आजादी के बाद देश में पहली बार होगी जातिगत जनगणना: बिहार चुनाव से पहले केंद्र का फैसला, जानिए कब से हो सकती है शुरुआत

India Caste Census Central Government Decision: आजादी के बाद पहली बार देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जाति जनगणना को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। देश में इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं।
कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग करते रहे हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सितंबर में जाति जनगणना शुरू हो सकती है।
हालांकि जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने में एक साल का समय लगेगा। ऐसे में जनगणना के अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में उपलब्ध होंगे। देश में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। यह हर 10 साल में होती है। इसके मुताबिक अगली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इसे टाल दिया गया।
जाति जनगणना की घोषणा के बाद राहुल गांधी ने कहा- आखिरकार सरकार ने जाति जनगणना की बात कही है। हम इसका समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को इसकी समय सीमा बतानी होगी। हमने तेलंगाना में जाति जनगणना करवाई, इसे मॉडल बनाया जा सकता है। हमें जाति जनगणना से आगे जाना होगा। हमें यह पता लगाना होगा कि उच्च पदों पर किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है।
जनगणना फॉर्म में 29 कॉलम, सिर्फ एससी-एसटी का ब्योरा
2011 तक जनगणना फॉर्म में कुल 29 कॉलम होते थे। इनमें नाम, पता, व्यवसाय, शिक्षा, रोजगार और पलायन जैसे सवाल शामिल थे और सिर्फ एससी और एसटी वर्ग से संबंधित लोगों के बारे में ही जानकारी दर्ज की जाती थी। अब जाति जनगणना के लिए अतिरिक्त कॉलम जोड़े जा सकते हैं।
जातियों की गणना के लिए अधिनियम में संशोधन करना होगा
जनगणना अधिनियम 1948 में एससी-एसटी की गणना का प्रावधान है। ओबीसी की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे 2,650 ओबीसी जातियों का डेटा सामने आएगा। 2011 की जनगणना के अनुसार 1,270 एससी और 748 एसटी जातियां हैं। 2011 में एससी की आबादी 16.6% और एसटी की 8.6% थी।
2011 में हुई थी सामाजिक-आर्थिक जनगणना, जारी नहीं हुआ डेटा
मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना हुई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने मिलकर कराया था। हालांकि, इस सर्वेक्षण के डेटा को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर सिर्फ़ एससी-एसटी परिवारों का डेटा ही जारी किया गया है।
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