर की ओर से लिखित स्टाम्प पेपर पर करार हुआ कि इलाज में जितना भी खर्च हुआ, उसकी भरपाई की जाएगी। इसके बाद ही ट्रक छोड़ा गया था।

83 हजार का विवाद, पत्नी ने बेचे जेवर
जितेंद्र नागेश ने बताया कि हादसे में इलाज पर ढाई लाख रुपए से ज्यादा खर्च हुए। इसमें से आयुष्मान कार्ड और सरकारी योजना से एक हिस्सा कवर हुआ, लेकिन 83 हजार रुपए घर से खर्च करना पड़ा। यह रकम जुटाने के लिए पत्नी को अपने जेवर तक बेचने पड़े। जितेंद्र का आरोप है कि इस राशि की कई बार मांग करने के बावजूद ट्रांसपोर्टर एक साल से उन्हें टाल रहा है।

जितेंद्र का साफ कहना है—
“तय करार के मुताबिक 83 हजार की भरपाई नहीं की गई। जब तक ये रकम नहीं मिलती, मैं ट्रक को नहीं जाने दूंगा।”
ट्रांसपोर्टर का पक्ष
वहीं, होरा ट्रांसपोर्टर के प्रतिनिधि जज कुमार सिन्हा का कहना है कि हादसे का ज्यादातर खर्च आयुष्मान कार्ड से उठा लिया गया था। बाकी खर्च की भरपाई भी की गई थी। उन्होंने कहा कि ट्रक बंधक बनाए जाने की सूचना विभाग को दे दी गई है।
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