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परिवार को मारकर ही मानेगा सिस्टम ? गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने कटोरा लेकर बैठे मासूम, कहा-प्रशासन से भीख मांग रहे, सिर्फ मरने का ही रास्ता बचा

गरियाबंद से गिरीश जगत की रिपोर्ट

Chhattisgarh Gariaband land case farmer: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के अमलीपदर तहसील अंतर्गत खरीपथरा गांव से आए 48 वर्षीय मुरहा नागेश सोमवार सुबह कलेक्ट्रेट के सामने ज़मीन पर लेट गए। साथ में थीं उनकी पत्नी, दो छोटे बेटे, कुछ खाली बर्तन और एक बड़ा सा पोस्टर—जिस पर मोटे शब्दों में लिखा था इंसाफ नहीं तो जिंदगी नहीं। पुश्तैनी जमीन हड़पी गई। अब जान भी ले लो।

Chhattisgarh Gariaband land case farmer: उनकी आंखों में सख्त आक्रोश था, लेकिन आवाज़ में एक थकी हुई चीख—”बस अब मरने का ही रास्ता बचा है। यह सिर्फ एक किसान की लड़ाई नहीं, यह उस टूटे हुए नागरिक की आवाज़ है, जिसने सिस्टम के हर दरवाज़े को खटखटाया, हर रिश्वत दी, हर अपील की… पर हक नहीं मिला।

दबंगों का कब्ज़ा, रिकॉर्ड से हेरफेर और राजस्व विभाग की चुप्पी

मुरहा नागेश का दावा है कि उनके पूर्वजों की 7 एकड़ पुश्तैनी कृषि भूमि पर गांव के ही कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया है। आरोप है कि राजस्व विभाग की मिलीभगत से रिकॉर्ड में हेरफेर कर जमीन को विरोधी पक्ष के नाम चढ़ा दिया गया।

Chhattisgarh Gariaband land case farmer: “मैं पांच साल से तहसील और कलेक्टोरेट के बीच पिस रहा हूं, लेकिन मेरी जमीन के नाम पर खेल चलता रहा… और मैं बस देखता रहा,” मुरहा ने गुस्से में कहा।

तहसील से फैसला आया, लेकिन तीन दिन में पलट गया पासा

कुछ दिन पहले ही अमलीपदर तहसील से मुरहा के पक्ष में आदेश आया था, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि जमीन का वास्तविक हकदार मुरहा ही है। लेकिन मुरहा की यह राहत सिर्फ तीन दिन चली।

विरोधी पक्ष ने आदेश को मैनपुर एसडीएम कोर्ट में चुनौती दी और एसडीएम ने मुरहा को “किसी भी प्रकार का कृषि कार्य न करने” का मौखिक आदेश थमा दिया।

Chhattisgarh Gariaband land case farmer: “मुझे अब कुदाल भी नहीं उठाने दे रहे… खेत मेरा, खून मेरा, पर अब वो भी मेरा नहीं रहा,” – मुरहा की आवाज़ में टूटी हुई हताशा थी।

रिश्वतखोरी की खुली कहानी, जिसे सुनकर खुद सिस्टम शर्माए

इस पूरी जमीन विवाद के दौरान मुरहा ने करीब 2 लाख रुपये की रिश्वत दी, वो भी तीन किस्तों में। पहली बार ₹1 लाख, फिर ₹60,000 और अंत में ₹20,000 दिए। मैंने कर्ज़ लेकर रिश्वत दी। बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, घर में खाने को नहीं है, लेकिन अफसरों के लिए हमें सिर्फ ‘फॉर्म नंबर’ की तरह देखा जाता है।”

Chhattisgarh Gariaband land case farmer: उनका दावा है कि बिना रिश्वत दिए तहसील से कोई फाइल नहीं हिलती। और जब आदेश आया भी, तो वो महज एक कागज़ का टुकड़ा साबित हुआ।

भूख हड़ताल में भूख से बिलखते बच्चे… और कलेक्टोरेट में सन्नाटा

गरियाबंद कलेक्टोरेट के सामने गाड़ी रोक कर लोग उस परिवार को देख रहे थे—मुरहा ज़मीन पर बैठा है, उसकी पत्नी चुपचाप नज़रें गड़ाए है, और दो छोटे बच्चे बार-बार मां से पूछते हैं, “खाने में क्या बना है?” लेकिन उस चूल्हे में अब राख भी नहीं बची। परिवार सिर्फ खाली बर्तन और एक आशंका के साथ बैठा है—कि शायद उनकी मौत से कोई जागे।

“अब लड़ने की ताक़त नहीं बची, ज़हर पिएंगे या आग लगा लेंगे…”

मुरहा और उसके रिश्तेदार ईश्वर नागेश ने कहा कि उन्होंने सभी दस्तावेज जमा कर दिए हैं, फिर भी प्रशासन बार-बार प्रक्रिया के नाम पर टालमटोल कर रहा है। “हमें लगता है अब कुछ नहीं होगा। या तो खुद को ज़हर देकर खत्म करेंगे या आत्मदाह करेंगे। क्योंकि सिस्टम अब हमसे जीने का हक भी छीन चुका है।”

प्रशासन की चुप्पी और फाइलों में गुम होती इंसानियत

अब तक न तो एसडीएम और न ही कलेक्टर ने भूख हड़ताल पर बैठे इस परिवार से संपर्क किया है। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने प्रशासन की चुप्पी और संवेदनहीनता पर सवाल उठाए हैं।

Chhattisgarh Gariaband land case farmer: “सिस्टम तब जागता है जब शव कलेक्टोरेट के सामने जलता है… क्या यही लोकतंत्र है?” – एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा।

सिस्टम के खिलाफ एक सुलगता सवाल

इस कहानी में सिर्फ मुरहा की पीड़ा नहीं, बल्की सिस्टम के प्रति हमारे समाज का डर, अविश्वास और असहायता झलकती है। क्या हमारे देश में एक गरीब किसान को ज़मीन पाने के लिए आत्मदाह की चेतावनी देनी पड़ेगी? क्या न्याय सिर्फ उन्हीं के लिए है जिनके पास पैसा, ताकत या रसूख हो?

Q1: मुरहा नागेश कौन है और वह भूख हड़ताल पर क्यों बैठा है?

उत्तर: मुरहा नागेश छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का एक किसान है, जो अपनी पुश्तैनी 7 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ न्याय की मांग करते हुए भूख हड़ताल पर बैठा है।

Q2: किसान ने आत्मदाह की चेतावनी क्यों दी है?

उत्तर: प्रशासन से न्याय न मिलने, रिश्वतखोरी और दबंगों की गुंडागर्दी से तंग आकर किसान मुरहा नागेश ने परिवार सहित आत्मदाह की चेतावनी दी है।

Q3: क्या तहसील ने मुरहा के पक्ष में फैसला सुनाया था?

उत्तर: हां, अमलीपदर तहसील ने मुरहा के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन कुछ ही दिनों में विरोधी पक्ष ने उसे एसडीएम कोर्ट में चुनौती देकर रुकवा दिया।

Q4: प्रशासन ने अब तक क्या कार्रवाई की है?

उत्तर: अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस हस्तक्षेप नहीं हुआ है, जिससे किसान का परिवार प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल उठा रहा है।

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