Kawasi Lakhama Harish Lakhma ED raid Chhattisgarh Raipur: ईडी की छापेमारी के बाद सोमवार को पूर्व मंत्री कवासी लखमा, बेटे हरीश और उनके दो करीबियों से पूछताछ होनी थी, लेकिन देर शाम कोई नहीं पहुंचा।
Kawasi Lakhami Harish Lakhma ED raid Chhattisgarh Raipur: लखमा से पूछताछ की खबर से ईडी दफ्तर के आसपास सुबह से ही हलचल मची रही। लेकिन न तो लखमा आए, न ही उनके बेटे और न ही उनके करीबी।
Kawasi Lakhama Harish Lakhma ED raid Chhattisgarh Raipur: इस दौरान रायपुर के धरमपुरा स्थित कवासी लखमा का बंगला भी सूना नजर आया। पूछने पर पता चला कि कवासी लखमा सुबह ही सुकमा के लिए निकल गए थे।
Kawasi Lakhama Harish Lakhma ED raid Chhattisgarh Raipur: जानकारी के मुताबिक लखमा आरक्षण को लेकर बस्तर में आयोजित बंद के कार्यक्रमों में कुछ समय के लिए शामिल हुए थे। जानकारी के मुताबिक उन्हें 2 जनवरी तक ईडी दफ्तर में पेश होने को कहा गया है।
सुशील ओझा लापता
कवासी लखमा के करीबी सहयोगी सुशील ओझा की फिलहाल कोई खबर नहीं है। ओझा भले ही 21 घंटे पहले सोशल मीडिया पर सक्रिय थे, लेकिन इस समय सुशील ओझा कहां हैं, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है।
Kawasi Lakhama Harish Lakhma ED raid Chhattisgarh Raipur: जब लखमा मंत्री थे, तब ओझा ज्यादातर अपने बंगले में ही नजर आते थे। दस्तावेज जब्त करने के बाद ईडी ने सभी लोगों को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया था।
छापे में कई दस्तावेज जब्त
Kawasi Lakhama Harish Lakhma ED raid Chhattisgarh Raipur: रविवार को सुकमा और रायपुर में की गई ईडी की छापेमारी में अफसरों ने कई कागजी और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए हैं।
Kawasi Lakhama Harish Lakhma ED raid Chhattisgarh Raipur: इनमें सभी के मोबाइल फोन भी शामिल हैं। साइबर एक्सपर्ट की मदद से इन्हें डिकोड किया गया है। कॉल डिटेल और चैट के आधार पर आगे की पूछताछ की जाएगी।
Kawasi Lakhama Harish Lakhma ED raid Chhattisgarh Raipur: आपको बता दें कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे हरीश लखमा, सुकमा नगर पालिका परिषद अध्यक्ष जगन्नाथ राजू साहू, जयंत देवांगन और ठेकेदार राजभुवन भदौरिया से पूछताछ के बाद ईडी आगे की कार्रवाई करेगी।
अपनी पिछली ईसीआईआर में ईडी ने कहा है कि आबकारी मंत्री रहते हुए कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपए मिलते थे।
कवासी लखमा ने इस संबंध में कहा था कि उन्हें शराब घोटाले के बारे में मीडिया में छपी खबरों से ही पता चला था। वहीं, अनपढ़ होने के कारण एपी त्रिपाठी जैसे अधिकारियों ने जहां भी कहा, उन्होंने वहीं हस्ताक्षर कर दिए।
Read More- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanista Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS