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द स्टोरी ऑफ फ्रीडम फाइटर्स: कभी नेहरू को चलाया था पैदल, जाना पड़ा था जेल, पढ़िए मुंगेली के 22 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कहानी

नईम खान, मुंगेली: भारत की आजादी के लिए लड़ने वालों को अलग-अलग नाम से पुकारा गया, जिनमें से एक नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का है. जब भी फ्रीडम फाइटर्स का जिक्र हो तो अविभाजित मध्यप्रदेश में बिलासपुर जिले के देवरी गांव का जिक्र अवश्य होता है, जो वर्तमान में मुंगेली जिले में आता है.

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: मध्यप्रदेश शासन काल के फ्रीडम फाइटर को लेकर आज भी देवरी गांव का नाम सुनहरे अक्षरों में रिकॉर्ड में दर्ज है, क्योंकि इस गांव में एक दो नहीं बल्कि 22 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी और देश को आजादी दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा, विदेशी वस्तु बहिष्कार, असहयोग आंदोलन, जंगल सत्याग्रह जैसे आंदोलनों में इन्होंने भाग लिया और 1930 और 1932 में जेल भी गए.

पंडित जवाहर लाल नेहरू को पैदल चलने किया मजबूर

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: भारत के मानचित्र में मुंगेली क्षेत्र की स्थिति सुई के एक नोक के बराबर ही होगी. बावजूद इसके भारत की स्वतंत्रता संग्राम मेंं जान की परवाह न करके बढ़-चढकर हिस्सा लेने वाले मुंगेलीवासियों का योगदान गर्व करने योग्य है. उस समय मुंगेली के देवरी निवासी गजाधर साव को छत्तीसगढ़ का तेज-तर्रार नेता कहा जाता था.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गजाधर साव मुंगेली क्षेत्र के महान सपूतों में एक थे. मुंगेली के पास के छोटे से ग्राम देवरी के मालगुजार साव 1905 में बनारस के कांग्रेस अधिवेशन से आजादी के आंदोलन से जुड़ गए. 1917 में होमरूल आंदोलन के समय वे बिलासपुर शाखा के प्रमुख प्रतिनिधि थे. 1921 में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार तथा स्वदेशी के प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाई.

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: साव 25 मार्च 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में गांव के करीब 2 दर्जन साथियों के साथ पहुंचे. अधिवेशन के दौरान तत्कालीन अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल साव की कार्यशैली से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मंच से इन्हें ‘छत्तीसगढ़ का तेज-तर्रार नेता कहकर संबोधित किया. जनवरी 1932 में मुंगेली में विदेशी सामान बेचने वाले एक दुकान में ‘पिकेटिंग करने पर अंंग्रेज सरकार ने इन्हें 3 माह का कारावास और 125 रुपए का अर्थदंड भी लगाया था.

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: सामाजिक सुधार के प्रति भी साव बेहद जागरूक थे. एक बार महात्मा गांधी ने आजादी दीवानगी पर कहा कि ‘साव जी, एक तो मैं पागल और आप मुझसे भी बड़े पागल हैं. ऐसे में देश आजाद होकर रहेगा. बड़े नेताओं के तामझाम के कारण आम जनता से उनकी दूरी को साव नापसंद करते थे.

16 दिसबर 1936 को कांग्रेस के प्रमुख पं. जवाहरलाल नेहरू मुंगेली आए तो साव का आग्रह था कि वे आगर नदी पुल से पैदल ही नगर में प्रवेश करें, मगर उनकी बात नहीं मानी गई, जिससे वे नाराज हो गए और पुल पर धरना देकर लेट गए.

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: मनाने की कोशिश की गई पर वे नहीं माने, इस पर झल्लाकर पं. नेहरू ने कहा कि अगर साव नहीं उठते हैं तो इसके ऊपर से ही कार को चला दो. पं.नेहरू के इस उग्र रूप से भी साव ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और अंतत: कुछ दूर तक पं. नेहरू को कार से उतरकर जाना ही पड़ा.

साप्ताहिक अखबार से विरोध दर्ज कर जेल गए

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: अपनी सादगी, सरलता के लिए पूरे क्षेत्र में मुंगेली के गांधी के रूप में माने जाने वाले पं. कालीचरण शुक्ल ने अपने साप्ताहिक अखबार के माध्यम से अंग्रेजों के विरूद्ध हमेशा आवाज उठाते रहते थे. इस कारण सदैव उन्हें जुर्माना भरना पड़ता था और कई बार तो उनका प्रेस ही जब्त हो जाता था, मगर अपने धुन के दीवाने पं. शुक्ला पैसे का इंतजाम कर जुर्माना भरते और फिर अंग्रेज शासन के विरूद्ध आवाज बुलंद करना शुरू कर देते थे.

विदेशी कपड़ों की खिलाफत में आगे रहे बाबूलाल केशरवानी भी ऐसे ही धुन के पक्के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. 1932 में 20 वर्ष की आयु में ही साथियों के साथ गोलबाजार मुंगेली में घेवरचंद सूरजमल की कपड़ा दुकान के सामने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार के लिए आंदोलन करते हुए पकड़े गए. 1942 में पिकेटिंग के समय पं.शुक्ल, सिद्धगोपाल त्रिवेदी, हीरालाल दुबे, कन्हैयालाल सोनी और अनेक लोगों के साथ उन्हें गिरफ्तार कर पहले बिलासपुर फिर अमरावती जेल भेज दिया गया.

देवरी गांव में हुए 22 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: देश को 22 स्वतंत्रता सेनानी देने वाला गांव देवरी है. आजादी की बात हो और मुंगेली के देवरी गांव का जिक्र न हो, ऐसा संभव नहीं, जी हां, देवरी गांव में एक-दो नहीं बल्कि 22 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया. इन सेनानियों ने भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा, विदेशी वस्तु बहिष्कार, असहयोग आंदोलन, जंगल सत्याग्रह आंदोलनों में भाग लिया और जेल भी गए.

हालांकि इनमें से एक भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भले ही भौतिक रूप से मौजूद नहीं है, लेकिन न सिर्फ देवरी गांव बल्कि पूरे मुंगेली वासियों के दिलो में आज भी जिंदा हैं. वही उनके परिजन आज भी उन स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के जज्बे को याद करते नहीं थकते.

सुध नहीं लेने से फ्रीडम फाइटर्स के परिजनों का छलका दर्द

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: देवरी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों का कहना है कि गांव में 22 फ्रीडम फाइटर्स हुए. इसके बाद भी गांव में एक स्मारक या उनके नाम की पट्टिका तक देखने को नहीं मिलती है. वहीं उनके परिजन एवं गांव वालों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में प्रवेश द्वार जिसमें उनके नाम या चित्रों का उल्लेख हो और गांव में हाईस्कूल को हायर सेकेंडरी स्कूल में उन्नयन करने की मांग स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखी है, लेकिन यह मांग अभी तक अधर में है.

The Story of 22 Freedom Fighters of Mungeli: देवरी गांव में पानी, बिजली, सड़क को लेकर भी समुचित विकास नहीं हो पाया है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों का यह भी कहना है कि सरकारी नौकरियों की भर्ती व स्कूल कॉलेज में शिक्षण के लिए फ्रीडम फाइटर्स के परिजनों को विशेष रूप से प्राथमिकता दिया जाए.

 

 

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