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पत्रकारों के खून का प्यासा रेतिस्तान का डकैत ? गरियाबंद में अवैध रेत खदान में फायरिंग, माफिया ने कलमकारों को पीटा, 17 अवैध खदानों का काला साम्राज्य, जानिए कैसे लहू से लाल हुआ रेत घाट ?


गरियाबंद से गिरीश जगत की रिपोर्ट

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक बार फिर खूनी हमला हुआ है। पितईबंद की पैरी नदी, जहां हर दिन रेत के काले कारोबार से करोड़ों की लूट होती है, वहां इस बार माफिया ने कलम और कैमरे को ही लहूलुहान कर दिया। अवैध रेत खनन की पोल खोलने पहुंचे पत्रकारों पर न सिर्फ फायरिंग हुई, बल्कि लोहे की रॉड से हमला कर उन्हें खून से सना छोड़ दिया गया। कैमरा, आईडी, हिम्मत—सब कुछ छीन लिया गया, पर एक वीडियो ने फिर सत्ता को नींद से जगाया।

रेत माफिया का राज और खनिज विभाग की मिलीभगत ?
Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: जिला प्रशासन की नाक के नीचे, खनिज विभाग की कथित शह पर पैरी और महानदी के घाटों में रेत माफिया कानून को ठेंगा दिखा रहा है। 4 वैध खदानों के पीछे 17 अवैध खदानों का पूरा साम्राज्य खड़ा है, और इनका संरक्षण राजनीतिक रसूख से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। पत्रकारों के हमले की जांच हो रही है, मगर सवाल यह है—क्या सिर्फ FIR से रेत के इस साम्राज्य की नींव हिलेगी? क्या खनिज अधिकारी की भूमिका को भी कटघरे में लाया जाएगा?


कब तक खून से सनी रहेगी पत्रकारिता ?
Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: यह पहला हमला नहीं, गरियाबंद में पत्रकारों पर यह सिलसिला पुराना है। पहले नागेंद्र निषाद और अब इमरान, थानेश्वर, जितेंद्र पर हमला… हर बार वही पैटर्न, वही खामोशी और वही लीपापोती। जब पत्रकारों को ही गोली और डंडों से चुप कराया जाए, तो सवाल सिर्फ कानून व्यवस्था पर नहीं, लोकतंत्र की आत्मा पर उठता है। यह रेत की लूट नहीं, यह लोकतंत्र की चिता में डाली जा रही आग है—और इसके पीछे कौन खड़ा है, यह बताने की ज़िम्मेदारी अब शासन की है।

लोकतंत्र की सांस रोकते ‘रेतिस्तान के डकैत’

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: ये महज अवैध खनन की खबर नहीं, लोकतंत्र की चुप कराई जा रही आवाज की कहानी है। पितईबंद रेत घाट अब पत्रकारों के लहू से लाल है, और इसका जिम्मेदार सिर्फ गुंडे नहीं, वो तंत्र भी है जो उन्हें खुला छोड़ देता है। रेत से करोड़ों का अवैध धंधा चलाने वाले माफिया आज बेखौफ हैं क्योंकि उनके पीछे राजनीति, प्रशासन और सिस्टम की मजबूत दीवार खड़ी है।

जिनके हाथ में कैमरा और माइक होना चाहिए, अब उनके सिर पर पट्टियां हैं, और आवाज—गुस्से से भरी, इंसाफ की मांग करती हुई। सवाल गरियाबंद से उठे हैं, लेकिन गूंज पूरे प्रदेश में होनी चाहिए—क्योंकि जब खदान की धूल में सच दफन होने लगे, तो समझिए देश की रीढ़ टूटने लगी है।

अब जानिए क्या है पूरा मामला ?

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में अवैध रेत खनन की खबर बनाने गए पत्रकारों को रेत माफिया ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा है। 2 बार हवाई फायरिंग की। माफिया के गुर्गों ने पहले पत्रकारों से बहस की, फिर कैमरा और आईडी कार्ड छीना। मामला राजिम थाना क्षेत्र के पैरी नदी के पितईबंद रेत घाट का है।

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: वारदात के वक्त किसी तरह जान बचाकर भाग रहे पत्रकारों ने वीडियो वीडियो बनाया है, जिसमें वह खून से सने दिख रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि 3 लोग दौड़ रहे हैं। वह वीडियो में कह रहे हैं कि रेत माफिया ने हमला किया है। प्रशासन पत्रकारों को बचाए। वीडियो करीब 14 सेकेंड का है।

