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जवानों की कलाई न रहे सूनी: राजिम की छात्राओं ने जम्मू-कश्मीर के जवानों को भेजी राखियां, जानिए छात्राओं ने क्यों उठाया यह कदम

राजिम। रक्षाबंधन के पावन अवसर पर शासकीय प्राथमिक शाला सहीस पारा राजिम की छात्राओं ने देशप्रेम की मिसाल पेश की है। शिक्षक जितेन्द्र कुमार साहू के मार्गदर्शन में छात्राओं ने अपने हाथों से रंग-बिरंगी, भावनाओं से भरी राखियाँ तैयार कर जम्मू-कश्मीर में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को डाक के माध्यम से भेजीं।

यह पहल देश की सीमाओं पर तैनात उन वीर सैनिकों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने के उद्देश्य से की गई, जो अपने परिवार से दूर रहकर साल भर राष्ट्र की सेवा में समर्पित रहते हैं। छात्राओं ने महसूस किया कि ऐसे पर्वों पर जब देशवासी अपने परिजनों संग खुशियाँ मनाते हैं, तब सैनिक सीमा पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे होते हैं। इस भावना से प्रेरित होकर उन्होंने राखी निर्माण का बीड़ा उठाया।

छात्राओं ने अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया

राखियाँ बनाते समय छात्राओं ने न केवल अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया, बल्कि उनमें प्रेम, शुभकामनाएं और कृतज्ञता भी पिरोई। रंगीन धागों, मोतियों और सजावटी सामग्री से तैयार इन राखियों के साथ उन्होंने देश के रक्षकों के लिए दिल से शुभकामनाएँ भी लिखीं — ताकि हर राखी एक भावनात्मक संदेश लेकर पहुँचे।

इस पहल में अहम भूमिका निभाई

विद्यालय के प्रधान पाठक रेवती देशमुख और सहायक शिक्षक नेमीचंद साहू ने इस पहल में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने छात्राओं को न सिर्फ तकनीकी मार्गदर्शन दिया बल्कि उन्हें देशभक्ति और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना से भी परिचित कराया। इससे छात्राओं में यह समझ विकसित हुई कि छोटे प्रयासों से भी बड़े सामाजिक परिवर्तन की नींव रखी जा सकती है।

डाक के माध्यम से जम्मू-कश्मीर भेजा राखी

राखियों को विशेष रूप से डाक के माध्यम से जम्मू-कश्मीर भेजा गया है, ताकि हर जवान को यह महसूस हो कि देश की बेटियाँ उन्हें भाई मानती हैं और उनका मान-सम्मान हर दिल में है। यह पहल अन्य विद्यालयों और समुदायों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है, जो यह सिखाती है कि सच्चा देशप्रेम किसी बड़े मंच की मांग नहीं करता — वह छोटे, सच्चे और संवेदनशील प्रयासों से भी प्रकट होता है।

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