अनूपपुर में 4 लोगों को लील गई बाढ़: पुल टूटने से कार सहित बहा परिवार, एक लाश बरामद, 3 की तलाश, पढ़िए MP में कहां-कहां बारिश का कहर ?

Anuppur rain disaster July 2025 Kirar Ghat bridge collapse news: मध्यप्रदेश के पूर्वी जिलों में बीते दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। अनूपपुर जिले के रीवा-अमरकंटक मुख्य मार्ग पर स्थित किरर घाट की सजहा पुलिया रविवार देर रात भारी बारिश के चलते अचानक ढह गई। पुलिया के ध्वस्त होते ही एक स्विफ्ट डिजायर कार बहाव में बह गई, जिसमें एक महिला सहित पूरा परिवार सवार था।
घटना की पूरी जानकारी
Anuppur rain disaster July 2025 Kirar Ghat bridge collapse news: कार में सवार चार लोगों में से एक महिला प्रीति यादव का शव बरामद कर लिया गया है, जबकि उनके पति चंद्रशेखर यादव और दो बच्चों की तलाश अभी जारी है।
Anuppur rain disaster July 2025 Kirar Ghat bridge collapse news:पुलिस और SDRF की टीमें मौके पर रात भर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी रहीं, लेकिन लगातार बारिश और तेज धार के चलते कार्य में कठिनाई आई।
Anuppur rain disaster July 2025 Kirar Ghat bridge collapse news: प्रीति यादव अनूपपुर जिला अस्पताल में नर्स के पद पर कार्यरत थीं और रविवार को परिवार सहित अमरकंटक दर्शन के लिए निकली थीं। अमरकंटक से लौटते समय यह हादसा हुआ। हादसे के समय पुलिया पर बहाव बेहद तेज था, और मिट्टी कटाव के कारण पुलिया अचानक ढह गई।

कैसे और क्यों टूटी पुलिया?
Anuppur rain disaster July 2025 Kirar Ghat bridge collapse news: स्थानीय प्रशासन के अनुसार, भारी बारिश के चलते नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था। पुलिया की नींव कमजोर पड़ गई थी और रात 11:30 बजे के आसपास यह पुलिया पूरी तरह टूट गई।
Anuppur rain disaster July 2025 Kirar Ghat bridge collapse news: बिना बैरिकेड और चेतावनी के बोर्ड के, गाड़ियों की आवाजाही जारी थी, जिससे यह हादसा और गंभीर हो गया।
कलेक्टर ने घोषित की छुट्टियां
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अनूपपुर कलेक्टर हर्षल पंचोली ने जिले के सभी शासकीय और अशासकीय स्कूलों में 7 और 8 जुलाई को अवकाश घोषित किया है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और सड़क मार्ग बाधित होने के चलते आवागमन भी जोखिम भरा हो चुका है।
“पढ़ाई की क्षतिपूर्ति अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर की जाएगी,” — कलेक्टर पंचोली
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमें
- SDRF, NDRF और पुलिस बल मौके पर कैंप कर रहा है।
- राफ्ट और मोटर बोट्स से नदी में सर्च ऑपरेशन किया जा रहा है।
- ड्रोन कैमरों की मदद से आसपास के झाड़ियों, चट्टानों और बहाव वाले क्षेत्रों में तलाशी जारी है।
- स्थानीय गोताखोर भी लगाए गए हैं।
- परिवार के अन्य सदस्यों को अस्पताल में काउंसलिंग दी जा रही है।

