1 रात, 2 कत्ल और एक अवैध रिश्ता: पति के जाते ही कंपाउंडर को बुला लेती थी, पढ़िए जुर्म की पॉलिटिक्स और मोहब्बत की हैवानियत

Odhav Double Murder Case Wife Illicit Affair Led to Brutal Killings of Husband and Mother-in-Law: 3 जून 2017 की रात अहमदाबाद के ओढव इलाके में जो हुआ, वो आज भी गुजरात पुलिस की फाइलों में सबसे रहस्यमयी, सबसे खौफनाक केस के रूप में दर्ज है। एक पति और उसकी मां की सड़ी-गली लाशें, घर के बाथरूम में बोरी और साड़ी में लिपटी मिलीं… और पीछे छूट गए कई सवाल—कातिल कौन था? मकसद क्या था? और सबसे अहम—क्या ये सिर्फ मर्डर था या कुछ और?
एक रात, दो कत्ल और एक ‘अवैध रिश्ता’
Odhav Double Murder Case Wife Illicit Affair Led to Brutal Killings of Husband and Mother-in-Law: रात के करीब 8 बजे। एक दुबला-पतला शख्स झोला कंधे पर टांगे मकान नंबर D/147 पहुंचा। दरवाजा 55 साल की कंचनबेन ने खोला। उनके चेहरे पर घृणा थी—”तुम… अब क्यों आए हो?” जवाब में सिर्फ एक मुस्कराहट और फिर… कुल्हाड़ी के वार।
Odhav Double Murder Case Wife Illicit Affair Led to Brutal Killings of Husband and Mother-in-Law: उसने बिना देर किए कंचनबेन के सिर पर एक के बाद एक कई वार किए। खून का फव्वारा फूटा। हॉल खामोश था, लेकिन कातिल की आंखों में तूफान। फिर साड़ी में लाश को लपेटा और बोरी में ठूंस दी। और तभी… दरवाजे की घंटी बजी।
कंचनबेन का बेटा विपुल घर लौटा था। उसने फर्श पर खून देखा और मां को ढूंढने लगा—पर मिला क्या? कुल्हाड़ी का अगला वार, सीधे उसके सिर पर। और फिर गड़ासा उठाकर गर्दन पर कई वार। गर्दन लटक गई… बेटे की लाश अब मां की लाश के बगल में थी।
कातिल थका था… लेकिन वो बेशर्मी से बेडरूम में जाकर लेट गया। कुछ घंटों बाद उठा, हथियार समेटे, और गायब हो गया।
तीन दिन बाद उठी बदबू… और राजफाश की शुरुआत
6 जून की सुबह मकान के सामने रहने वाले अशोकभाई ने सड़ी हुई मांस की बदबू महसूस की। घंटी बजाई, कोई जवाब नहीं। मोहल्ला इकट्ठा हुआ। मकान मालिक दिव्येश को फोन किया गया, जो खुद बदबू से बेहाल हो गए।
पुलिस बुलाई गई। दरवाजा तोड़ा गया।
बाथरूम में सड़ी हुई लाशें… गठरी और बोरी में बंद। इंस्पेक्टर एनएल देसाई और उनकी टीम सकते में थे। खून के धब्बे, दीवार पर खरोंच, कमरे में सन्नाटा।
पहेली की पहली कड़ी: लाशें किसकी हैं?
पहचान मुश्किल थी। लाशें सड़ चुकी थीं। मकान मालिक ने कहा—“मैं पहचान नहीं पा रहा।”
जब कंचनबेन के बेटे नयनभाई सतारा से पहुंचे, उन्होंने जैसे ही फोटो देखी—“ये तो मेरी मां और भाई हैं!”
अब पुलिस का अगला सवाल था—“सुजाता और वैष्णवी कहां हैं?”
कहानी में ट्विस्ट: बहू और कंपाउंडर
नयनभाई की पत्नी कृष्णाबेन ने एक राज खोला—“सुजाता का किसी कंपाउंडर के साथ अफेयर था। जब पति घर पर नहीं होता था, वो उसे बुला लेती थी। मां ने कई बार रंगे हाथों पकड़ा था।”
विपुल ने सुजाता की पिटाई की, और फिर उसे बेटी के साथ मायके भेज दिया।
पुलिस को शक गहराया… अब ज़रूरत थी उस कंपाउंडर को ढूंढने की, जिसके साथ सुजाता का रिश्ता बताया गया था।
एक पर्ची से खुलता है राज
मकान की तलाशी में एक पर्ची मिली—डॉ. योगेश, श्रीराम हॉस्पिटल, ओढव।
7 जून की सुबह पुलिस अस्पताल पहुंची। डॉक्टर ने कंचनबेन को पहचान लिया, और बताया—“वो अक्सर बहू के साथ आती थीं।”
काउंटर पर दवा बांट रहा कंपाउंडर, पुलिस को देखते ही घबरा गया।
इंस्पेक्टर देसाई ने जब उससे पूछा—“इन लाशों को पहचानते हो?”
