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बांग्लादेश में 5 महीने में 32 हिंदुओं की हत्या: 13 से बलात्कार, मंदिरों पर हमले की 133 घटनाएं, अल्पसंख्यक संगठन ने रिपोर्ट में किया दावा

32 Hindus killed in Bangladesh in 5 months: 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में लंबे समय तक चले छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार को उखाड़ फेंका गया। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात भी बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात भूमिगत हो गई। कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई।

बेकाबू भीड़ ने सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं को निशाना बनाया। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की हत्या की गई। ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुईं। महिलाओं के साथ बलात्कार और उत्पीड़न की 13 घटनाएं हुईं। मंदिरों पर हमले के 133 मामले सामने आए।

परिषद के मुताबिक, तख्तापलट के बाद सिर्फ 15 दिनों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की कुल 2010 घटनाएं हुईं। 11 जनवरी 2025 को बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार के कार्यालय ने जानकारी दी कि 2010 मामलों में से 1769 की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 1415 मामलों में जांच हो चुकी है। 354 मामलों की समीक्षा की जा रही है।बांग्लादेश सरकार ने 10 दिसंबर तक अल्पसंख्यकों पर हमलों के मामलों में 70 लोगों को हिरासत में लिया। वहीं, कुल 88 मामले दर्ज किए गए हैं।

अल्पसंख्यकों पर हमलों की रिपोर्ट दो भागों में तैयार की गई

यह रिपोर्ट बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने तैयार की है। इसे बनाने में परिषद के महासचिव मुनींद्र कुमार नाथ ने अहम भूमिका निभाई। वे कहते हैं, ‘बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान 4 अगस्त से 8 अगस्त के बीच अल्पसंख्यकों पर बड़े पैमाने पर हमले हुए। हमने इनका डेटा दो भागों में तैयार किया है।’

‘पहला भाग 4 अगस्त से 20 अगस्त 2024 तक के उन 15 दिनों का है, जब सांप्रदायिक घटनाएं अपने चरम पर थीं। देश में पुलिस व्यवस्था काम नहीं कर रही थी।’

‘रिपोर्ट के दूसरे भाग में 20 अगस्त से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुई घटनाएं हैं। यह रिपोर्ट तख्तापलट के बाद के समय की है, जब नई अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली थी। उनके कार्यकाल में भी सांप्रदायिक हमलों का सिलसिला जारी रहा।

तख्तापलट के 15 दिनों के भीतर 9 हत्याएं, 4 बलात्कार, 953 घरों पर हमला

काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, तख्तापलट के पहले 15 दिनों में 2010 सांप्रदायिक घटनाएं हुईं। इससे 1705 अल्पसंख्यक परिवार प्रभावित हुए। 157 परिवारों के घरों और दुकानों पर जानबूझकर हमला किया गया। उन्हें लूटा गया, आगजनी की गई और पीटा गया। उन्हें अपने घर और दुकानें छोड़ने पर मजबूर किया गया।

बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में सांप्रदायिक हिंसा की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं। यहां पूजा स्थलों पर हमले की 69 घटनाएं हुईं। महज 15 दिनों में इन घटनाओं से करीब 50 हजार लोग प्रभावित हुए। ये लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं।

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