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कुत्ता भौंका तो बाप-बेटी को जिंदा जला डाला: घरों में लगाई आग, दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, 97 लोगों पर मुकदमा, पढ़िए Mirchpur Kand की Story

Haryana Mirchpur Kand Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: दिल्ली से 167 किलोमीटर दूर हरियाणा के हिसार जिले का मिर्चपुर गांव। 29 अप्रैल 2010। राहुल गांधी अचानक गांव में दाखिल होते हैं। उस समय वे कांग्रेस महासचिव और सांसद थे।

Haryana Mirchpur Kand Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: राहुल के दौरे के बारे में न तो हरियाणा के तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पता था और न ही किसी अन्य कांग्रेस पदाधिकारी को। संयोग से, मिर्चपुर में नायब तहसीलदार धीरज चहल मौजूद थे। वे गांव के लोगों को गेहूं बांटने आए थे।

 

बिखरी बस्ती और जले हुए घरों के बीच राहुल गांधी वाल्मीकि परिवार के ताराचंद के घर पहुंचे। जिन्हें उनकी नाबालिग बेटी के साथ जिंदा जला दिया गया था। राहुल वहां कुल 45 मिनट तक रुके। वाल्मीकियों ने राहुल से अनुरोध किया कि वे उन्हें किसी दूसरे गांव में बसा दें, क्योंकि जाट उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे।

Haryana Mirchpur Kand Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: मिर्चपुर गांव में वाल्मीकि समुदाय के करीब 300 घर थे। ये लोग पास के तालाब में मछलियाँ पकड़ते थे, सफाई का काम करते थे और गाँव के जाट जमींदारों के खेतों में मज़दूरी करते थे।

Haryana Mirchpur Kand Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: वाल्मीकि समुदाय के करण सिंह स्थानीय फूलन देवी मंदिर में सालाना उत्सव का आयोजन करते थे। इसमें शामिल होने के लिए पूरे हरियाणा से लोग आते थे। मार्च 2010 में जब उत्सव शुरू हुआ तो जाटों ने वाल्मीकि महिलाओं को परेशान करना शुरू कर दिया। यहीं से तनाव की स्थिति पैदा हुई।

मिर्चपुर कांड से जुड़े सभी कानूनी दस्तावेज़ों को ‘मिर्चपुर कांड: हरियाणा में जातिगत हिंसा’ नाम की किताब में संकलित किया गया है। वाल्मीकियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, तारीख़ 19 अप्रैल 2010 थी, रात के करीब 8 बजे थे। 5 जाट लड़के शराब के नशे में मिर्चपुर की वाल्मीकि बस्ती से गुज़र रहे थे। तभी रूबी नाम की एक कुतिया उन पर भौंकने लगी।

जाट जमींदार के बेटे राजिंदर पाली ने ईंट उठाकर रूबी पर मारी। ईंट पास में सो रहे करण सिंह के भतीजे योगेश को लगी। योगेश ने इसका विरोध किया। राजिंदर के साथ सोनू, मोनू और ऋषि नाम के लड़के भी थे। इन लोगों ने भी बहस शुरू कर दी। इसी बीच 15-20 और जाट लड़के आ गए और मारपीट करने लगे।

Haryana Mirchpur Kand Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: मारपीट के बाद जाट लड़के गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देते हुए वहां से चले गए। इसी बीच अजीत सिंह नाम का जाट पुलिस कांस्टेबल वाल्मीकि बस्ती में घुस आया, उसने वाल्मीकि लोगों से पंचायत में चलने को कहा।

अजीत के कहने पर करण सिंह और बुजुर्ग वीरभान सिंह माफी मांगने जाटों के पास गए, लेकिन वहां दोनों की बुरी तरह पिटाई की गई। यहां करीब 50-60 जाट लड़कों ने वाल्मीकि लोगों के घरों पर पथराव किया। करीब आधे घंटे बाद पुलिस आई और वाल्मीकियों को सुरक्षा देने की बात कहकर चली गई।

मिर्चपुर गांव नारनौंद थाने की सीमा में आता है। नारनौंद थाने के एसएचओ विनोद कुमार काजल मिर्चपुर के एक जाट के करीबी थे, इसलिए मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। अगले दिन यानी 20 अप्रैल को जाट समुदाय के लोग गांव में बड़ी संख्या में एकत्र हुए।

Haryana Mirchpur Kand Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: दलितों को धमकाया गया कि उनके घर जला दिए जाएंगे। इसी बीच खबर फैली कि वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने एक जाट लड़के पर हमला कर दिया है। उस दिन और कुछ नहीं हुआ, लेकिन जो होने वाला था, उसकी तैयारी चल रही थी।

‘ओपन मैगजीन’ पत्रिका के अनुसार, जब वाल्मीकि समुदाय के लोगों को भीड़ ने घेर लिया, तो 100-150 जाट उनकी बस्ती में पहुंच गए। उनके पास केरोसिन और पेट्रोल के डिब्बे, कुल्हाड़ी, कृषि हथियार और लाठियां थीं। जाटों ने उन वाल्मीकि लोगों के घरों की तलाशी ली और आग लगा दी।

एक घर में पोलियो से पीड़ित 17 वर्षीय लड़की सुमन मौजूद थी। उसने अपनी ट्राइसाइकिल से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन घर बाहर से बंद था और वह और उसके 60 वर्षीय पिता ताराचंद जिंदा जल गए। सुमन का शव बाद में फायर ब्रिगेड को मिला, जबकि ताराचंद की अस्पताल में मौत हो गई। उसने मरते समय अपना बयान दर्ज कराया।

