गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के सढोली गांव को वीर सपूतों का गांव कहा जाता है, क्योंकि जिले का यह ऐसा गांव है, जहां हर घर में जवान बेटा देश के लिए समर्पित रहता है। सेना पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों में अब तक इस छोटे से गांव से 100 से भी ज्यादा जवान अपनी सेवा दे चुके हैं।
Story of Sadholi village of Gariaband Chhattisgarh: गांव के मुख्य चौराहे पर बनी मूर्ति शहीद भृगु नंदन चौधरी की है। सीएएफ में भर्ती होने के कुछ साल बाद जवान ने बिहार के गया में नक्सलियों से मोर्चा लेते हुए अपनी प्राणों की आहुति दे दी। सरकार ने 2014 में शहीद को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है।
शहादत पर गांव और परिवार को फक्र
Story of Sadholi village of Gariaband Chhattisgarh: वीर सपूत के इस शहादत पर गांव और परिवार को फक्र है। भृगु नंदन की तरह वर्तमान में 51 जवान सीआरपीएफ, असम रायफल, बीएसएफ, आइटीबीपी जैसे संस्थान में देश के कोने कोने में अपनी सेवा दे रहे हैं। लगभग 3 हजार की आबादी वाले इस गांव में देश के लिए समर्पण के जज्ज्बे को लेकर आज पूरा गांव गौरवान्वित महसूस करता है।
हर जवान देश की सेवा करना क्यों चाहता है ?
Story of Sadholi village of Gariaband Chhattisgarh: गांव में हर जवान देश की सेवा करना क्यों चाहता है। इसे समझने हम सदानंद नाग के घर पहुंचे, सदानंद हाल ही में असम रायफल से सेवा निवृत्त होकर गांव लौटे हैं। वे बताते हैं कि 2001 में छिड़ी कारगिल के जंग ने गांव के युवाओं को प्रेरित किया था। सदानंद के 6 मित्र डिफेंस में तो उनके तीन भाई पुलिस अपनी सेवा दे रहे हैं।
युवाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया
Story of Sadholi village of Gariaband Chhattisgarh: गांव के युवाओं की डिफेंस में जाने की परिपाटी 1981 से शुरू हुई। 2001 में कारगिल युद्ध के बाद युवाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया। हर बार हुई भर्ती में डिफेंस में कोई न कोई चुन लिए जाते हैं। गांव के बाहर बने अस्थाई ट्रेनिंग ग्राउंड में हर साल 30 से 50 युवा भर्ती की फिजिकल तैयारी करते हैं।
अनुभवी लोग नए युवाओं को ट्रेंड करते हैं
Story of Sadholi village of Gariaband Chhattisgarh: पुराने अनुभवी लोग नए युवाओं को न केवल ट्रेंड कराते हैं, बल्कि आर्थिक रोड़ा आया तो उसे भी आपसी सहयोग कर दूर कर देते हैं। डिफेंस में हर कोई जाना चाहता है, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया तो नगर सैनिक तक बन कर सेवा देने में कोई गुरेज नहीं करते। उन्हें अपने साथियों पर गर्व होता है। पुलिस प्रशासन भी इस गांव को पूरी सम्मान की दृष्टि से देखता है। समस्या न आए इस बात का भी पूरा ख्याल पुलिस रखती है।
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