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Justice Sanjiv Khanna होंगे 51वें CJI: DY Chandrachud के कार्यकाल के बचे हैं सिर्फ 6 महीने, जानिए कब होंगे रिटायर ?

CJI DY Chandrachud Tenure Justice Sanjiv Khanna Supreme Court: जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार को उनके नाम की सिफारिश की है। दरअसल, सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।

CJI DY Chandrachud Tenure Justice Sanjiv Khanna Supreme Court: यह परंपरा है कि मौजूदा सीजेआई अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उनसे कानून मंत्रालय ऐसा करने का अनुरोध करता है।

CJI DY Chandrachud Tenure Justice Sanjiv Khanna Supreme Court: सीजेआई चंद्रचूड़ के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस संजीव खन्ना का नाम है। इसलिए जस्टिस खन्ना का नाम आगे बढ़ाया गया है। हालांकि, उनका कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा।

CJI DY Chandrachud Tenure Justice Sanjiv Khanna Supreme Court: 64 वर्षीय जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वे करीब 275 बेंच का हिस्सा रहे हैं।

वे 14 साल तक दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहे

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में बतौर वकील रजिस्ट्रेशन कराया। सुप्रीम कोर्ट के जज बनने से पहले वे 14 साल तक दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहे। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया।

सुप्रीम कोर्ट के जज बनने पर हुआ था विवाद

32 जजों की अनदेखी कर जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने पर काफी विवाद हुआ था। 10 जनवरी 2019 को कॉलेजियम ने उनकी जगह जस्टिस माहेश्वरी और वरिष्ठता में जस्टिस खन्ना को 33वें स्थान पर प्रमोट करने का फैसला किया। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सिफारिश पर हस्ताक्षर किए।

वरिष्ठता की अनदेखी कर CJI बनाने के दो मामले, दोनों इंदिरा सरकार के अप्रैल 1973 में सुप्रीम कोर्ट के तीन वरिष्ठ जजों को दरकिनार कर एएन रे को CJI बनाया गया था।

1977 में जब जस्टिस रे रिटायर हुए, तब जस्टिस एचआर खन्ना सबसे वरिष्ठ थे। लेकिन, उनकी जगह जस्टिस एमएच बेग को चुना गया। जस्टिस खन्ना ने आपातकाल के दौरान इंदिरा सरकार के खिलाफ फैसले दिए थे, जस्टिस संजीव खन्ना उनके भतीजे हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना के पिता जस्टिस देवराज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। उनके चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के जज थे। यह एक दुर्लभ संयोग था कि जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर अपना पहला दिन उसी कोर्टरूम से शुरू किया, जहां से उनके चाचा दिवंगत जस्टिस एचआर खन्ना रिटायर हुए थे।

समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। अगस्त 2024 में समलैंगिक विवाह पर 52 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया।

CJI DY Chandrachud Tenure Justice Sanjiv Khanna Supreme Court: सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस खन्ना ने इसके पीछे निजी कारणों का हवाला दिया। जस्टिस खन्ना के अलग होने से पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करने के लिए पांच जजों की नई बेंच बनाने की जरूरत होगी। इसके बाद ही उन पर सुनवाई हो सकेगी।

CJI DY Chandrachud Tenure Justice Sanjiv Khanna Supreme Court: दरअसल, 17 अक्टूबर 2023 को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया था। इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 52 याचिकाएं दायर की गई हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना के चर्चित केस

VVPAT का 100% वैरिफिकेशन

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारतीय चुनाव आयोग (2024) में जस्टिस खन्ना की बेंच ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर डाले गए वोटों के 100% VVPAT सत्यापन की मांग करने वाली ADR की याचिका को खारिज कर दिया था।

फैसले में जस्टिस खन्ना ने लिखा कि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग के सभी सुरक्षा उपायों को रिकॉर्ड में रखना चाहते हैं।

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 

2024 में पांच जजों की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक घोषित कर दिया। जस्टिस खन्ना ने सहमति जताते हुए लिखा कि अगर बैंकिंग चैनल के जरिए दान दिया जाता है, तो दानकर्ताओं की निजता का अधिकार नहीं होता।

उनकी पहचान उस व्यक्ति और बैंक के अधिकारियों को असममित रूप से पता होती है, जहां से बॉन्ड खरीदा जाता है।

अनुच्छेद 370​ निरस्त करना

2023 में जस्टिस खन्ना ने पांच जजों की बेंच के फैसले में सहमति व्यक्त की, जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता को बरकरार रखा।

उन्होंने पाया कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 संघवाद की विशेषता थी, न कि संप्रभुता का संकेत। इसका निरस्तीकरण संघीय ढांचे को नकारता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट को तलाक देने का अधिकार

2023 में शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन मामले में जस्टिस खन्ना ने बहुमत की राय लिखी, जिसमें कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को सीधे तलाक देने का अधिकार है। उन्होंने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट पूर्ण न्याय देने के लिए विवाह के अपूरणीय विघटन के आधार पर तलाक दे सकता है।

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