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रक्षाबंधन स्पेशल- मुंहबोली बहन को शौचालय किया गिफ्ट: अमिताभ बच्चन भी गांव को दे चुके हैं 20 लाख, पढ़िए भाई-बहन के रिश्ते की कहानी

Chhattisgarh Bilaspur Manzoor Pahari village Rakshabandhan Gifted toilet to step sister: मंजूर पहरी गांव भाई-बहन के रिश्ते के लिए जाना जाता है। नाम ऐसा है कि अमिताभ बच्चन ने खुद गांव के लिए 20 लाख रुपए भेजे थे। और तो और, गांव के सरपंच भाई को जिला पंचायत ने भाई नंबर 1 का खिताब दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि गांव के ही एक भाई ने अपनी गोद ली हुई दिव्यांग बहन की पढ़ाई-लिखाई, ट्राईसाइकिल और शौचालय का इंतजाम किया।

मंजूर पहरी गांव बिलासपुर जिले के सीपत के पास है। यहां की 22 वर्षीय आरती यादव को हर कोई जानता है। आरती बचपन से ही इसी गांव के श्रीराम नेताम को राखी बांधती आ रही है। हालांकि वह उसका सगा भाई नहीं है। श्रीराम बचपन से ही आरती की दिव्यांगता को देखते आ रहे हैं और उसकी कई तरह से मदद कर रहे हैं।

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खुद घसीटकर स्कूल जाती थी

आरती बताती है कि वह गांव के स्कूल में पढ़ती थी। उसे आने-जाने में काफी परेशानी होती थी। तब भी श्रीराम नेताम भैया आते थे और यथासंभव मदद करते थे। लेकिन उसे खुद घसीटकर चलना पड़ता था। तब भैया कहते थे कि एक दिन मैं तुम्हारे लिए कार खरीदूंगा। डेढ़-दो साल पहले भैया ने मेरा फॉर्म भरा और सरकार से मदद मिली, जिससे मुझे ट्राइसाइकिल मिल गई। अब मुझे घसीटकर नहीं जाना पड़ता।

बाल्टी मुंह में दबाकर शौचालय जाना पड़ता था

आरती की हालत ऐसी थी कि जब उसे शौचालय जाना होता था तो पानी की बाल्टी मुंह में दबाकर ले जाना पड़ता था। हालत ऐसी थी कि कई बार पानी गिर जाता था। अम्मा को भी घर से छाता लेकर जाना पड़ता था। ऐसा लगता था जैसे मैं बोझ हूं। भैया इस परेशानी को समझते थे। जब राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन शुरू हुआ तो भैया ने इसमें हिस्सा लिया और सरकारी मदद से मेरे घर में शौचालय बनवाया। इसका नतीजा यह हुआ कि श्रीराम नेताम भैया को जिला पंचायत ने भाई नंबर वन की उपाधि दी।

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भाई नंबर वन ने कहा- मुझे अपनी बहन की रक्षा करनी थी, उसे सम्मान भी देना था

इस बारे में श्रीराम नेताम कहते हैं कि मैं बचपन से आरती को देखता आ रहा हूं। वह बहुत स्वाभिमानी लड़की है। वह मदद नहीं लेना चाहती। जब भी मुझे उसे कुछ उपहार देना होता तो मैं राखी के बहाने दे देता। रक्षाबंधन पर वह मना नहीं कर पाती। मैं पढ़ाई के लिए किताबें, कॉपी, ट्यूशन जैसी चीजों के लिए दूसरों से मदद लेता। आरती के नाम पर कभी किसी ने मना नहीं किया। गांव का हर व्यक्ति उसके साथ था। उसे अपनी बहन मानता था।

जब अमिताभ बच्चन ने भाई-बहन से मुलाकात की

स्वच्छता मिशन में पुरस्कार मिलने के बाद ये दोनों भाई-बहन गांव में काफी लोकप्रिय हो गए। इतना कि इनकी ख्याति अमिताभ बच्चन तक पहुंच गई। अमिताभ बच्चन दोनों से मिलना चाहते थे। जब सरकार को इस बारे में पता चला तो सरकार ने दोनों को भेजने का इंतजाम किया। दोनों से मिलने के बाद अमिताभ इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गांव के लिए 20 लाख रुपये भी दिए।

आरती को पढ़ाई के लिए किया प्रोत्साहित

श्रीराम कहते हैं कि आरती ने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी लेकिन मैंने हमेशा उसे प्राइवेट परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया। मैं चाहता हूं कि वह आगे पढ़े। हालांकि उसके लिए दिव्यांग पेंशन की व्यवस्था की गई है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उसे आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए जो भी मदद चाहिए, हम देंगे। फिलहाल मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत उसके लिए मकान बनवाने का प्रयास किया जा रहा है।

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