MP में चलती एंबुलेंस में लड़की से दुष्कर्म: पीड़िता की मां बोली- पहले दिन पुलिस ने समझौता करने कहा, 3 दिन बाद केस दर्ज
Madhya Pradesh Mauganj girl raped in ambulance update: मध्यप्रदेश के मऊगंज में एंबुलेंस में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने तीन दिन बाद केस दर्ज किया। पीड़ित लड़की की मां ने कहा कि पहले दिन पुलिस ने समझौता करने को कहा, दूसरे दिन कहा- मैडम नहीं हैं, कल आना। 22 नवंबर को चलती एंबुलेंस में 16 साल की लड़की से दुष्कर्म हुआ था।
25 नवंबर को पुलिस ने पीड़िता के मामा, उसकी बेटी, दामाद और एंबुलेंस चालक के खिलाफ केस दर्ज किया। 27 नवंबर को जीजा और एंबुलेंस चालक को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को पुलिस ने पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है। मामा और उसकी बेटी फरार हैं।
पीड़िता ने कहा- दीदी-जीजा ने मुझे धोखे से एंबुलेंस में बैठाया
पीड़िता ने कहा, ‘मैं अपनी नानी के घर रहती हूं। मेरे एक सगे मामा का घर भी कुछ दूरी पर है। 22 नवंबर की शाम को मैं उसी मामा के घर गई थी। इसी घर के पास दूसरे मामा का भी घर है। यहां मेरी मुलाकात मेरे मामा की बेटी यानी मेरी बड़ी चचेरी बहन (आरोपी) से हुई। मैं उसे दीदी कहता हूं। दीदी ने पूछा कि मैं बहुत दिनों से घर क्यों नहीं आया? मैं बहुत दिनों से उनके घर नहीं गया था। अंधेरा भी हो रहा था। मुझे लगा कि दीदी ने बहुत जिद की है। अगर मैं नहीं जाता तो उन्हें बुरा लगेगा।
यह सोचकर मैं दीदी के साथ उनके घर चला गया। घर पर उनकी (मामा की) बड़ी बेटी पहले से ही मौजूद थी, मैं उसके पास बैठ गया। हम बातें करने लगे। उसने मेरा हालचाल पूछा। हमने परिवार के बारे में बात की। जब मैं बड़ी दीदी से बात कर रहा था, तो छोटी दीदी बीच में घर के अंदर चली गईं। जीजा भी घर के अंदर मौजूद थे। थोड़ी देर बाद घर के बाहर एक एंबुलेंस ड्राइवर गाड़ी लेकर खड़ा था।
वह जीजा का दोस्त रहा होगा। मैं ड्राइवर को नहीं जानता था। फिर दीदी और जीजा ड्राइवर से मिलने के लिए बाहर गए। थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे बुलाया। मैं उनके पास पहुंची तो उन्होंने कहा- चलो हाटा में बहन से मिलने चलते हैं। मैं दीदी के कहे अनुसार एंबुलेंस में बैठ गई। चाचा ड्राइवर के साथ गाड़ी में बैठ गए। यह बात मेरी दादी और चाचा को भी नहीं पता थी।
मेरी बड़ी बहन और जीजा मेरे साथ उस जगह पर बैठ गए जहां मरीज को लिटाया जाता है। गाड़ी गांव से निकली ही थी कि मेरी बहन ने कहा कि उसे प्यास लगी है। उन्होंने गाड़ी रोकने को कहा। गाड़ी रुकते ही वह उतर गई। मैंने भी अपनी बहन के साथ गाड़ी से उतरने की कोशिश की, लेकिन मेरे जीजा ने मेरा हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया और गेट बंद कर दिया।
मैं बुरी तरह डर गई थी। मैं चीखी-चिल्लाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मेरे जीजा ने मेरा गला दबाया और कहा- शोर मचाया तो जान से मार दूंगा। मैं डर के मारे चुपचाप बैठी रही। एंबुलेंस की रफ्तार बढ़ गई।
थोड़ी देर बाद मेरे जीजा ने मेरे साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। मैं रो रही थी, लेकिन वह मुझसे कहता कि गला दबाकर मार डालो। उसने मेरे साथ गलत काम किया। मैं चीखती-चिल्लाती रही। करीब एक घंटे बाद एंबुलेंस जंगल में सुनसान जगह पर ले जाकर रुकी। मैं उसके अंदर थी।
मैं रोती रही, कोई सुनने वाला नहीं था
सुबह करीब 5 बजे उन्होंने मुझे गांव में छोड़ दिया। मैं वहीं बैठकर रोने लगी। घर जाने की हिम्मत नहीं हुई। मैं उसी जगह छुपकर बैठी रही। किसी तरह 10 बजे मैं घर पहुंची। मैंने अपनी मां को गले लगाया। मैं एक भी शब्द नहीं बोल पाई। लेकिन, मेरी हालत देखकर वह समझ गई। वह मुझे थाने ले गई। मैंने पुलिस को अपने साथ हुए दुष्कर्म के बारे में बताया।
मेरी मां बोली- मैं तीन दिन तक थाने के चक्कर लगाती रही
जब मैं 23 नवंबर की दोपहर लड़की को लेकर शाहपुर थाने पहुंची। पुलिस ने कहा- आपस में मामला सुलझा लो। काफी देर बैठने के बाद मैं घर वापस चली गई। 24 तारीख को जब दोबारा रिपोर्ट दर्ज कराने थाने पहुंची तो पुलिस वालों ने कहा कि मैडम आज नहीं हैं, इसलिए रिपोर्ट दर्ज नहीं होगी, कल आना। दोनों घर चले गए। 25 नवंबर को वापस आए। इसी दिन रिपोर्ट दर्ज हुई।
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