
गिरीश जगत की रिपोर्ट, गरियाबंद
गरियाबंद (छत्तीसगढ़) — जिले के मैनपुर जनपद अंतर्गत आरईएस विभाग के एसडीओ उत्तम कुमार चौधरी पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। पहले तो पंचायतों से निर्माण कार्यों के सत्यापन के नाम पर “मोटी रकम” वसूलने के आरोप सामने आए थे, और अब नए आरोपों में विकास कार्यों के लिए स्टीमेट बनाने में भेदभाव और ठेकेदारों को फायदा पहुँचाने की बात सामने आई है।
पंचायत प्रतिनिधि दो सालों से शिकायतें कर रहे हैं, पर हर बार कार्रवाई की शुरुआत तो होती है लेकिन जिला कार्यालय की फाइलों में मामला ‘ठंडे बस्ते’ में चला जाता है। इस बार मैनपुर के सरपंच संघ ने आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

“काम के बदले पैसा, ठेकेदारों को प्राथमिकता” — गंभीर आरोप
मैनपुर सरपंच संघ ने कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में आरोप लगाया है कि एसडीओ चौधरी के यहां से बिना लेन-देन के कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती। सरपंचों का कहना है कि जो विकास कार्य पंचायत स्तर पर सीधे कराना चाहते हैं, उनकी फाइलें लटकाई जाती हैं, साइट निरीक्षण नहीं होता, स्टीमेट में देरी की जाती है, और कभी-कभी कार्यों को तकनीकी अड़चन बता कर रोक दिया जाता है।
वहीं, जिन कार्यों में ठेकेदारों की सीधी पकड़ होती है, उन्हें प्राथमिकता से पास किया जाता है। ऐसे में पारदर्शिता और समानता की उम्मीद करना बेमानी साबित हो रहा है।
पहले भी लगे थे कमीशनखोरी के आरोप, पर कार्रवाई नहीं
सरपंच संघ के अध्यक्ष हलमंत धुर्वा ने साफ कहा है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। पिछले पंचवर्षीय में भी एसडीओ चौधरी पर कमीशनखोरी के आरोप लगे थे, लेकिन शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
इस बार जब दुबारा आरोप लगे, तो सरपंच संघ ने बैठक कर निर्णय लिया कि यदि एसडीओ को जल्द नहीं हटाया गया, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
बड़े जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन, पर ‘सेटिंग’ आ रही आड़े
चौंकाने वाली बात यह है कि केवल सरपंच ही नहीं, बल्कि जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य और यहां तक कि जिला पंचायत अध्यक्ष भी चौधरी को हटाने की मांग कर चुके हैं।
जुलाई में जिला पंचायत अध्यक्ष गौरीशंकर कश्यप ने कलेक्टर को पत्र लिखकर चौधरी को हटाने की मांग की थी। जनपद अध्यक्ष मोहन नेताम, उपाध्यक्ष राजकुमारी राजपूत, और सदस्यों लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम ने भी स्पष्ट रूप से अपनी नाराजगी जताई है।
इसके बावजूद, किस ‘ऊंची सेटिंग’ के चलते चौधरी पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है, यह बड़ा सवाल बन गया है।
अब आर-पार की लड़ाई की चेतावनी
लगातार अनदेखी से नाराज़ सरपंच संघ अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है। संघ के अध्यक्ष धुर्वा का कहना है कि यदि जल्द से जल्द एसडीओ को नहीं हटाया गया, तो पूरे जनपद में आंदोलन छेड़ा जाएगा।
“हम विकास रोकना नहीं चाहते, पर भ्रष्टाचार के आगे झुकेंगे भी नहीं। अगर प्रशासन अंधा और बहरा बना रहा, तो सड़क पर उतरना हमारी मजबूरी होगी।”
प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में
जनता और जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट नाराज़गी के बावजूद जिला प्रशासन की चुप्पी न केवल असहज करने वाली है, बल्कि संदेह भी पैदा करती है। जब दर्जनों पंचायत प्रतिनिधि, जनपद अध्यक्ष और जिला स्तर के नेता किसी अधिकारी के खिलाफ लगातार शिकायत कर रहे हैं, तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
क्या प्रशासन किसी दबाव में काम कर रहा है? या फिर ‘ऊंची पहुंच’ वाले अधिकारियों के लिए अलग नियम हैं?
निष्कर्ष: मैनपुर के हालात साफ़ संकेत दे रहे हैं कि जमीनी स्तर के जनप्रतिनिधियों की आवाज़ को दबाने का प्रयास हो रहा है। यदि जल्द ही निष्पक्ष जांच और कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की साख पर भी सवाल बन जाएगा।