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छत्तीसगढ़ को मिलेंगे 3 नए मंत्री: इसमें 2 संगठन, एक RSS की पसंद का बनेगा, संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर भी लग सकती है मुहर, स्क्रिप्ट रेडी

3 new ministers in the cabinet before 21 August: छत्तीसगढ़ में साय मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है। संगठन के पदाधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि 21 अगस्त से पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, सीएम साय को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मंत्रिमंडल विस्तार के लिए हरी झंडी मिल गई है।

बताया जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व 14 सदस्यीय मंत्रिमंडल बनाने पर सहमत हो गया है। आने वाले दिनों में साय मंत्रिमंडल में दो संगठन और आरएसएस की पसंद के एक मंत्री को शामिल किया जाएगा। वहीं, पुराने मंत्रियों की सीटें सुरक्षित रहेंगी, उनके विभागों में कोई बदलाव नहीं होगा।

दरअसल, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 21 अगस्त को जापान और दक्षिण कोरिया के दौरे पर रवाना होंगे। ऐसे में अनुमान है कि अगले पांच दिनों में शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

कैबिनेट में तीन नए चेहरे जुड़ेंगे

बीजेपी संगठन के पदाधिकारियों के अनुसार, संगठन विस्तार के दौरान तीन नेताओं को मंत्री पद की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसमें सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को प्राथमिकता दी जाएगी।

अनुमान है कि एक मंत्री सामान्य वर्ग से, दूसरा अनुसूचित जनजाति से और तीसरा पिछड़ा वर्ग से चुना जा सकता है। इसके साथ ही बिलासपुर, सरगुजा और दुर्ग संभाग से एक-एक मंत्री शामिल किए जाने की संभावना जताई जा रही है।

इन विधायकों में लगी मंत्री बनने की रेस

बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल, कुरुद विधायक अजय चंद्राकर, दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव, अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल और आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब का नाम आगे चल रहा है। इनमें से 3 लोगों को साय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।

पुराने मंत्रियों की कुर्सी सुरक्षित

बीजेपी संगठन के अनुसार, नए मंत्रियों की कैबिनेट में एंट्री होगी, लेकिन मौजूदा मंत्रियों के विभाग या पद में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसका मतलब है कि वर्तमान टीम से किसी को बाहर नहीं किया जाएगा।

हालांकि पिछले कुछ समय से राजनीतिक हलकों में लक्ष्मी राजवाड़े, दयालदास बघेल और टंकराम वर्मा को लेकर अटकलें चल रही थीं, लेकिन अब ऐसे संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं।

संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर भी लग सकती है मुहर

अगस्त महीने में ही बीजेपी संसदीय सचिव और रिक्त निगम मंडल के अध्यक्षों की भी नियुक्त कर सकती है। इस नियुक्ति में सीनियर और जूनियर का औसत देखने को मिलेगा। बता दें कि, संसदीय सचिव नियुक्त करने की परंपरा भाजपा शासनकाल में डॉ. रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते शुरू हुई थी।

उस समय कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया था और इसे ‘मिनी कैबिनेट’ बताते हुए असंवैधानिक करार दिया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल सरकार ने भी इस परंपरा को बनाए रखा और 13 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया। अब विष्णुदेव साय की भाजपा सरकार भी इन पदों को भरने की तैयारी में है।

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