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दिवाली से 24 दिन पहले गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग: खरीदारी के लिए महामुहूर्त, सर्वार्थ सिद्धि योग से पूरे होंगे सभी काम

24 days before Diwali Guru Pushya Nakshatra coincides: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर 24 अक्टूबर गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग बनेगा। गुरु पुष्य के इस संयोग का इंतजार किया जा रहा है। मान्यता है कि कार्तिक मास का पुष्य नक्षत्र देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा वाला माना जाता है। पुष्य नक्षत्र में खरीदारी का विशेष मुहूर्त होता है। इस दिन की गई खरीदारी से अक्षय समृद्धि प्राप्त होती है।

पं. अमर डिब्बावाला ने बताया, ‘दिवाली से पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों के समूह में नक्षत्रों का राजा कहलाता है। भारतीय ज्योतिष की गणना पर गौर करें तो पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि और उप स्वामी बृहस्पति है। शनि को काल पुरुष की ऊर्जा का कारक और पुरुषार्थ की प्रेरणा माना जाता है। बृहस्पति को ज्ञान, त्याग, शिक्षा और आध्यात्म का कारक कहा जाता है।’

पं. डिब्बावाला ने बताया, ‘यही वजह है कि भौतिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए सुख-सुविधा की दृष्टि से खरीदारी की मान्यता है। इसके तहत लोग इलेक्ट्रॉनिक सामान, सोने-चांदी के आभूषण, चांदी की मूर्तियां, दोपहिया, चार पहिया वाहन, कपड़े, जमीन, प्लॉट, मकान, फैक्ट्री आदि में निवेश करते हैं और इस नक्षत्र की शुभता को समृद्धि का कारण मानते हैं।’

नए कार्य भी कर सकते हैं शुरू

चूंकि पुष्य नक्षत्र के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है, इसलिए इस दिन सभी प्रकार के कार्य सफल माने जाते हैं। अगर आपने अपने ग्रह नक्षत्र के आधार पर कोई कार्य योजना बनाई है, तो इस दिन इस योजना को शुरू कर सकते हैं या अगर कोई नया व्यवसाय या व्यापार या प्रतिष्ठान की बड़ी स्थापना करनी है, तो इस दिन का लाभ उठा सकते हैं।

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शनि बृहस्पति के केंद्र त्रिकोण का मिलेगा लाभ

ग्रह गोचर की गणना के अनुसार, वर्तमान में शनि कुंभ राशि में, बृहस्पति वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं। इस दिन पुष्य नक्षत्र का प्रभाव पूरे दिन विद्यमान रहेगा। शनि का केंद्र योग और बृहस्पति का त्रिकोण योग आदि स्थितियां बनेंगी, जो समृद्धि को स्थायित्व प्रदान करेंगी। इस दृष्टि से भी आप सोने के आभूषण, लोहे के उत्पाद या वाहन का संचय कर सकते हैं।

शनि पुष्य नक्षत्र का स्वामी होने से स्थायी संपत्ति खरीदने की योजना भी बना सकते हैं, जिसमें भूमि, भवन, व्यापारिक प्रतिष्ठान, कपड़ा मिल, इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केटिंग से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए इस विशेष दिन का उपयोग किया जा सकता है।

भारतीय विदेश नीति का प्रभाव बढ़ेगा

पं. डिब्बावाला ने बताया कि ग्रहों की स्थिति और नक्षत्र की गणना के अनुसार शनि विदेश नीति और कूटनीति का कारक है। वहीं गुरु सर्वोच्च पद के साथ ज्ञान, श्रेष्ठता और वरिष्ठता का कारक माना जाता है। दोनों के योग से यह नक्षत्र आने वाले 3 महीनों में भारत की विदेश नीति और कूटनीति को मजबूती देगा। उत्तर-पश्चिम दिशा और मध्य एशिया में अपने विशेष प्रभाव की छाप छोड़ते हुए भारतीय बाजार को दुनिया में अग्रिम पंक्तियों में खड़ा करेगा।

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