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गरियाबंद में रेत माफियाओं को क्लीनचिट: हाइवा पर कार्रवाई क्यों, परिवहन संघ बोला- अफसरों की सेटिंग से चल रहा खेल

गरियाबंद से गिरीश जगत की रिपोर्ट

Chhattisgarh Gariaband Sand Excavation Hiva Transport Welfare Association: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में अवैध रेत खनन का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा। हाइवा परिवहन कल्याण संघ ने आरोप लगाया है कि खनन माफिया वैध डंप से रेत लोड कराने का झांसा देकर वाहनों को बुलाते हैं और फिर उन्हें नदी घाटों से भरवाते हैं। सवाल यह है कि आखिर किनके इशारे पर गरियाबंद और धमतरी में बंद पड़ी खदानें धड़ल्ले से चल रही हैं।

संघ अध्यक्ष ने जारी किया वीडियो

प्रदेश हाइवा परिवहन कल्याण संघ के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने वीडियो जारी कर खनन माफियाओं की पोल खोली। उन्होंने बताया कि राजिम में कुछ लोगों ने 4 हाइवा मालिकों को डंप से रेत लोड करने का झांसा दिया। गुरुवार रात उन्हें बिरोड़ा रेत घाट भेजकर चेन माउंटेन से अवैध रूप से रेत लोड कराया गया। जबकि सरकारी रिकॉर्ड में यह खदान बंद थी।

अग्रवाल ने आरोप लगाया कि अफसरों से सेटिंग का दावा कर माफियाओं ने वाहन भरवाए, लेकिन जैसे ही वाहन राजिम पहुंचे, माइनिंग अफसरों ने उन्हीं हाइवा पर कार्रवाई कर दी।

कुरुसकेरा और बिरोड़ा में लाखों की अवैध कमाई

पैरी व महानदी नदी तट पर कुरुसकेरा घाट से रोजाना 60–70 हाइवा रेत की निकासी हो रही है। आरोप है कि इन खदानों के पीछे सत्ता से जुड़े नेताओं का संरक्षण है। बिरोड़ा घाट पर भी राजनीतिक रसूखदारों का दबदबा है। रोजाना लाखों की अवैध कमाई इस सिंडिकेट से हो रही है।

सवाल उठे: बंद खदानों में डंप की परमिट कैसे?

जिले में दर्जनभर रेत घाट हैं, लेकिन किसी को वैध खनन की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके डंप स्थलों पर रेत का स्टॉक दिखाकर रॉयल्टी पर्ची काटी जा रही है। माइनिंग विभाग के मुताबिक सिर्फ सुरसा बांधा, पांडुका और लचकेरा में ही डंप की अनुमति है। ऐसे में सवाल उठता है कि खदान बंद होने के बाद डंप स्टॉक आखिर आया कहां से और उसकी जांच क्यों नहीं हुई?

माइनिंग अधिकारी का बयान

जिला माइनिंग अधिकारी रोहित साहू ने कहा कि फिलहाल मैं कोर्ट में हूं, पता करवाता हूं कि अवैध खनन कहां हो रहा है। अभी सिर्फ सुरसा बांधा, पांडुका और लचकेरा में डंप की अनुमति है। देवभोग की अवधि खत्म हो चुकी है। विस्तार से जानकारी बाद में दूंगा।

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