बारिश का प्रभाव केवल अनूपपुर नहीं… पूरा विंध्य और महाकौशल क्षेत्र प्रभावित
अनूपपुर के अलावा डिंडोरी, उमरिया, शहडोल और कटनी जिलों में भी भारी बारिश ने सड़क मार्ग और पुलों को नुकसान पहुंचाया है।
अमरकंटक, जैतहरी, कोतमा और पुष्पराजगढ़ इलाकों में जलभराव से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है।
IMD की चेतावनी:
- IMD ने अगले 48 घंटों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है।
- कुछ स्थानों पर 100 मिमी से अधिक वर्षा की संभावना जताई गई है।
- निचले इलाकों में लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
स्थानीय प्रशासन ने क्या कदम उठाए?
- संवेदनशील क्षेत्रों में नाका बंदी की जा रही है।
- पुलों और पुलियाओं के आसपास बैरिकेडिंग और ‘नो एंट्री’ बोर्ड लगाए जा रहे हैं।
- जनपद स्तर पर कंट्रोल रूम सक्रिय किए गए हैं, जो 24×7 निगरानी कर रहे हैं।
- प्रभावित गांवों में राशन और दवाइयों की आपूर्ति तेज की गई है।
स्कूलों में हाजिरी पर असर और समाधान
स्कूलों में दो दिन की छुट्टी से करीब 60,000 छात्र प्रभावित हुए हैं।
शिक्षा विभाग ने आदेश दिया है कि अगले सप्ताह शनिवार और छुट्टी वाले दिन विशेष कक्षाएं लेकर शैक्षणिक घाटा पूरा किया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन कक्षा विकल्प भी सक्रिय करने की तैयारी चल रही है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या बताया?
“हम पुल से कुछ ही दूरी पर थे, अचानक बहुत तेज आवाज आई और पुलिया ढह गई। एक कार हमारी आंखों के सामने बह गई, हम कुछ नहीं कर पाए।” — स्थानीय ग्रामीण
“हर साल ये पुलिया खतरे में रहती है, पर कभी पक्के समाधान नहीं किए गए।” — पूर्व सरपंच रमेश बैगा
किरर घाट की पुलिया टूटी नहीं, प्रशासनिक लापरवाही की खुली पोल
रीवा-अमरकंटक मार्ग पर स्थित किरर घाट की सजहा पुलिया का टूटना कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही प्रशासनिक उदासीनता और इंजीनियरिंग लापरवाही का नतीजा है।
यह हादसा रोका जा सकता था… अगर सिस्टम जागता
- यह पुलिया न ही नई थी, न ही मजबूत।
- हर साल मानसून में इस क्षेत्र के लोग पुलिया की कमजोर नींव, कटाव और दरारों की शिकायत करते रहे।
- ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने PWD और जिला प्रशासन को कई बार लिखित आवेदन, सोशल मीडिया वीडियो और ज्ञापन सौंपे — लेकिन किसी ने सुध नहीं ली।
पुलिया जर्जर थी, फिर मरम्मत क्यों नहीं हुई?
क्या प्रशासन इंतज़ार कर रहा था कि एक परिवार पुलिया के साथ बह जाए, तभी मरम्मत होगी?
- ना कोई चेतावनी बोर्ड
- ना ही बरसात से पहले स्ट्रक्चरल ऑडिट
- ना ही ‘नो एंट्री’ के लिए बैरिकेड्स
यह सब कुछ दर्शाता है कि सिस्टम आंखें मूंदे बैठा था। सवाल ये नहीं है कि पुल क्यों टूटी… सवाल ये है कि इतनी पुरानी और जर्जर पुलिया को मरम्मत या निर्माण के लिए प्राथमिकता में क्यों नहीं लिया गया?
बजट कहां गया?
हर साल मानसून से पहले सड़कों और पुलों की मरम्मत के लिए बजट पास होता है।
- कलेक्टर, जनपद, PWD, ग्रामीण यांत्रिकी विभाग (R.E.S) — सभी के पास रखरखाव फंड होता है।
- तो क्या वो पैसे फाइलों में धरे रह गए या बंद कमरों में कमीशन की ‘बारिश’ में बहा दिए गए?
यह हादसा बताता है कि लूट की व्यवस्था ने जीवन की कीमत को रद्दी कागज़ से भी हल्का बना दिया है।
कौन है जिम्मेदार?
इस पूरे हादसे के लिए तीन विभागों की जवाबदेही बनती है:
- PWD (लोक निर्माण विभाग) – पुलिया की तकनीकी निगरानी और रखरखाव में लापरवाही
- जिला प्रशासन – चेतावनी जारी करने में असफलता
- राजस्व और पंचायत विभाग – स्थानीय इनपुट की अनदेखी
इनमें से किसी ने भी समय रहते संज्ञान नहीं लिया। तो अब यह मौत एक हादसा नहीं, सरकारी हत्या बन जाती है।
जनता को चाहिए जवाब—not condolence, but accountability
- क्या इन अफसरों पर FIR दर्ज होगी?
- क्या पुलिया की तकनीकी विफलता के लिए जिम्मेदार कॉन्ट्रैक्टर और इंजीनियर को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा?
- क्या मृतका के परिवार को सिर्फ मुआवजा देकर प्रशासन अपना पाप धो लेगा?
आज सवाल सिर्फ एक पुलिया का नहीं है — सवाल ये है कि क्या सिस्टम की नींव भी इसी पुल की तरह कमजोर है?
अब लाशों पर पुल न बने… समय है कार्रवाई का
अनूपपुर की सजहा पुलिया टूटने से एक परिवार उजड़ गया — और यह पहली बार नहीं है कि इस इलाके की उपेक्षा से जानें गई हों।
प्रशासन को अब दिखावे की जगह जवाबदेही निभानी होगी।
अगर सरकार और सिस्टम अभी भी नहीं चेते, तो अगली बार कोई और बच्चा अपनी मां के साथ नदी में बहा मिलेगा… और अगली खबर फिर ‘पुल टूटने’ की नहीं, ‘विश्वास टूटने’ की होगी।

