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बस्तर के 10 हजार आदिवासी कहां गायब ? राज्यसभा में फूलोदेवी नेताम ने पूछे सवाल, जानिए केंद्रीय मंत्री का जवाब ?

Chhattisgarh Displaced Tribals of Bastar: बस्तर के आम लोग नक्सलियों और सरकारी व्यवस्था के बीच सालों से पिस रहे हैं। हाल ही में इससे जुड़ा एक मुद्दा राज्यसभा में भी उठा था। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य फूलो देवी नेताम ने बस्तर के विस्थापित आदिवासियों के बारे में सवाल पूछा था। सांसद के सवाल के जवाब में केंद्र सरकार के आदिवासी मंत्री ने जवाब दिया। आदिवासी मंत्री ने कहा कि बस्तर में 10 हजार से ज्यादा लोग आंतरिक विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं।

10 हजार से ज्यादा आदिवासी विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं

Chhattisgarh Displaced Tribals of Bastar: आंतरिक रूप से विस्थापित लोग वे होते हैं जिन्हें राजनीतिक, जातिगत, हिंसा या अन्य तरह के उत्पीड़न के कारण अपना मूल निवास छोड़ना पड़ता है। आंतरिक विस्थापन के कारण कोई भी देश नहीं छोड़ता है।

Chhattisgarh Displaced Tribals of Bastar: इस तरह के विस्थापन में पलायन करने वाले लोग देश के किसी दूसरे स्थान पर जाकर बस जाते हैं। जैसे जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों ने किया था। जम्मू-कश्मीर के कश्मीरी पंडितों की तरह बस्तर के विस्थापित आदिवासियों को भी आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) कहा जाता है।

103 गांवों के 10 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित

Chhattisgarh Displaced Tribals of Bastar: आंतरिक विस्थापन के आंकड़ों के अनुसार बस्तर से 10 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। राज्यसभा सदस्य फूलो देवी नेताम ने सवाल पूछा कि “छत्तीसगढ़ के कौन से आदिवासी समुदाय आंतरिक विस्थापित की श्रेणी में हैं”। नेताम ने यह भी पूछा कि “उनकी स्थिति क्या है”?

Chhattisgarh Displaced Tribals of Bastar: इसके जवाब में केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने जवाब दिया। राज्य मंत्री ने सदन को बताया कि “सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा के 103 गांवों के 2389 परिवारों के कुल 10489 लोग आंतरिक विस्थापित की श्रेणी में हैं, जिन्होंने अपना मूल निवास छोड़ दिया है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या सुकमा के लोगों की है।

Chhattisgarh Displaced Tribals of Bastar: सुकमा के 85 गांवों के 2229 परिवारों के 9772 लोग आंतरिक विस्थापित हैं।” लोग वापस लौटने को तैयार नहीं राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने कहा कि “ये सभी दोरला, मुरिया, धुर्वा, गोंड, माड़िया और हल्बा जनजाति के हैं। जो छत्तीसगढ़ की पिछड़ी जनजातियां हैं। विस्थापित लोगों को वापस बुलाने के प्रयास भी किए गए, लेकिन वे वापस नहीं आना चाहते हैं।

Chhattisgarh Displaced Tribals of Bastar: छत्तीसगढ़ सरकार ने बताया कि पड़ोसी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के जिलों के गांवों में सर्वे टीम बनाकर सर्वे कराया गया। जहां आंतरिक विस्थापित लोग बसे हुए हैं। इन प्रभावित परिवारों के लोगों को छत्तीसगढ़ राज्य की पुनर्वास योजना की जानकारी और सुरक्षा शिविरों के माध्यम से सुरक्षा व्यवस्था का भरोसा भी दिलाया गया। इसके बावजूद वे अपने मूल निवास पर लौटने को तैयार नहीं हैं।”

पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन राज्य सरकार की जिम्मेदारी

केंद्रीय मंत्री ने अपने जवाब में यह भी कहा कि ”भारत के संविधान के तहत भूमि एवं उसका प्रबंधन राज्यों के विशेष कानूनी एवं प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में आता है। जब भी किसी भूमि का अधिग्रहण आधारभूत संरचना परियोजनाओं के लिए किया जाता है, तो राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ”भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013” का पालन करे।

Chhattisgarh Displaced Tribals of Bastar: इसलिए अनुसूचित जनजाति की आबादी के विस्थापन के संबंध में केंद्रीय स्तर पर कोई आंकड़ा नहीं रखा जाता है। लेकिन पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के लिए प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है, जिसमें भूमि स्वामियों को मुआवजा, आजीविका, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के साथ-साथ समुचित जीवन-यापन व्यवस्था के लिए आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने का स्पष्ट प्रावधान है। पुनर्वास नीति में आदिवासी समुदाय से आने वाले लोगों को विस्थापन से सुरक्षा प्रदान करने का भी नियम है।

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