Chhattisgarh Sakti fake SBI branch mastermind Anil Bhaskar arrested: छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में फर्जी एसबीआई शाखा खोलकर लोगों से ठगी करने वाले मास्टरमाइंड को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की गिरफ्त में आया आरोपी अनिल भास्कर है, जो सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के दुमहानी गांव का रहने वाला है। आरोपी सक्ती जिले के मालखरौदा थाना क्षेत्र के छपोरा गांव में फर्जी एसबीआई बैंक संचालित कर रहा था।
कैसे बनी थी प्लानिंग
पुलिस के मुताबिक आरोपी ने अपने साथियों की मदद से फर्जी एसबीआई बैंक खोलकर बिना किसी लिखित परीक्षा के लोगों से नौकरी के नाम पर ठगी करने की योजना तैयार की। बेरोजगार उसके झांसे में आ गए और एसबीआई में नौकरी के नाम पर मोटी रकम चुका दी। आरोपी ने फर्जी शाखा खोलने के 10 दिन के अंदर 6 लोगों से लाखों रुपए ठग लिए।
जब फर्जी एसबीआई शाखा का भंडाफोड़ हुआ तो आरोपी अपने साथियों के साथ मौके से फरार हो गया। इसके बाद मालखरौदा थाने में मामला दर्ज कराया गया।
नौकरी के नाम पर कई जगह ठगी कर चुका है आरोपी
पुलिस ने बताया कि आरोपी अनिल भास्कर शातिर किस्म का व्यक्ति है. वह रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 7.5 लाख रुपए ठग चुका है. जिसकी रिपोर्ट बिलासपुर के तोरवा थाने में दर्ज है. आरोपी ने सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर कई लोगों से ठगी की है. आरोपी ने सक्ती जिले में एसबीआई में नौकरी दिलाने के नाम पर करीब 6.5 लाख रुपए ठगे हैं.
एसडीओपी मनीष कुंवर का कहना है कि, आरोपी ने ठगी के पैसों से एक कार और एक मोबाइल फोन खरीदा है. आरोपी अनिल भास्कर के अलावा मामले में आठ और आरोपी हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। आरोपियों का मुख्य निशाना बेरोजगार युवा थे, जो नौकरी की तलाश में थे। वे उनसे मोटी रकम लेकर विभिन्न तरीकों से ठगी करते थे। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है।” मनीष कुंवर, एसडीओपी
कैसे हुआ खुलासा?
बता दें कि 18 सितंबर को एक व्यावसायिक परिसर में फर्जी बैंकिंग यूनिट लगाई गई थी। यहां एसबीआई के पोस्टर और बैनर लगाए गए थे। लोगों को कुछ फर्जी लगा, जिसके बाद पुलिस में शिकायत की गई। इसके बाद कोरबा एसबीआई क्षेत्रीय कार्यालय से आई टीम ने शाखा का निरीक्षण किया तो पता चला कि यह फर्जी है।
पहले जानिए कैसे हुई कर्मचारियों की नियुक्ति
वैभवी कॉम्प्लेक्स में खुली इस कथित ब्रांच में 6 युवाओं को नियुक्ति दी गई। इन युवाओं से 2 लाख से लेकर 6 लाख रुपए तक लिए गए। देश के सबसे बड़े बैंक में नौकरी की चाहत में पैसे देने के लिए युवाओं ने कर्ज लिया और गहने तक गिरवी रखे।
इन युवाओं को इंटरव्यू के जरिए चयनित किया गया। फिर ट्रेनिंग के नाम पर बुलाया गया और चयन के बाद कर्मचारियों को ऑफर लेटर भी दिए गए, जो देखने में असली जैसे थे। इसके बाद इन्हें अलग-अलग जिले में नियुक्ति देने की बात कही गई।
इन ऑफर लेटर के जरिए कथित ब्रांच में मैनेजर, मार्केटिंग ऑफिसर, कैशियर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे पदों पर कर्मचारियों को काम पर रखा गया था। फर्जी ब्रांच खुले 10 दिन ही हुआ था। इससे पहले की बड़ा घोटाला करते इसका भंडाफोड़ हो गया।
जानिए कैसे पकड़ी गई SBI की फर्जी शाखा
गांव में SBI ब्रांच खुलने से गांव के लोग बहुत खुश थे। कई तो वहां जाकर खाता खुलवाने और काम शुरू करने के लिए लोन की जानकारी लेने तक पहुंचने लगे थे। इनमें स्थानीय ग्रामीण अजय कुमार अग्रवाल भी थे। वह 27 सितंबर को ब्रांच में अपना खाता खुलवाने के लिए पहुंचे थे।
उन्हें बताया गया कि, अभी सर्वर नहीं जुड़ा है। ऐसे में खाता नहीं खुल सकेगा। इस पर उन्होंने खाता खुलवाने के लिए दस्तावेज मांगे। उस पर ब्रांच कोड नहीं लिखा था। बाहर बोर्ड और अन्य जगह भी ब्रांच कोड नहीं था। इसके बाद वह डभरा स्थित ब्रांच पहुंचे और शिकायत की।
इसी दिन डबरा ब्रांच मैनेजर शेखर राज छपोरा गांव पहुंच गए। उन्होंने बताया कि, रोजाना फील्ड पर रहना पड़ता है। यहां देखा कि SBI का बोर्ड लगा है। वहां पूछताछ करने के लिए पहुंचा तो कर्मचारी गोल-मोल जवाब देने लगे। इसके बाद अफसरों को इसकी सूचना दी।
कैसे चल रहा था बैंक?
छपोरा गांव में पूरे सेटअप के साथ फर्जी बैंक शाखा संचालित की जा रही थी। इस शाखा में 7 कर्मचारी मौजूद थे, जिनकी कथित तौर पर इंटरव्यू के जरिए भर्ती की गई थी। यहां तक कि उन्हें ट्रेनिंग के लिए भी भेजा गया था। फर्जी शाखा का संचालन फर्जी बैंक मैनेजर कर रहा था। फिलहाल वह फरार हो गया है।
ग्रामीणों ने इस संदिग्ध शाखा की गतिविधियों की शिकायत उच्चाधिकारियों से भी की थी। इसके बाद मामले का खुलासा हुआ। फिलहाल कथित बैंक का मैनेजर पंकज भाग निकला है। पुलिस ने इस मामले में पंकज, रेखा साहू, मंधीर दास के खिलाफ FIR दर्ज की है। वहां से मिले कंप्यूटर सहित अन्य कागजात जब्त कर लिए हैं।
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