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कठमुल्ला कहने वाले जस्टिस पर बोले चंद्रचूड़: कहा- जस्टिस शेखर का विरोध किया था, गोगोई को लेटर लिखा था, नेपोटिज्म-रिश्तेदारी से नियुक्ति नहीं होनी चाहिए

Former CJI Dy Chandrachud On Justice Shekhar Yadav: पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने विवादों में चल रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव को लेकर बड़ा खुलासा किया है। चंद्रचूड़ ने कहा कि वह शुरू से जस्टिस शेखर यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट का जज नियुक्ति करने के विरोध में थे।

Former CJI Dy Chandrachud On Justice Shekhar Yadav: उन्होंने कहा कि नियुक्ति नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद) और रिश्तेदारी के आधार पर नहीं होनी चाहिए। जस्टिस यादव ने एक कार्यक्रम में कहा था कि कठमुल्ला देश के लिए घातक है।

Former CJI Dy Chandrachud On Justice Shekhar Yadav: चंद्रचूड़ ने कहा- मैंने इसके लिए तत्कालीन सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई को पत्र भी लिखा था। इसमें शेखर यादव के साथ कई अन्य नामों का भी विरोध किया था। जस्टिस यादव के विरोध का कारण नेपोटिज्म, रिश्तेदारी और अन्य संबंधी होना था।

उन्होंने कहा कि किसी जज का रिश्तेदार होना ही कोई योग्यता नहीं है, नियुक्ति योग्यता के आधार पर होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस रिश्तेदार के प्रभाव से उनकी नियुक्ति हुई है।

Former CJI Dy Chandrachud On Justice Shekhar Yadav: पूर्व सीजेआई ने कहा- सिटिंग जज को हमेशा सावधान रहना चाहिए कि वह न्यायालय के अंदर और बाहर क्या बोल रहा है। एक जज के बयान से ऐसा नहीं होना चाहिए कि जिससे लोग न्यायपालिका को पक्षपाती मानने लगें।

Former CJI Dy Chandrachud On Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव ने 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में कथित रूप से मुस्लिम समुदाय को लेकर बयान दिया था।

उन्होंने कहा था- मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है…और देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा। धार्मिक सभा में धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी।

Former CJI Dy Chandrachud On Justice Shekhar Yadav: इस बयान पर काफी विवाद हुआ था। विपक्षी राजनीतिक दलों ने जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग की मांग की थी। इसी मामले में उन्हें मंगलवार 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सामने भी पेश होना पड़ा था।

Former CJI Dy Chandrachud On Justice Shekhar Yadav: कॉलेजियम ने उन्हें सलाह दी और कहा कि वे अपने संवैधानिक पद की गरिमा बनाए रखें और सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतें।

जस्टिस शेखर यादव कौन हैं

जस्टिस शेखर कुमार यादव ने 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ में ग्रेजुएशन किया। 8 सितंबर 1990 को अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया। वे जौनपुर में वीबीएस पूर्वांचल यूनिवर्सिटी के स्थायी अधिवक्ता के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने दिसंबर 2019 में अतिरिक्त न्यायाधीश और फिर मार्च 2021 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।

पहले भी विवादित बयान दिए

गोरक्षा ‘हिंदुओं का मौलिक अधिकार’ घोषित हो 1 सितंबर को 2021 को जस्टिस शेखर यादव ने कहा था- वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय ही एकमात्र जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ती है। उन्होंने संसद से गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने और गोरक्षा को “हिंदुओं का मौलिक अधिकार” घोषित करने का भी आह्वान किया था।

हिंदू धर्म पर बड़ा सुझाव देकर खड़ा किया था विवाद

 अक्टूबर 2021 में जस्टिस शेखर यादव ने एक फैसले में विवादित सुझाव दिया था। सरकार से राम, कृष्ण, रामायण, गीता, महर्षि वाल्मीकि और वेद व्यास को राष्ट्रीय सम्मान और विरासत का दर्जा देने के लिए एक कानून लाने पर विचार करने के लिए कहा था।

यह भी कहा था कि भगवान राम हर नागरिक के दिल में रहते हैं। भारत उनके बिना अधूरा है। वह देवताओं की अश्लील तस्वीरें बनाने के आरोपी को जमानत पर फैसला दे रहे थे। उनका सुझाव यह भी था कि भारत की सांस्कृतिक विरासत पर बच्चों के लिए स्कूलों में अनिवार्य पाठ होने चाहिए।

अकबर-जोधाबाई अंतर धार्मिक विवाह के अच्छे उदाहरण 

अंतर-धार्मिक विवाह पर उनकी टिप्पणी सुर्खियां बन गईं थीं। जून 2021 में वह धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उस पर एक लड़की के अपहरण और जबरन मुस्लिम धर्म कबूल कराने का आरोप था।

जज ने कहा था कि अगर बहुसंख्यक समुदाय का कोई व्यक्ति अपमान के बाद अपने धर्म से धर्मांतरण करता है, तो देश कमजोर हो जाता है। अकबर और जोधाबाई को अंतर धार्मिक विवाह के अच्छे उदाहरण के रूप में बताया था।

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