Anuppur Kirar Ghat पुलिया क्यों टूटी?
उत्तर: अनूपपुर जिले की किरर घाट पुलिया भारी बारिश के कारण आई तेज धार से ढह गई। लगातार बारिश से नदी का जलस्तर बढ़ गया और पुलिया की नींव कमजोर पड़ गई, जिससे यह हादसा हुआ।
कार में सवार लोग कौन थे और क्या हुआ?
उत्तर: कार में अनूपपुर निवासी प्रीति यादव, उनके पति चंद्रशेखर यादव और दो बच्चे सवार थे। प्रीति यादव का शव बरामद कर लिया गया है, जबकि पति और बच्चों की तलाश जारी है।
क्या जिले में स्कूल बंद किए गए हैं?
उत्तर: हां, अनूपपुर कलेक्टर हर्षल पंचोली ने 7 और 8 जुलाई को जिले के सभी शासकीय और अशासकीय स्कूलों में अवकाश घोषित किया है। यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
बारिश से और किन जिलों में असर पड़ा है?
उत्तर: अनूपपुर के साथ-साथ डिंडोरी, शहडोल, उमरिया और कटनी जिलों में भी भारी बारिश हुई है। अमरकंटक, जैतहरी और कोतमा जैसे क्षेत्रों में जलभराव और सड़क बंद की स्थिति है।
बचाव कार्य कौन कर रहा है और अब तक क्या उपलब्धि रही?
उत्तर: SDRF, NDRF और स्थानीय पुलिस टीम संयुक्त रूप से रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। अब तक एक शव बरामद हुआ है, जबकि अन्य लापता लोगों की तलाश तेज़ी से जारी है।
क्या अगले कुछ दिनों तक बारिश जारी रहेगी?
उत्तर: हां, भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अनूपपुर और आसपास के जिलों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है और अगले 48 घंटों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
स्थानीय प्रशासन की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर: प्रशासन ने पुलों पर बैरिकेडिंग, हाई रिस्क इलाकों में नाका बंदी, कंट्रोल रूम एक्टिवेशन, स्कूल बंदी, और राहत सामग्री का वितरण शुरू कर दिया है। साथ ही ड्रोन और बोट से सर्च ऑपरेशन जारी है।
किरर घाट की यह पुलिया कितनी पुरानी थी और पहले भी टूटी थी क्या?
उत्तर: स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, यह पुलिया कई साल पुरानी है और हर मानसून में इसके कमजोर होने की शिकायत सामने आती रही है। हालांकि प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया था।
प्रभावित परिवार को क्या सहायता मिलेगी?
उत्तर: जिला प्रशासन की ओर से मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री राहत कोष से भी मुआवज़े की संभावना है।
क्या यह घटना पहले भी कभी हुई है?
उत्तर: हर साल मानसून के दौरान मध्यप्रदेश के आदिवासी और ग्रामीण अंचलों में पुलिया टूटने की घटनाएं सामने आती हैं। किरर घाट क्षेत्र पहले भी खतरे की सूची में रहा है, लेकिन यह हादसा पहली बार इतना घातक सिद्ध हुआ।

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