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जोगी परिवार की कांग्रेस में होगी वापसी: बड़े नेताओं के संपर्क में रेणु और अमित जोगी, बागी नेता मांग रहे माफी

Chhattisgarh Jogi family will return to Congress: छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस बागी नेताओं को वापस लाने जा रही है। जोगी परिवार की कांग्रेस में वापसी की भी चर्चा है। बताया जा रहा है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच पार्टी में बागी होकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं ने माफी भी मांग ली है।

जब दैनिक भास्कर ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज से जोगी परिवार के कांग्रेस में शामिल होने के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि फिलहाल पार्टी में शामिल होने के लिए उनका आवेदन नहीं आया है, लेकिन अगर आवेदन आता है तो कमेटी और हाईकमान इस पर फैसला लेंगे।

पायलट ने 7 नेताओं को दी जिम्मेदारी

कांग्रेस के बागी और गद्दारों की घर वापसी के लिए प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत समेत 7 नेताओं को जिम्मेदारी दी है। सूत्रों के मुताबिक रेणु और अमित जोगी पार्टी के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं, उन्होंने फिर से कांग्रेस में वापसी की गुहार लगाई है।

चरणदास महंत से की मुलाकात

रायपुर दक्षिण के उपचुनाव से पहले अमित और रेणु जोगी ने नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान कांग्रेस की वापसी को लेकर भी चर्चा हुई। जेसीसीजे ने दक्षिण उपचुनाव में कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया था। हालांकि, इस समर्थन से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिला।

पार्टी के बागियों ने किया संपर्क

कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले भी पार्टी में वापसी चाहते हैं। हार के बाद ऐसे नेताओं को पार्टी में वापस लाने की कोशिशें जारी हैं। इसके लिए कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं से संपर्क किया गया है। कमेटी बनाने से उनकी वापसी का रास्ता खुल सकता है।

पार्टी से निकाले गए नेताओं ने पार्टी में वापस आने के लिए संगठन को आवेदन दिया है। इसमें कई नेताओं ने लिखित में माफी भी मांगी है। हार के बाद कई नेता पार्टी में शामिल होने के लिए संपर्क कर रहे थे।

अब ये आवेदन कमेटी के पास जाएंगे और फिर कमेटी आवेदनों की जांच कर अपनी टिप्पणी देगी। फिर यह रिपोर्ट प्रदेश प्रभारी के पास जाएगी और पार्टी में वापसी का फैसला लिया जाएगा।

पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ दिए थे बयान

कांग्रेस में कई ऐसे नेता थे जिन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर खुलकर बयानबाजी की थी। इसमें पहला नाम राजनांदगांव के पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुरेंद्र दाऊ का है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने मंच पर कांग्रेस नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि 5 साल तक हमारी सरकार थी और तब सबसे ज्यादा हमें ही परेशान किया गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलना भी मुश्किल था, तब कार्यकर्ताओं की जरूरत नहीं थी। आज कार्यकर्ताओं की याद आ रही है। विनय जायसवाल और बृहस्पति सिंह ने की थी बगावत इसके अलावा पूर्व विधायक विनय जायसवाल और बृहस्पति सिंह ने भी पार्टी विरोधी बयान दिए थे।

बृहस्पति सिंह ने चुनाव में हार के लिए एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल, छत्तीसगढ़ की तत्कालीन प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को जिम्मेदार ठहराया था। टिकट न मिलने पर विनय जायसवाल ने बगावत कर चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भी लिया था, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था।

रामशरण यादव और प्रेमचंद जायसी पर कार्रवाई

बृहस्पति सिंह और विनय जयसवाल के अलावा बिलासपुर के मेयर रामशरण यादव और प्रेमचंद जायसी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निलंबित कर दिया गया. इसके बाद विनय जयसवाल, रामशरण यादव और प्रेमचंद जायसी का निष्कासन रद्द कर दिया गया, जबकि बृहस्पति सिंह की सदस्यता अभी तक बहाल नहीं की गयी है.

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