खरीदी 5 करोड़ की और भुगतान सिर्फ 1 करोड़ ? धान बेचकर खाली हाथ लौट रहे किसान, RBI की मंजूरी ठंडे बस्ते में, भुगतान के इंतजार में सुबह से हो रही शाम
गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में पिछले 4 साल में 30 फीसदी पंजीकृत किसानों की संख्या बढ़ी है। धान खरीदी रोजाना 5 करोड़ की हो रही है, लेकिन किसानों को भुगतान केवल 1 करोड़ ही हो रहा है। किसान सुबह से शाम तक अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं। सहकारी बैंक प्रबंधन ने सीनापाली में नवीन बैंक शाखा खोलने की आरबीआई की मंजूरी के बावजूद ठंडे बस्ते में डाल दिया।
दरअसल, देवभोग जिला सहकारी बैंक के अधीन 10 खरीदी केंद्र आता है, जहां 94 गांव के 9780 किसान धान बेचते हैं। रोजाना 1 हजार किसान 4 से 5 करोड़ का धान बेचते हैं। कर्ज कटौती के बावजूद बैंक से कम से कम 3 करोड़ का भुगतान किसानों को लेना होता है, लेकिन बैंकों में 1 करोड़ का भुगतान होते होते पूरा दिन निकल जाता है।
दूसरे दिन किसानों से बैंक भर गया
सुबह से अपनी बारी का इंतजार करते करते किसानों का पूरा दिन भुगतान के इंतजार में निकल जाता है। कैश किल्लत के चलते देवभोग में बुधवार को भुगतान नहीं हो सका, जिसके कारण आज दूसरे दिन किसानों से बैंक भर गया।
बैंक के बाहर साप्ताहिक बाजार जैसा माहौल
बैंक के भीतर, प्रांगण के अलावा सड़कों पर भी किसान भुगतान के लिए इंतजार करते दिखे। भुगतान को लेकर किल्लत गोहरापदर सहकारी बैंक में भी हैं। यहां बैंक के बाहर साप्ताहिक बाजार जैसा माहौल रहता है।
चार साल में 30 फीसदी बढ़ा पंजीकृत किसानों की संख्या
2020 में देवभोग ब्रांच के पंजीकृत कृषकों की संख्या 6 हजार से भी कम थी वर्तमान में 9700 से पार हो गई है। एक मुश्त कर्ज माफ योजना के बाद पंजीकृत किसानों की संख्या सभी जगह बढ़ी। समर्थन मूल्य में मिलने वाले बोनस मिलते ही कृषि के प्रति रुझान बढ़ गया।
सहकारिता बैंक पर किसानों की निर्भरता भी बढ़ गई, लेकिन समय के साथ बैंकों को अपग्रेड नहीं किया गया, जिसके चलते समर्थन मूल्य खरीदी योजना से जुड़े कृषकों को भुगतान के समय कई परेशानी का सामना करना पड़ता है।
सीनापाली की नवीन शाखा मंजूरी के बावजूद नहीं खुला
किसान नेताओं की मांग पार भूपेश सरकार ने 6 दिसंबर 2022को सीनापाली में सहकारी बैंक खोलने की घोषणा कर दिया। इसके खुलने से 12 पंचायत से जुड़े 30 से भी ज्यादा गांव का भार देवभोग ब्रांच से कम हो जाता। जिला सहकारी बैंक रायपुर कार्यालय ने 30 जुलाई 2024 को गोहरापदर ब्रांच को पत्र लिख, आर बी आई से मिली मंजूरी का हवाला देकर स्थल चयन का निर्देश दिया।
चयन प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई, लेकिन अचानक बैंक खोलने की प्रकिया शिथिल कर दिया गया। इससे क्षेत्र के किसानों में आक्रोश भी है। किसान प्रतिनिधि हरीश चन्द्र नागेश, त्रिनाथ मांझी, रोहित पटेल, शंकर सोनी, प्रेमलाल साहू, तुलसिंह मांझी, प्रमोद यादव ने कहा कि मंजूरी मिली बैंक को नहीं खोला गया तो आगे इसके लिए सड़क की लड़ाई लड़ेंगे।
स्टाफ की कमी थी, दोबारा मांगी है अनुमति
मामले में जिला सहकारी बैंक रायपुर की सीईओ अपेक्षा व्यास ने कहा कि तब स्टाफ की कमी थी, अब भर्ती हो गई है। आर बी आई को दोबारा पत्र लिख अनुमति मांगी गई है। जल्द ही प्रकिया शुरू कर दिया जाएगा।
भुगतान की समस्या को लेकर सीईओ अपेक्षा व्यास ने कहा कि प्रत्येक ब्रांच में ए टी एम, कई खरीदी केंद्रों में माइक्रो ए टी एम खोली गई है। यूपीआई और ऑन लाइन बैंकिंग से भुगतान की प्रकिया का प्रावधान है। जगह जगह शिविर लगाकर कृषकों को इन भुगतान पद्धति से अवगत भी कराया जा रहा है।
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