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Budget 2025 में Health की कोई बड़ी घोषणा नहीं: भारत में सेहत पर 50% अपनी जेब से खर्च करता है आम आदमी, जानिए क्या-क्या घोषणाएं ?

Budget 2025 Healthcare Allocation; Ayushman Bharat AYUSH Mission | Free Treatment Funds: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में स्वास्थ्य से जुड़ी कोई बड़ी घोषणा नहीं की, जिसकी लोगों को सबसे ज्यादा उम्मीद और जरूरत है।

Budget 2025 Healthcare Allocation; Ayushman Bharat AYUSH Mission | Free Treatment Funds: 85 मिनट के अपने भाषण में उन्होंने सिर्फ एक बार हेल्थकेयर शब्द का इस्तेमाल किया। इस बार भी उन्होंने पिछली बजट की तरह सिर्फ चंद दवाओं पर कस्टम ड्यूटी घटाने और उन्हें थोड़ा सस्ता करने का ऐलान किया है। इसकी प्रमुख बातें ये हैं-

-वित्त मंत्री ने 36 जीवन रक्षक दवाओं के इम्पोर्ट पर कस्टम ड्यूटी पर छूट देने का ऐलान किया है। ये छूट कितनी होगी ये अभी स्पष्ट नहीं है।

-6 जीवन रक्षक दवाओं के आयात पर केवल 5% ड्यूटी लगेगी।

-कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाओं पर दाम घटेंगे।

-मेडिकल उपकरण सस्ते किए जाएंगे, लेकिन कितनी छूट होगी यह अभी स्पष्ट नहीं है।

इसके अलावा बजट में उन्होंने हेल्थ से जुड़ी ये सिर्फ ये बातें कहीं-

सब जिला अस्पतालों में कैंसर डे केयर सेंटर बनेंगे।

इसमें से 200 सेंटर वर्ष 2025-26 में ही खुलेंगे।

सभी प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मुहैया कराई जाएगी।

गिग वर्कर्स को जन आरोग्य योजना से जोड़ा जाएगा।

इस बार हेल्थ से जुड़ी कोई बड़ी घोषणा नहीं; जबकि 2024 की दोनों घोषणाएं बेअसर

पिछले साल यानी 2024 के बजट में स्वास्थ्य से जुड़ी 2 बड़ी घोषणाएं हुई थीं-

1. कैंसर की 3 दवाओं पर कस्टम ड्यूटी जीरो हुई

कैंसर की इन 3 दवाओं पर कस्टम ड्यूटी जीरो की गई-
Trastuzumab Deruxtecan
Osimertinib
Durvalumab

कैंसर के इलाज में सबसे ज्यादा 75% खर्च कीमोथेरेपी, डॉक्टर और अस्पताल की फीस में होता है। वहीं, दवाओं पर 25% खर्च होता।

बेंगलुरु की कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. मानसी खंडेरिया कहती हैं, ‘इन तीन दवाओं की कस्टम ड्यूटी कम करने से इलाज के खर्च में ज्यादा राहत नहीं मिली।’
2. नए मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल बनेंगे

सरकार ने नए मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल शुरू करने का ऐलान किया, लेकिन इनकी संख्या नहीं बताई।

अक्‍टूबर 2024 में पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में तीन नए मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया, जो अभी बन रहे हैं।

सरकार अब तक 16 नए एम्स निर्माण को मंजूरी दे चुकी है। इनमें से किसी का भी निर्माण पूरा नहीं हुआ है।

समय पर डॉक्टर, दवा और इलाज न मिलने से हर घंटे 348 मौतें

भारत सरकार के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के मुताबिक, साल 2019 और 2020 में कुल मिलाकर 1.57 करोड़ लोगों की मौत हुई।

इनमें से 39% यानी लगभग 61 लाख लोगों की मौत समय पर मेडिकल सुविधा न मिलने के कारण हुई।

हालांकि, 2020 कोविड का साल था। इसलिए 2019 में मेडिकल सुविधा न मिलने कारण 26.36 लाख लोगों की मौत हुई, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 36.52 लाख रहा।

इसका मतलब है कि भारत में हर घंटे 348 लोगों की मौत समय पर डॉक्टर, दवाई और इलाज न मिलने के कारण हो रही है।

आम आदमी के इलाज पर खर्च में भारत से चीन, भूटान आगे

किसी भी देश का हेल्थ सिस्टम कैसा है, यह जानने का सबसे बड़ा पैमाना ये है कि इलाज का कितना खर्च लोग करते हैं और कितना सरकार उठाती है।

जब हम इलाज करवाते हैं तो पूरा खर्च हमारी जेब से नहीं जाता। डॉक्टर की फीस, जांच और दवाओं पर सरकार सब्सिडी देती है।

इसके बाद जो हिस्सा हमारी जेब से जाता है, उसे ‘आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर’ कहते हैं।

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत में लोग अपनी जेब से इलाज पर 50% खर्च करते हैं।

UPA के 10 सालों में 3 गुना तो NDA में 2.5 गुना बढ़ा बजट

2004 में भारत सरकार का हेल्थ बजट 9,200 करोड़ रुपए था और 2013 में 27,147 करोड़ रुपए।

यानी, UPA सरकार के दस सालों में हेल्थ बजट औसतन 295% बढ़ा।

मोदी सरकार के 11 साल यानी, 2014 से 2024 के बीच हर साल औसतन हेल्थ बजट 258% बढ़ा।

इस तरह NDA की सरकार UPA सरकार के मुकाबले हेल्थ बजट पर कम खर्च कर रही है।

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