कामधेनु यूनिवर्सटी में 21 दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण: देशभर के एक्सपर्ट्स ने सिखाए उद्यमिता के गुर, NTSS कार्यक्रम ने युवाओं को दी नई दिशा

21-day national training at Kamdhenu University: दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग (छत्तीसगढ़) के तत्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण सह ग्रीष्मकालीन पाठशाला (NTSS) का समापन 30 जून 2025 को वर्चुअल माध्यम (गूगल मीट) के जरिए सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
यह प्रशिक्षण “कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्यिकी, रेशम उत्पादन, उद्यानिकी एवं संबद्ध क्षेत्रों में सतत उद्यमिता के अवसर” विषय पर केंद्रित था, जिसका उद्देश्य प्रतिभागियों को इन क्षेत्रों में नवीनतम तकनीकों, व्यावसायिक संभावनाओं और प्रबंधन कौशल से परिचित कराना था।
विशेषज्ञों ने दिए व्यावहारिक व तकनीकी व्याख्यान
इस 21 दिवसीय पाठ्यक्रम के दौरान देशभर से आमंत्रित विशेषज्ञों द्वारा आधुनिक पशुपालन तकनीकों, डेयरी प्रबंधन, मत्स्य पालन, रेशम उत्पादन और उद्यानिकी से जुड़े विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। प्रतिभागियों को समूह चर्चाओं, केस स्टडी, प्रश्नोत्तर और व्यावसायिक मॉड्यूल्स के माध्यम से सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
समारोह में विशेषज्ञों ने रखे विचार
समापन समारोह की शुरुआत डॉ. छतरपाल सिंह, अध्यक्ष, Agro Environmental Development Society (AEDS) के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कार्यक्रम की प्रासंगिकता और उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए सभी प्रतिभागियों और विशेषज्ञों का आभार जताया।
प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की उपलब्धियों का विवरण पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. डी. भोंसले, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, पशुधन उत्पादन प्रबंधन विभाग, अंजोरा ने प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण युवाओं को स्वरोजगार व उद्यमिता के लिए सशक्त बनाने की दिशा में एक सफल प्रयास रहा।
समापन टिप्पणी एवं समापन भाषण प्रोफेसर एस. शक्य, आयोजन अध्यक्ष एवं डीन, पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा ने दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण ग्रामीण युवाओं, किसानों और विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रेरित करेगा।
आयोजन टीम को मिला सराहनीय समर्थन
कार्यक्रम का संचालन डॉ. वंदना भगत ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रुपल पाठक, सहायक प्रोफेसर, पशुधन उत्पादन प्रबंधन विभाग ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. एके संत्रा, डॉ. सीएन खूने, दीपक सिंह और श्री निलेश कुमार पैंकरा भी उपस्थित रहे, जिनकी सहभागिता से समारोह की गरिमा और बढ़ गई।
आत्मनिर्भरता की ओर एक सशक्त कदम
विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वास व्यक्त किया कि इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों की व्यावसायिक दक्षता में वृद्धि होगी और वे कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र में नवाचार और सतत विकास की दिशा में प्रभावी योगदान देंगे। यह प्रयास न केवल रोजगार सृजन में सहायक होगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करने की दिशा में एक प्रभावशाली पहल मानी जाएगी।