फूलकली देवी और उनके पति चंदर सिंह ने 1996 में अपना मकान बनवाया था। चंदर घर में ही जनरल स्टोर चलाते थे। सब कुछ जलकर राख हो गया। फूलकली ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए 25 हजार रुपए के जेवर और 50 हजार रुपए नकद रखे थे। जाटों ने सब कुछ लूट लिया। यह दंगा सुबह 9 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक चला। हिंसा में वाल्मीकि समुदाय के करीब 50 लोग घायल हुए हैं।

मिर्चपुर कांड ने हरियाणा की राजनीति को कैसे बदला

मिर्चपुर कांड के समय हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी। वरिष्ठ पत्रकार मनोज ठाकुर कहते हैं, ‘दलितों के खिलाफ मिर्चपुर जैसी हिंसा के मामले पहले भी हुए थे, लेकिन इस मामले ने तीन वजहों से तूल पकड़ा।

Haryana Mirchpur Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: पहली वजह यह थी कि वेदपाल तंवर राजपूत नेता थे। शुरू में उन्होंने मानवीय दृष्टिकोण से वाल्मीकियों को शरण दी, बाद में उन्हें इसमें राजनीतिक लाभ दिखने लगा।’

Haryana Mirchpur Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: इसलिए वे इस पूरे मामले में काफी सक्रिय रहे। बाद में उन्होंने विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए। दूसरी वजह यह थी कि उस समय मीडिया ने अच्छी भूमिका निभाई, जिसके कारण मामला दिल्ली तक गरमा गया।

Haryana Mirchpur Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: तीसरी वजह यह थी कि हरियाणा कांग्रेस के कई नेता हुड्डा के खिलाफ थे। कुमारी शैलजा जैसी कई नेताओं ने इस मामले में खुलकर बयान दिए। राहुल गांधी को हुड्डा पर भरोसा नहीं था

राहुल गांधी 29 अप्रैल 2010 को अचानक मिर्चपुर पहुंचे। मनोज ठाकुर कहते हैं, राहुल को भी हुड्डा पर भरोसा नहीं था। इसकी वजह यह थी कि हुड्डा जाट समुदाय से थे, जबकि पीड़ित दलित थे और ज्यादातर आरोपी जाट थे। पुलिस में भी जाटों का दबदबा था। उस समय पत्रकार भी मिर्चपुर जाने से डरते थे।

97 लोगों पर मुकदमा चला, 8 साल बाद दोषी करार

2010 में कांग्रेस सरकार ने पूर्व जज इकबाल सिंह की अध्यक्षता में जांच आयोग बनाया। कुल 103 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से पांच नाबालिग थे। 97 लोगों पर मुकदमा चला। दलितों को डर था कि हरियाणा में उनके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

इस पर अपना फैसला सुनाते हुए 8 दिसंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने मिर्चपुर केस को हिसार से दिल्ली की कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। 20 जनवरी 2011 को कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए।

Haryana Mirchpur Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: इस बीच जनवरी में ही मिर्चपुर में जाटों और वाल्मीकियों के बीच फिर से झड़प हुई और 100 से ज़्यादा परिवार गांव छोड़कर हिसार में कैमरी रोड पर हरियाणा जनहित कांग्रेस के नेता वेद पाल तंवर के फार्म हाउस में रहने चले गए।

Haryana Mirchpur Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: इसके बाद अगले 8 सालों में करीब 200 परिवार मिर्चपुर गांव छोड़कर चले गए। मिर्चपुर मामले में पहला फैसला 31 अक्टूबर 2011 को आया। ट्रायल कोर्ट ने 97 में से 15 लोगों को दोषी ठहराया। 82 आरोपियों को बरी कर दिया गया। इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट में चला गया।

97 लोगों पर मुकदमा चला, 8 साल बाद सजा सुनाई गई

2010 में कांग्रेस सरकार ने पूर्व जज इकबाल सिंह की अध्यक्षता में जांच आयोग बनाया। कुल 103 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से पांच नाबालिग थे। 97 लोगों पर मुकदमा चला। दलितों को डर था कि हरियाणा में उनके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

इस पर अपना फैसला सुनाते हुए 8 दिसंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने मिर्चपुर केस को हिसार से दिल्ली की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया। 20 जनवरी 2011 को कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए।

इस बीच, जनवरी में ही मिर्चपुर में जाटों और वाल्मीकियों में फिर से झड़प हो गई और 100 से अधिक परिवार गांव छोड़कर हिसार में कैमरी रोड पर हरियाणा जनहित कांग्रेस के नेता वेद पाल तंवर के फार्म हाउस में रहने चले गए।

Haryana Mirchpur Caste Violence Jaat Vs Valmiki Rahul Gandhi: इसके बाद अगले 8 सालों में करीब 200 परिवार मिर्चपुर गांव छोड़कर चले गए। मिर्चपुर केस में पहला फैसला 31 अक्टूबर 2011 को आया। ट्रायल कोर्ट ने 97 में से 15 लोगों को दोषी करार दिया। 82 आरोपियों को बरी कर दिया गया।

इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट में चला गया। 24 अगस्त 2011 को कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जाट समुदाय के लोगों ने ‘पूरी तैयारी और सोच-समझकर’ वाल्मीकि बस्ती पर हमला किया था। आरोपियों को पता था कि सुमन और उसके पिता ताराचंद घर के अंदर हैं, फिर भी उन्होंने घर में आग लगा दी।

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