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छठ और हरछठ में क्या है अंतर ? पूजा विधि और सटीक शुभ मुहूर्त, जानिए एक क्लिक में Chhath Harchhat Difference ?

Chhath Harchhat Difference: हर छठ को लेकर बाजार में भारी भीड़ है। लोग सामान खरीदने पहुंच रहे हैं, क्योंकि 25 अगस्त को हर छठ मनाया जाएगा। इसके लिए व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा की तैयारी में जुटी हुई हैं। छठ और हर छठ में क्या अंतर है, हर छठ का शुभ मुहूर्त कब है और पूजा की विधि क्या है। आइए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानते हैं…

छठ और हर छठ में खास अंतर

Chhath Harchhat Difference: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि “छठ और हर छठ अलग-अलग त्योहार हैं। छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह सूर्य उपासना का पर्व है।

यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम और भक्ति भाव से मनाया जाता है। छठ के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह मैथिली, मगही और भोजपुरी भाषी लोगों का सबसे बड़ा त्योहार है। छठ पर्व बच्चों के लिए मनाया जाता है।

Chhath Harchhat Difference: हर छठ पर्व भाद्र कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। हर छठ में हलषष्ठी देवी माता पार्वती की पूजा की जाती है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में महिलाएं यह पूजा करती हैं।

Chhath Harchhat Difference: छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में यह पर्व प्रमुखता से मनाया जाता है। यहां बड़ी संख्या में महिलाएं व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। इसे पुत्र प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। हर छठ पूजा दीर्घायु के लिए की जाती है, जिसमें माता पार्वती की पूजा की जाती है।

इस शुभ मुहूर्त में करें हर छठ पूजा

हर छठ के शुभ मुहूर्त के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि “हर छठ पूजा मध्यकाल में की जाती है। 25 अगस्त को सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच जब मध्यकाल होगा, तब इसकी पूजा की जाएगी। इसमें आस-पड़ोस की महिलाएं एकत्र होकर सहेलियों के साथ बैठकर पूजा करती हैं। इस पूजा से विशेष फल मिलता है।”

इस तरह करें पूजा, मिलेगा व्रत का पूरा फल

Chhath Harchhat Difference: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री आगे बताते हैं कि “हर छठ में पूजा करने के लिए सबसे पहले महुआ के फूल और पसही के चावल को पका लें। इसके बाद अन्य पूजा सामग्री तैयार कर एक बर्तन में रख लें। दिन में करीब 10 बजे से इसे छोटी-छोटी चुकरिया में सजा लें।

बाजार से 7 तरह के अनाज लाकर एक टोकरी में रख लें और पूजा के समय यह सब माता पार्वती को अर्पित करें। विधि-विधान से पूजा करने के बाद आरती करें और 6 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा के दौरान अगर आप अपनी मनोकामना दोहराते हैं तो आपका कार्य सिद्ध होगा। इसके बाद कांस के फूल के डंठल में गांठ बांध दें तो मनोकामना पूरी होती है।

पूजा के दौरान करें ये काम

सभी सखियों के एकत्र होने और सारा सामान एकत्र करने के बाद पूजा शुरू करें। सबसे पहले हलषष्ठी बनाने वाली जगह पर दूध और गंगाजल डालें। इसके बाद कुछ खिलौने रखें और हल्दी, सिंदूर, चावल, फूल, बेलपत्र, दूध, दही, गंगाजल डालें। उन्हें जल से स्नान कराएं। इसके बाद माता पार्वती की पूजा शुरू करें।

Chhath Harchhat Difference: सबसे पहले माता पार्वती का दिव्य श्रृंगार करें, जैसे दर्पण, कपड़ा, चूड़ियां, रिबन और महिलाओं के अन्य श्रृंगार। श्रृंगार अर्पित करने के बाद सभी को दिव्य कथा सुननी चाहिए। इसके बाद वहीं हवन करें और आरती करें। आरती करने के बाद अपनी मनोकामना और अपने पुत्र की लंबी आयु की प्रार्थना करें।

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