MP में हर महीने 2500 पति अपनी पत्नियों से प्रताड़ित: IAS-IPS और ओला ड्राइवर तक शामिल, जानिए इनकी पूरी कहानी
Every month 2500 husbands in MP are harassed by their wives: ‘कई बार मेरा भी बेंगलुरु के एआई इंजीनियर सुभाष की तरह आत्महत्या करने का मन करता है। लेकिन, कभी माता-पिता तो कभी छोटे भाई-बहनों का चेहरा सामने आ जाता है। मैं इस प्रताड़ना से तंग आ चुका हूं। पैसों का यह गंदा खेल बंद होना चाहिए। यह कहना है भोपाल के रंजीत सिंह राजपाल का, जो अपनी पत्नी से प्रताड़ित हैं। राजपाल की पत्नी ने चार साल पहले उनके और उनकी मां के खिलाफ प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था।
दरअसल, यह सिर्फ एक मामला नहीं है। मप्र में पत्नियों से प्रताड़ित ढाई हजार पुरुष हर महीने सेव इंडियन फैमिली की सहयोगी संस्था भाई (BHAI) से मदद मांगते हैं। साल भर में यह आंकड़ा करीब 25 हजार है। मदद मांगने वालों में आईएएस-आईपीएस से लेकर ओला ड्राइवर तक शामिल हैं। संस्था के पदाधिकारियों के मुताबिक, ज्यादातर शिकायतें भरण-पोषण और घरेलू प्रताड़ना के मामलों से जुड़ी हैं।
जानिए इन 3 मामलों में पत्नियों से प्रताड़ित हुए पतियों की कहानी
1. माता-पिता से अलग रहने की जिद पर केस दर्ज
भोपाल निवासी अभिषेक शुक्ला बताते हैं कि उनकी शादी वर्ष 2014 में हुई थी। शादी के बाद हम तीन-चार महीने ही साथ रहे। इसके बाद पत्नी के माता-पिता से झगड़े होने लगे। रोज-रोज के झगड़ों से तंग आकर मैं किराए के मकान में रहने लगा।
इसके बाद भी मेरी पत्नी मुझसे कहती कि तुम अपने माता-पिता से मिलने नहीं जाओगे, सारा समय मुझे दोगे और अपने माता-पिता को छोड़ दो। अभिषेक कहते हैं कि बच्चों का अपने माता-पिता को छोड़कर जाना संभव नहीं है। आखिर में पत्नी अपने मायके चली गई। फिर वापस नहीं लौटी। सीधे नोटिस आ गया। पहले दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज हुआ। उसके बाद घरेलू हिंसा और भरण-पोषण का केस भी दर्ज हुआ।
8 साल की बेटी को देखा, उससे कभी बात नहीं की
केस दर्ज होने के बाद कोर्ट की कार्यवाही का जिक्र करते हुए अभिषेक कहते हैं कि चूंकि माता-पिता बुजुर्ग हैं, इसलिए उन्हें बार-बार कोर्ट ले जाना काफी परेशानी भरा था। एक बार चाचा गवाही देने आए लेकिन उस दिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्हें अपना आरक्षण रद्द करना पड़ा। ये सभी मामले 6-7 साल तक चले।
इस दौरान मेरी पत्नी सिर्फ भरण-पोषण के मामले में पेश होने के लिए कोर्ट आती थी। दहेज उत्पीड़न के मामले में वह कभी नहीं आई। जब मामला पांच साल पुराना हो गया और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पांच साल पुराना मामला बंद कर दिया जाए, तब सुनवाई जारी रही। अंत में कोर्ट ने सेटलमेंट का आदेश दिया।
एक रकम तय हुई जो मैंने अपनी पत्नी को दे दी। इसके बाद हम तीनों ही मामलों में बरी हो गए। अभिषेक का कहना है कि यह फिरौती और जबरन वसूली का मामला है। उनका कहना है कि मेरी एक बेटी है, मुझे कभी उससे मिलने नहीं दिया गया। जब भी मैं उससे मिलने की कोशिश करता तो मुझे कहा जाता कि उसकी जान को मुझसे खतरा है।
मेरी बेटी अब आठ साल की हो गई है। आखिरी बार मेरी पत्नी उसे कोर्ट में फाइनल सेटलमेंट के दौरान लेकर आई थी। मैं उसे दूर से देखता रहा। उससे बात नहीं की।
2. चार साल बाद हालात खराब हो गए
जितेंद्र कहते हैं कि मेरी शादी 2017 में हुई थी। शादी के बाद 3-4 साल तक तो सब ठीक रहा, लेकिन बाद में हालात खराब हो गए। घर में कलह होने लगी, पत्नी धमकी देने लगी कि तुम्हें अंदर (जेल) करवा दूंगी। तुम्हारे परिवार को जेल भेज दूंगी। केस कर दूंगी।
उसने धमकियों को सच साबित कर दिया। उसने मेरे खिलाफ दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, भरण-पोषण का केस कर दिया। हमने समाज की पंचायत बुलाई। पंचायत में कहा गया कि अगर आपस में नहीं बन रही है तो तलाक ले लो। वह दोनों बच्चों को लेकर मायके चली गई।
बेटे के हार्ट में ब्लॉकेज है, उससे मिलने नहीं दिया जाता
जितेंद्र कहते हैं कि जब मेरा बेटा बीमार था, तो मुझसे कहा गया कि मेरा बेटा मेरे पास रहेगा। पिछले साल जब मैं उससे आखिरी बार मिला, तो उसने मेरे बेटे को मुझे नहीं सौंपा। न तो मुझे बच्चों से मिलने दिया जाता है और न ही उनसे बात करने दिया जाता है। मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
मेरा तलाक हो चुका है। मैं अपनी पत्नी को भरण-पोषण के लिए एकमुश्त रकम दे चुका हूं। पिछले एक साल से मुझे अपने बेटे की हालत के बार…
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