वो बोला—“हां साहब, ये तो कंचनबेन हैं। बाकी मुझे कुछ नहीं पता…”
लेकिन उसके चेहरे पर डर साफ था।
CCTV फुटेज ने किया किलर को एक्सपोज
इसी बीच पुलिस ने मोहल्ले की CCTV फुटेज खंगाली। 3 जून की रात एक आदमी मकान की तरफ जाते और सुबह उसी झोले के साथ निकलते दिखा।
हुलिया वही जो कंपाउंडर का था।
पड़ोसी अमित राणा ने भी बताया—“3 जून की रात 3 बजे मैंने उसे मकान से बाहर निकलते देखा।”
अब शक यकीन में बदल चुका था।
कातिल की तलाश और भगोड़े की चाल
अगली सुबह पुलिस जब अस्पताल पहुंची—कंपाउंडर गायब था।
डॉक्टर ने बताया—”उसने कहा, महाराष्ट्र जाना है, छुट्टी ले ली है।”
और तभी इंस्पेक्टर देसाई को एक कॉल आया—”सर, वही शख्स कालूपुर रेलवे स्टेशन पर देखा गया है।”
क्या सुजाता इस कत्ल की साजिश में शामिल थी?
अब पुलिस के सामने दो सवाल थे—
- क्या सुजाता ने खुद अपने पति और सास की हत्या की साजिश रची?
- क्या वो कंपाउंडर के साथ मिलकर इस मर्डर प्लान का हिस्सा थी?
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कहती है कि दोनों की मौत 3 जून को रात करीब 9 से 10 बजे के बीच हुई। उसी समय कंपाउंडर घर में था। अब सुजाता की भूमिका और गहरी हो चुकी थी।
जुर्म की पॉलिटिक्स और मोहब्बत की हैवानियत
इस केस में प्रेम, विश्वासघात, परिवार की मर्यादा और हवस—चारों रंग शामिल हैं। एक पत्नी जो पति के जाते ही गैर मर्द को घर बुलाती थी। एक कंपाउंडर जो मरीज की सास को रास्ते से हटाने में झिझका नहीं। और एक परिवार, जो अब सिर्फ तस्वीरों में रह गया।
ओढव डबल मर्डर ऐसी कहानी है, जो जुर्म की गहराई और इंसानी रिश्तों की खोखली हकीकत को सामने लाती है। एक मामूली कंपाउंडर और एक बहू की ‘सीक्रेट केमिस्ट्री’ ने पूरे परिवार को खत्म कर दिया। जिस घर में कभी परिवार की हंसी गूंजती थी, वहां अब सन्नाटा और सड़ी हुई यादें बची हैं।
“कातिल ने सिर्फ दो नहीं, तीन लाशें छोड़ीं—कंचनबेन, विपुल और इंसानियत की।”
केस की टाइमलाइन
जून 2017:
रात 10:30 बजे के आसपास कंपाउंडर घर में दाखिल
सुजाता और कंपाउंडर को सास कंचनबेन ने आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया
गुस्से में आकर मां-बेटे की हत्या
4 जून:
शक के बावजूद मोहल्ले वालों को कुछ पता नहीं चला
6 जून:
घर से बदबू आने लगी
7 जून:
मकान खोलते ही पुलिस को बाथरूम में दो लाशें मिलीं
मृतक कौन थे?
- विपुल नयनभाई पटेल (35)
प्राइवेट कंपनी में काम करता था - कंचनबेन (60)
वृद्ध मां, घर में ही रहती थीं
आरोपी और रिश्तों की उलझन
- सुजाता पटेल (पत्नी)
पति से दूरी, कंपाउंडर से प्रेम संबंध
पति के जाते ही उसे घर बुलाना आम बात थी - कंपाउंडर (प्रेमी)
श्रीराम अस्पताल में काम करता था
पुलिस से बचने के लिए अस्पताल से भाग गया
हत्या कैसे हुई?
- गुस्से में आकर कंपाउंडर ने कुल्हाड़ी और गड़ासा से मां-बेटे को बेरहमी से काट डाला
- लाशें बाथरूम में बोरी और साड़ी में लपेटकर छिपा दी गईं
- घर में ताला लगा दिया गया
सबूत क्या मिले?
CCTV फुटेज:
- कंपाउंडर रात में घर में दाखिल होता और सुबह झोला लेकर निकलता दिखा
मेडिकल पर्ची:
- श्रीराम अस्पताल की पर्ची घर में मिली
मोहल्ले वालों के बयान:
- पति के न रहने पर अक्सर कोई आदमी आता था
बदबू:
- लाशें सड़ने लगी थीं, जिससे खुलासा हुआ
पुलिस की कार्रवाई
केस की जांच:
- इंस्पेक्टर एनएल देसाई की टीम ने की
सुजाता से पूछताछ:
- पहले उसने सब नकारा, फिर गुमराह किया
- आखिरी बार कंपाउंडर से बात कब हुई, नहीं बताया
अंतिम लोकेशन:
- कंपाउंडर की अंतिम मोबाइल लोकेशन कालूपुर रेलवे स्टेशन पर मिली

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