अनूपपुर में नाबालिग से रेप की वारदात: बीच जंगल सन्नाटे में गूंजती रहीं चीखें, कराहती रही मासूम, नाना के घर जाते वक्त खौफनाक वारदात

Rape of minor in Anuppur: 10 मई का दिन अनूपपुर के बिजुरी थाने इलाके के एक छोटा सा गांव एक ऐसी दर्दनाक वारदात की गवाह बना, जिसने न सिर्फ एक लड़की की जिंदगी को पलट दिया, बल्कि पूरे समाज के भीतर एक गहरी टीस और गुस्सा भर दिया।
Rape of minor in Anuppur: एक गांव की भोली-भाली लड़की जो अपने नाना के घर जा रही थी, उसे उस रास्ते पर ना केवल विश्वासघात का सामना करना पड़ा, बल्कि वह एक हैवानियत का शिकार हो गई, जिसने उसकी मासूमियत और सुरक्षा के हर लिहाज को खत्म कर दिया।

बहला-फुसलाकर जंगल में ले गया रेपिस्ट
Rape of minor in Anuppur: लड़की अपने नाना के घर जा रही थी, जब उसकी मुलाकात भगवानदास पाव (46) से हुई, जिसने उसे अपनी बाइक पर बैठाकर बहला-फुसलाकर जंगल में ले गया। यह वह रास्ता था, जो कभी उसे सुरक्षित लगता था, लेकिन अब वह खौफनाक सन्नाटे का गवाह बन चुका था।
Rape of minor in Anuppur: जंगल में भगवानदास ने उसे लाचार कर दिया, उसकी चीखें हवा में गुम हो गईं, जैसे कोई सुनने वाला न हो। वह डर और दर्द में बुरी तरह से कांप रही थी, मगर उसकी मदद के लिए कोई हाथ नहीं बढ़ा।
सन्नाटे के बीच गुम हो गई चीखें
पीड़िता ने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसकी आवाज कहीं खो गई। वह आदमी, जो पहले एक व्यक्ति की तरह दिखता था, अब एक हैवान में बदल चुका था। भगवानदास ने पीड़िता को एक गांव में छोड़ दिया, जैसे कि उसकी जिंदगी कोई कीमत न हो।
12 घंटे में आरोपी गिरफ्तार
Rape of minor in Anuppur: हालांकि, ग्रामीणों ने लड़की के परिजनों को सूचित किया। 11 मई को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए, 12 घंटे के भीतर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधीक्षक मोती उर्र रहमान के निर्देश पर पुलिस ने आरोपी को बिना समय गंवाए पकड़ लिया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इसरार मन्सूरी और एसडीओपी कोतमा आरती शाक्य के मार्गदर्शन में एक विशेष टीम बनाई गई, जिसने आरोपी को गुलीडांड से गिरफ्तार कर लिया।
Rape of minor in Anuppur: भगवानदास के खिलाफ बिजुरी थाने में पॉक्सो एक्ट और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया। कोतमा न्यायालय में उसे पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
समाज में गुस्सा और डर का माहौल
इस घिनौनी वारदात के बाद, समाज में गुस्सा और डर का माहौल है, लेकिन इससे एक बात तो साफ हो गई है कि इस समाज में लड़कियों के लिए सुरक्षा का अधिकार एक सपना ही बनकर रह गया है। क्या हमारी व्यवस्था इन खौ़फनाक घटनाओं को रोकने में सक्षम होगी, या फिर यह कड़ी हम केवल बनते-बनते रह जाएंगे?

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