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पूर्व RTO कांस्टेबल के पास मिले 2.85 करोड़ कैश: लोकायुक्त का छापा, आधा किलो सोना, 50 लाख के जेवर और चांदी की सिल्लियां मिलीं

Madhya Pradesh Bhopal 2.85 crore cash found with former RTO constable: लोकायुक्त टीम ने अरेरा कॉलोनी स्थित पूर्व आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) कांस्टेबल सौरभ शर्मा के घर पर छापा मारा। डीएसपी वीरेंद्र सिंह ने बताया- सौरभ के घर से 1.15 करोड़ रुपए नकद, आधा किलो सोना, करीब 50 लाख रुपए के हीरे और सोने के जेवरात और चांदी की सिल्लियां समेत प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले हैं। उसके दफ्तर से 1.70 करोड़ रुपए नकद और प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले हैं।

सौरभ शर्मा परिवहन विभाग (आरटीओ) में कांस्टेबल रह चुके हैं। एक साल पहले उन्होंने वीआरएस ले लिया था। फिलहाल वे रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े हैं। उनके एक होटल पर भी छापा मारा गया है। सौरभ के एक दोस्त के घर पर भी कार्रवाई की गई। दोनों पर परिवहन चौकियों पर तैनाती के लिए दलाली करने का आरोप है। सौरभ ने महज 12 साल की नौकरी में पूरे प्रदेश में करोड़ों का अवैध साम्राज्य खड़ा कर लिया है। सौरभ शर्मा फिलहाल दुबई में हैं। घर पर सिर्फ मां और नौकर हैं।

घर के इंटीरियर पर खर्च हुए दो करोड़ रुपए

सौरभ के आलीशान घर की साज-सज्जा में महंगे सेनेटरी झूमर, लग्जरी आइटम मौजूद थे। इंटीरियर डिजाइनिंग पर करीब दो करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। लोकायुक्त टीम को उसके घर से चांदी की सिल्लियां मिली हैं।

सौरभ शर्मा कांस्टेबल से बिल्डर बन गया

सौरभ शर्मा वीआरएस लेने से पहले ही रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़ गया था। वह प्रदेश के कई रसूखदार लोगों का करीबी था। इसलिए कार्रवाई के डर से उसने वीआरएस ले लिया और बिल्डर बन गया। लोकायुक्त को भोपाल समेत प्रदेश के कई जिलों में उसकी संपत्ति के सबूत मिले हैं। अब तक की कार्रवाई में लोकायुक्त टीम को सौरभ के एक होटल और एक स्कूल में निवेश के सबूत मिले हैं।

डीजी ने 2 जगहों पर छापेमारी की पुष्टि की

डीजी लोकायुक्त जयदीप प्रसाद ने बताया कि सौरभ शर्मा के दो ठिकानों पर कार्रवाई की जा रही है। सुबह 7 बजे दो टीमें उसके अलग-अलग ठिकानों पर भेजी गईं। उसके खिलाफ पहले भी शिकायत मिली थी। इसकी जांच के बाद कार्रवाई की गई है।

पिता की जगह मिली अनुकंपा नौकरी

बताया जा रहा है कि सौरभ को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। उनके पिता पहले परिवहन विभाग में पदस्थ थे। मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले सौरभ एक साधारण परिवार से थे। नौकरी के कुछ ही सालों में उनकी जीवनशैली बदल गई थी। इसकी शिकायत विभाग और दूसरी जगहों पर होने लगी। इस पर सौरभ ने वीआरएस लेने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने भोपाल के कई नामी बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में निवेश करना शुरू कर दिया।

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