Sex education started in government schools of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के स्कूलों में इस सत्र से बच्चों को सेक्स एजुकेशन की शुरुआत की गई है। क्लास में बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श, शारीरिक अंगों, यौन अपराधों आदि के बारे में जानकारी दी जा रही है।
मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा कार्यक्रम के तहत स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में यह अभियान चलाया जा रहा है। डीपीआई (लोक शिक्षण संचालनालय) के अधिकारी खुद इस प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक प्राचार्यों की मॉनिटरिंग में छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। इसकी मासिक रिपोर्ट भी जिला शिक्षा कार्यालय को भेजी जा रही है।
जानिए क्या है सेक्स एजुकेशन
सेक्स एजुकेशन एक व्यापक शब्द है, जिसका इस्तेमाल शिक्षा के माध्यम से मानव यौन शरीर रचना, यौन प्रजनन, संभोग और मानव यौन व्यवहार का वर्णन करने के लिए किया जाता है। कई स्कूलों में किसी न किसी रूप में सेक्स एजुकेशन पाठ्यक्रम का हिस्सा है। किशोरों को इस उम्र में होने वाले बदलावों को आसानी से स्वीकार करने के लिए तैयार किया जा सकता है।
सबसे पहले परिवार को समझने की जरूरत है
विशेषज्ञों के अनुसार एनसीआरबी के आंकड़ों में देश के 30% बच्चे यौन शोषण के शिकार बताए गए हैं। इन बच्चों की उम्र 1 साल से 18 साल के बीच है। बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए उन्हें उनकी उम्र के हिसाब से समझने की जरूरत है।
- यौन शोषण ज्यादातर स्कूल के अंदर नहीं होता।
- अगर बच्चे ऐसी किसी घटना का शिकार होते हैं, तो आमतौर पर कोई करीबी इसमें शामिल होता है।
- बच्चों को यह सिखाया जाना चाहिए कि यौन शोषण के लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं।
- उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
- दोस्तों की एक मंडली होनी चाहिए, जिसमें पीड़ित बच्चा जानकारी साझा कर सके।
- मंडली के सदस्यों को उस पर हंसना नहीं चाहिए, बल्कि मिलकर विरोध करना चाहिए।
- 5 तस्वीरों में देखें स्कूल में बच्चों को क्या सिखाया जा रहा है…
मोबाइल भी है यौन शोषण की घटनाओं की वजह
बच्चों द्वारा किए जाने वाले यौन अपराधों की एक वजह मोबाइल भी है। कोरोना काल के बाद से हर बच्चे के हाथ में मोबाइल है। परिवार की व्यस्तता के कारण बच्चे मोबाइल की दुनिया में खोए रहते हैं और इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं। बच्चे मोबाइल पर वीडियो देखने के बाद उसे दोहराते हैं।
जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ…
पंडित आरडी तिवारी स्कूल में हेडमास्टर अनुज द्विवेदी ने कहा कि यौन शिक्षा की बात आने पर हर व्यक्ति झिझकता है। इस मुद्दे पर अपने बच्चों से बात करने और उन्हें शिक्षित करने की जरूरत है। अगर छोटे बच्चे इस बारे में जागरूक होंगे तो वे अपने साथ हो रही घटनाओं के बारे में अपने परिजनों को बता सकेंगे।
अगर परिजन कार्रवाई करेंगे तो भविष्य में उनके साथ दोबारा घटना नहीं होगी। स्कूल शिक्षा विभाग की नीति आने से पहले ही हम छोटे बच्चों को जागरूक करने के लिए शिक्षित करते हैं। अब नीति आने के बाद सामग्री उपलब्ध होने से बच्चों को समझाना आसान है। बच्चे जागरूक होंगे तो उनकी सोच का स्तर बढ़ेगा।
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