आईडी माइक सड़क पर रखकर धरने पर बैठे

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: रेत माफिया की गुंडागर्दी को लेकर बड़ी संख्या में पत्रकारों ने आईडी माइक सड़क पर रखकर धरने पर बैठे हैं। रेत माफिया को सरंक्षण देने वाले जिले के खनिज अधिकारियों और रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं।

दरअसल, 9 जून दिन सोमवार को गरियाबंद के पत्रकार इमरान मेमन, थानेश्वर साहू और जितेंद्र सिन्हा समेत 4-5 निजी चैनल के पत्रकार अवैध रेत खनन की सूचना पर कवरेज करने गए थे। इस दौरान वह पितईबंद के अवैध रेत खदान पहुंचकर वीडियो बनाए।

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: साथ ही अवैध परिवहन में लगे वाहनों को पकड़ने के लिए जिला खनिज अधिकारी को सूचना दी। इस दौरान माइनिंग की टीम नहीं पहुंची। खनिज विभाग के अधिकारियों की जगह खदान संचालक के 7-8 गुर्गे वहां आ गए।

रेत माफिया के गुर्गे हथियारों से लैस थे

पत्रकारों को रेत खदान में देखकर भड़क गए। रेत माफिया के गुर्गे हथियारों से लैस थे। मारपीट करने से पहले 2 बार हवाई फायरिंग की भी की। पत्रकार इमरान के सिर पर लोहे के हथियार से वार किया, जिससे उनके सिर से खून भी बहने लगा।

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: पत्रकार खून से सने हालात में मौके से जान बचाकर भागने लगे। गुर्गों ने बाइक और स्कूटी से उनका पीछा किया। पत्रकारों ने अपनी जान बचाने के लिए खेतों में छिप गए।

वॉट्सऐप ग्रुप में वीडियो शेयर करने पर जागा प्रशासन

पत्रकारों से मिली जानकारी के मुताबिक उनके पास जब बचने का रास्ता नहीं बचा तो वह वीडियो बनाकर गरियाबंद के प्रशासनिक ग्रुप में शेयर किए। इसके बाद अधिकारियों ने वीडियो देखकर एक्टिव हुए।कलेक्टर भगवान सिंह यूके ने तुरंत एसडीएम को घटनास्थल के लिए रवाना किया।

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: एडिशनल एसपी जितेंद्र चंद्राकर ने बताया कि राजिम पुलिस और प्रशासन की टीम घटनास्थल पर गई थी। पत्रकारों की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

वहीं हमलावरों के खिलाफ मामूली धाराओं के तहत FIR करने पर पत्रकार भड़क गए हैं। राजिम के सुंदर लाल शर्मा चौक पर धरने पर बैठ गए हैं। पत्रकार मांग कर रहे हैं कि जानलेवा हमला करने वाले हमलावर और जिनके इशारे में वारदात को अंजाम दिया गया, उन पर हत्या के प्रयास के मामले दर्ज किया जाए।

Chhattisgarh Gariaband Journalists beaten up in illegal sand quarry: इसके साथ ही सभी अवैध रेत खदानों को बंद किया जाए। साथ ही कार्रवाई में लापरवाही बरतने वाले जिला खनिज अधिकारी को हटाने की मांग की है।

गरियाबंद में कितने वैध और अवैध रेत खदान ?

बता दें कि पैरी और महानदी में सिर्फ 4 रेत खदानों का लाइसेंस है। 12 रेत खदान अवैध तरीके से चल रहे हैं। पितईबंद रेत घाट पत्रकारों से मारपीट हुई, वहां बिना लाइसेंस रेत खनन हो रहा है।

जानकारी के मुताबिक पितईबंद रेत घाट सहित पूरे गरियाबंद क्षेत्र में केवल 4 वैध रेत खदान हैं, जबकि 17 से अधिक घाटों पर अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है। आरोप है कि इनमें से कई रेत घाटों पर भाजपा नेताओं और रसूखदार ठेकेदारों का सीधा संरक्षण है। जब पत्रकारों ने जिला खनिज अधिकारी को खदान में अवैध गतिविधियों की सूचना दी, तो विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची—बल्कि पहले से मौजूद माफिया के गुर्गे वहां आ धमके।

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