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Chhattisgarh Municipal Election Mayor Power: छत्तीसगढ़ के नगर निगम चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ करते हुए महापौर की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के बाद यह बड़ी हार है।
राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि भाजपा ने 35 नगर पालिका परिषद और 81 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद पर भी जीत हासिल की है। हम जानेंगे कि महापौर क्या होता है, उसके अधिकार क्या हैं, महापौर के पास क्या शक्तियाँ होती हैं।
बता दें कि 5 लाख से अधिक आबादी वाले बड़े शहरों में नगर निकाय को नगर निगम या महापालिका कहा जाता है। इसका शीर्ष निर्वाचित प्रतिनिधि महापौर होता है। महापौर उस शहर का प्रथम नागरिक माना जाता है। महापौर को महापौर भी कहा जाता है। वह शहर की सरकार का मुखिया होता है। शहर के सभी विकास कार्यों के लिए वह जिम्मेदार होता है।
पीएम को सौंप सकता है चाबी
नगर निकाय पर महापौर का नियंत्रण होता है। शहर की विकास योजनाएँ बनाना और उन्हें लागू करना महापौर के हाथ में होता है। शहर में पानी, सीवर, सौंदर्यीकरण और बुनियादी सुविधाओं की योजना बनाने का काम भी महापौर का ही होता है।
मेयर निगम की बैठकों की अध्यक्षता करता है। यह शहर के प्रोटोकॉल में सबसे ऊपर है। मेयर की मंजूरी के बाद ही कोई एजेंडा सदन में रखा जाता है। अगर पीएम भी शहर के दौरे पर आते हैं तो मेयर उन्हें कुछ घंटों के लिए शहर की चाबियां सौंप सकते हैं। यह उनका प्रोटोकॉल है।
मेयर बनने के लिए योग्यता
व्यक्ति की उम्र 21 साल या उससे अधिक होनी चाहिए। कम से कम दसवीं पास होना चाहिए।
मेयर को मिलती है इतनी सैलरी
5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में लोगों के विकास कार्यों के लिए नगर निकाय बनाया जाता है इसे नगर निगम कहा जाता है। नगर निगम में निर्वाचित प्रतिनिधि मेयर या महापौर होता है। विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार महापौर को सरकार की तरफ से 26000 हजार सैलरी मिलती है। इसके साथ ही 4000 सत्कार भत्ता प्रतिमाह मिलने का प्रावधान है। इसके अलावा बंगला, गाड़ी, आवास कर्मचारी और दफ्तर कर्मचारी की सुविधाएं मिलती है।
महापौर को मिलती है ये सुविधाएं
इसके अलावा निगम तथा इसकी समितियों की बैठक में भाग लेने के लिए, संबंधित वार्ड समिति की बैठक में भाग लेने के महापौर या उसकी तरफ से भेजे गए सदस्य को 225 रुपए प्रति बैठक की दर से दैनिक भत्ता मिलने का अधिकार है। हालांकि यह 900 रुपए प्रतिमाह से अधिक नहीं हो सकता है। वहीं, मानदेय की बात करें तो महापौर को पूरे साल में करीब 6.60 लाख रुपए का मानदेय मिलता है।
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