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महादेव सट्‌टा ऐप की काली फाइल CBI के हाथ: छत्तीसगढ़ सरकार ने सौंपा केस, गृहमंत्री बोले- जो विदेश में, उन्हें भी लाएंगे भारत

Mahadev Satta App CBI Investigation Chhattisgarh Vijay Sharma: छत्तीसगढ़ सरकार ने महादेव सट्टा ऐप मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। सोमवार को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई। गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि इस मामले में सवाल उठ रहे थे, इसलिए अब केंद्रीय एजेंसी जांच करेगी।

Mahadev Satta App CBI Investigation Chhattisgarh Vijay Sharma: उन्होंने कहा कि महादेव ऐप को लेकर 70 मामले दर्ज किए गए हैं। ये मामले स्थानीय थानों में हैं। एक ईओडब्ल्यू में भी है। अब यह मामला कई राज्यों में फैल रहा है। इसके कुछ प्रमुख विदेश में भी रहते हैं। ऐसा सुनने में आया है।

Mahadev Satta App CBI Investigation Chhattisgarh Vijay Sharma: गृह मंत्री शर्मा ने कहा कि इस विषय पर किसी भी तरह की कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। सख्ती के साथ कार्रवाई की जाएगी। जो लोग विदेश में हैं, उन्हें पकड़कर भारत लाने की कार्रवाई भी की जाएगी।

सीबीआई के पास जाने वाला छत्तीसगढ़ का यह तीसरा मामला है

Mahadev Satta App CBI Investigation Chhattisgarh Vijay Sharma: महादेव सट्टा ऐप मामले की ईडी 16 महीने से जांच कर रही थी। ईडी ने बताया कि इस मामले में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे नेता, राज्य के कुछ पुलिस अधिकारी और बड़े प्रॉपर्टी डीलर शामिल रहे हैं। 9 महीने पहले बनी भाजपा सरकार द्वारा सीबीआई को दिया गया यह तीसरा मामला है।

Mahadev Satta App CBI Investigation Chhattisgarh Vijay Sharma: इससे पहले बिरनपुर और सीजीपीएससी घोटाले की जांच भी सीबीआई को सौंपी जा चुकी है। महादेव ऐप मामले की जांच ईडी, ईओडब्ल्यू के अलावा सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) भी कर रही है।

Mahadev Satta App CBI Investigation Chhattisgarh Vijay Sharma: ईडी की चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि महादेव सट्टा ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और शुभम सोनी ने सट्टे की काली कमाई को सफेद करने के लिए शेयर बाजार में 1000 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है। सेबी इसकी जांच कर रही है।

Mahadev Satta App CBI Investigation Chhattisgarh Vijay Sharma: महादेव बुक में ऐसे खेला जाता था ऑनलाइन सट्टा महादेव बुक के प्रमोटर पैनल ऑपरेटरों के जरिए ऑनलाइन सट्टा खेलने का काम करते हैं। फ्रेंचाइजी मॉडल के आधार पर पैनल/ब्रांच देकर पैनल ऑपरेटर बनाए गए हैं। हर पैनल ऑपरेटर को एक मास्टर आईडी दी जाती है। इसके बाद ऑनलाइन सट्टा खेलने का सिलसिला शुरू हो जाता था।

  • जब किसी को पैनल /ब्रांच ऑपरेटर बनना होता है, तो वो किसी रेफरेंस से महादेव बुके के हेड ऑफिस मैनेजमेंट के वॉट्सऐप नंबर पर रिक्वेस्ट मैसेज करता है।
  • मैनेजमेंट का रिप्लाई आने पर ऑपरेटर पैनल चाहने वाला शख्स वॉट्सऐप मैसेज अथवा कॉल के माध्यम से संपर्क करता है।
  • पैनल /ब्रांच ऑपरेटर बनाने के नाम पर मैनेजमेंट की ओर से 25-30 लाख रुपए जमा करवाया जाता है।
  • पैसा जमा होने और उसकी डिटेल मिलने के बाद मैनेजमेंट संबंधित व्यक्ति को लॉगिन एवं वेबसाइट आईडी व पासवर्ड देता है।

ऐप को फ्रेंचाइजी के तौर पर चलाया जाता था

महादेव बेटिंग ऐप को कई ब्रांच से चलाया जाता था। छत्तीसगढ़ के भिलाई निवासी सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव ऑनलाइन बुक ऐप के मुख्य प्रमोटर हैं। वे दुबई से अपनी गतिविधियों का संचालन करते थे। सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल हर ब्रांच को फ्रेंचाइजी के तौर पर बेचते थे।

फायदा दिलाकर लूटते हैं

सट्‌टा ऐप के यूजर को शुरुआत में मुनाफा और बाद में घाटा होता है। दोनों ने मुनाफे का 80 फीसदी हिस्सा अपने पास रख लिया। इसे ऐसा बनाया गया था कि सिर्फ 30 फीसदी यूजर ही जीतते, बाकी हार जाते। इस ऐप के जरिए होने वाली कमाई को हवाला के जरिए होटल बिजनेस और फिल्मों में लगाया जाता था।

इस केस में पुलिस ने 325 से ज्यादा आरोपियों को अलग-अलग राज्यों से गिरफ्तार किया है। रायपुर पुलिस के अधिकारियों ने रायपुर के अलावा कटनी, अनूपपुर, विशाखापट्‌टनम, ओडिशा, दिल्ली, गोवा, महाराष्ट्र में भी कार्रवाई की थी।

इस कार्रवाई के दौरान खातों को होल्ड कर और आरोपियों की गिरफ्तारी के दौरान बरामद रकम-सामान की कीमत 200 करोड़ से ज्यादा है। सिंडिकेट से 4000 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। अब भी देश भर में इसकी 4000 ब्रांच संचालित हो रही हैं।

अफसरों पर लटकी तलवार

अब CBI नए सिरे से महादेव सट्‌टा ऐप मामले में जांच करेगी। माना जा रहा है कि इस केस में शामिल कुछ पुलिस अफसरों के खिलाफ बड़ा एक्शन हो सकता है। महादेव सट्‌टा मामले में EOW ने कोर्ट में जो चालान पेश किया है। उस चालान में छत्तीसगढ़ के ब्यूरोकेट्स और पुलिस अधिकारियों का नाम नहीं है।

अपने चालान में EOW के विवेचना अधिकारियों ने संबंधित ब्यूरोक्रेट्स, पुलिस अफसर और OSD पद जैसा नाम लिखा है। किसी भी अधिकारी को मामले में EOW की टीम ने नामजद आरोपी नहीं बनाया है।

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