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जमीन पर गरियाबंद SP, दिल में बचपना: नक्सल प्रभावित पहाड़ियों में उम्मीद का सफर, 12KM पैदल चले कप्तान, खाने-पीने और बच्चों के साथ खेलने की कहानी

गिरीश जगत की रिपोर्ट। गरियाबंद। छत्तीसगढ़
घने जंगल, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्ते और बरसों से नक्सलियों के साये में जीता एक गांव—भालूडीगी। यह नाम कभी जिले के सबसे संवेदनशील और खतरनाक इलाकों में गिना जाता था। लेकिन रविवार की सुबह यहां का माहौल अलग था। गांव की गलियों में पुलिस वर्दी की आहट थी, पर यह डराने नहीं, बल्कि भरोसा जगाने आई थी।

जिला पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे—गाड़ी से नहीं, बल्कि पैदल। और वह भी 12 किलोमीटर लंबा कठिन पहाड़ी सफर तय करके। यह सफर केवल दूरी नापने का नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने का था।


7 घंटे का सफर, दो घंटे का संवाद

रविवार को एसपी राखेचा अपनी टीम के साथ मैंनपुर थाना क्षेत्र के कुल्हाड़ी घाट तक वाहन से पहुंचे। इसके बाद शुरू हुआ पैदल सफर—चढ़ाई, पथरीले रास्ते, फिसलन और हर मोड़ पर खतरे की आहट। करीब 7 घंटे में वे भालूडीगी पहुंचे।

गांव में पहुंचकर एसपी ने न केवल ग्रामीणों की बातें सुनीं, बल्कि दो घंटे उनके साथ जमीन पर बैठकर भोजन भी किया। यह दृश्य ग्रामीणों के लिए नया था—पुलिस वर्दी में बैठा एक अधिकारी, उनके जैसा ही खाना खाते हुए उनकी समस्याएं सुन रहा था।


सिविक एक्शन में पहली बार ऐसी पहल

यह जिला पुलिस का सिविक एक्शन कार्यक्रम था, लेकिन इसमें एक खास बात थी—पहली बार खुद जिले के एसपी ने इतनी दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पैदल जाकर लोगों से मुलाकात की। टीम अपने साथ स्कूली बच्चों के बैग, साड़ियां, छाते, टॉर्च और अन्य जरूरी सामान लाई थी, जिन्हें उन्होंने ग्रामीणों को भेंट किया।

जो लोग पहले नक्सलियों को देखकर सहम जाते थे, वे इस दिन पुलिस को अपने बीच पाकर हैरान भी हुए और खुश भी


भरोसे की राह और नक्सल चुनौती

भालूडीगी ओडिशा सीमा से सटा हुआ है। कभी यह इलाका नक्सलियों का सुरक्षित गढ़ माना जाता था। जनवरी 2025 में इसी क्षेत्र में माओवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य चलपति समेत 16 नक्सलियों को मुठभेड़ में ढेर किया गया था—यह ऑपरेशन भी एसपी राखेचा की रणनीति का हिस्सा था।

फिर भी, यहां कुछ नक्सली कमांडर—बलदेव, अंजू और रामदास—की सक्रियता की सूचना है। इसी वजह से एसपी ने इस यात्रा के दौरान “घर वापसी योजना” के पर्चे भी पूरे क्षेत्र में चिपकाए, जिसमें नक्सलियों को आत्मसमर्पण का संदेश दिया गया।


“हम हर गांव तक जाएंगे” – एसपी राखेचा

ग्रामीणों को संबोधित करते हुए एसपी ने कहा,

“नक्सली भोले-भाले लोगों की भावनाओं का फायदा उठाते हैं और उन्हें भ्रमित करते हैं। पुलिस हर उस जगह पहुंचेगी जहां जनता रहती है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम आपकी समस्याएं सुनें और समाधान करें।”

उन्होंने साफ संदेश दिया कि यह पहल केवल सुरक्षा की नहीं, बल्कि भरोसे और विकास की राह खोलने की है। भालूडीगी में उस दिन सिर्फ पुलिस और ग्रामीणों का संवाद नहीं हुआ, बल्कि डर और भरोसे के बीच की दूरी 12 किलोमीटर कम हो गई।

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