
गरियाबंद से गिरीश जगत की रिपोर्ट।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम कस्बे में चल रहे मेडिकल कारोबार की काली सच्चाई आखिर सामने आ गई। सोमवार को औषधि निरीक्षण विभाग ने कुलेश्वर मेडिकल स्टोर पर चार घंटे तक छापेमार कार्रवाई की, जिसमें कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।
जांच के दौरान स्टोर से एक्सपायरी दवाएं, नशीली प्रतिबंधित दवाएं और बिना बिल की भारी मात्रा में बिक्री से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह मेडिकल स्टोर कथित रूप से इलाके भर के झोलाछाप डॉक्टरों को सीधे सप्लाई कर रहा था।

औचक निरीक्षण में फंसा मेडिकल स्टोर, जांच में सामने आईं खामियां
इस कार्रवाई को खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक के निर्देश पर अंजाम दिया गया। जांच टीम में गरियाबंद के तीन औषधि निरीक्षक शामिल थे। रणबीर सिंह ध्रुव, सुनील खरासु और सतीश सोनी।
टीम ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि कुलेश्वर मेडिकल स्टोर से बगैर लाइसेंस और डॉक्युमेंट के झोलाछाप डॉक्टरों को दवाएं बेची जा रही हैं। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए औचक निरीक्षण किया गया।

4 घंटे चली जांच में क्या मिला?
- एक्सपायरी और नियर-एक्सपायरी दवाएं
- नशीली दवाएं बिना जरूरी दस्तावेज के
- बिना बिल काटे दवाओं की भारी बिक्री
- स्टॉक रजिस्टर और विक्रय बही में भारी गड़बड़ियां
- नियंत्रित दवाओं के लिए आवश्यक लाइसेंस का अभाव
टीम ने सभी अनियमितताओं का पंचनामा तैयार कर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। स्टोर संचालक को जवाब देने के लिए समय दिया गया है। उसके बाद अधिकारी स्तर पर आगे की कार्यवाही तय की जाएगी।
झोलाछाप डॉक्टरों को मिल रही थी थोक सप्लाई
सबसे चिंताजनक तथ्य यह सामने आया है कि उक्त स्टोर से क्षेत्र के झोलाछाप डॉक्टरों को थोक में दवाएं बेची जा रही थीं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बिना किसी लाइसेंस और योग्यता के इलाज कर रहे हैं। यह गंभीर स्वास्थ्य खतरा है और मेडिकल एथिक्स का खुला उल्लंघन।
लेखा-जोखा जब्त, अब कार्रवाई की निगरानी
टीम ने दवा विक्रय रजिस्टर, स्टॉक बही और खरीदी-बिक्री के रिकॉर्ड जप्त कर लिए हैं। नशीली दवाओं के रखरखाव के लिए जरूरी रजिस्टर और स्टॉक रजिस्टर नहीं मिले, जो दवा अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है।
हालांकि टीम ने अभी लाखों की बिक्री या टैक्स चोरी की पुष्टि नहीं की है, लेकिन कारण बताओ नोटिस में बिना बिल बिक्री का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
अब निगाहें प्रशासन की पारदर्शिता पर
राजिम जैसी संवेदनशील जगह पर जहां ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी निर्भर है, वहां इस तरह का दवा कारोबार अगर राजनीतिक संरक्षण या लापरवाही की छाया में पल रहा है, तो यह जिला प्रशासन के लिए गंभीर चेतावनी है।
अब सवाल यह है कि क्या उच्चाधिकारियों के निर्देश पर कड़ी कार्रवाई होगी? या फिर यह मामला भी राजनीतिक दबाव में ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
जनता के सवाल, जांच टीम के जवाब
Q1. क्या मेडिकल स्टोर सील किया गया है?
नहीं, अभी सिर्फ पंचनामा और नोटिस जारी किया गया है। जवाब मिलने के बाद निर्णय होगा।
Q2. क्या झोलाछाप डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं?
फिलहाल नाम उजागर नहीं किए गए हैं, लेकिन जांच की जा रही है।
Q3. क्या बिक्री बही की फॉरेंसिक जांच करवाई जाएगी?
यदि गड़बड़ी की पुष्टि होती है, तो दस्तावेजों की विस्तृत जांच संभव है।
Q4. क्या यह पहली कार्रवाई है गरियाबंद जिले में?
हां, लंबे समय बाद औषधि विभाग ने इतनी सख्त कार्रवाई की है।
Q5. आगे क्या हो सकता है?
दोषी पाए जाने पर लाइसेंस रद्द हो सकता है, और केस भी दर्ज किया जा सकता है।
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