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Paddy Farming Tips: धान की फसल में कौन सी खाद का करें इस्तेमाल, कीटों से कैसे करें बचाव, जानें इसका नाम और कीमत ?

Paddy Farming Tips: धान की बुआई के बाद सही खाद का चुनाव और सही मात्रा में उसका उपयोग फसल की अच्छी पैदावार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यहाँ हम धान की बुआई के बाद उपयोग किए जाने वाले खाद, उनका खर्च, और फसलों को कीड़ों से बचाने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

1. यूरिया (Urea)

उपयोग:

  • यूरिया में 46% नाइट्रोजन होता है जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक होता है।
  • बुआई के 3-4 सप्ताह बाद 50-60 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से देना चाहिए।

खर्च:

  • 1 किलो यूरिया का औसत मूल्य 6-7 रुपये होता है।
  • प्रति एकड़ 50 किलो यूरिया का खर्च लगभग 300-350 रुपये आएगा।

2. डीएपी (DAP – Diammonium Phosphate)

उपयोग:

  • DAP में 18% नाइट्रोजन और 46% फास्फोरस होता है।
  • बुआई के समय 50 किलो प्रति एकड़ की दर से देना चाहिए।

खर्च:

  • 1 किलो DAP का औसत मूल्य 24-25 रुपये होता है।
  • प्रति एकड़ 50 किलो DAP का खर्च लगभग 1200-1250 रुपये आएगा।

3. म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP – Muriate of Potash)

उपयोग:

  • MOP में 60% पोटाश होता है जो पौधों की जड़ों और तनों को मजबूत करता है।
  • बुआई के 6-8 सप्ताह बाद 20-25 किलो प्रति एकड़ की दर से देना चाहिए।

खर्च:

  • 1 किलो MOP का औसत मूल्य 16-17 रुपये होता है।
  • प्रति एकड़ 20 किलो MOP का खर्च लगभग 320-340 रुपये आएगा।

कीड़ों से बचाव के उपाय Paddy Farming Tips

धान की फसल को कीड़ों से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

1. नीम का तेल (Neem Oil)

उपयोग:

  • नीम का तेल प्राकृतिक कीटनाशक है जो विभिन्न कीड़ों से फसल की सुरक्षा करता है।
  • 5 मिलीलीटर नीम का तेल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

खर्च:

  • 1 लीटर नीम का तेल का औसत मूल्य 300-350 रुपये होता है।
  • प्रति एकड़ लगभग 200-250 रुपये का खर्च आएगा।

2. इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) Paddy Farming Tips

उपयोग:

  • यह एक प्रभावी कीटनाशक है जो कई प्रकार के कीड़ों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

खर्च:

  • 1 लीटर इमिडाक्लोप्रिड का औसत मूल्य 1500-1600 रुपये होता है।
  • प्रति एकड़ लगभग 300-400 रुपये का खर्च आएगा।

खाद और कीटनाशकों का उपयोग तालिका Paddy Farming Tips

खाद / कीटनाशकप्रति एकड़ मात्राऔसत मूल्य प्रति किलो/लीटर (INR)कुल खर्च (INR)
यूरिया (Urea)50-60 किलो6-7300-350
डीएपी (DAP)50 किलो24-251200-1250
म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP)20-25 किलो16-17320-340
नीम का तेल (Neem Oil)1 लीटर300-350200-250
इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid)1 लीटर1500-1600300-400

फसलों की देखभाल और अतिरिक्त सुझाव

  1. निराई-गुड़ाई (Weeding):
    धान की फसल में निराई-गुड़ाई नियमित रूप से करना चाहिए ताकि जंगली घास और अन्य अनावश्यक पौधों से छुटकारा मिल सके। यह फसल की बढ़त को बाधित नहीं करता है और पोषक तत्वों का सही उपयोग सुनिश्चित करता है।
  2. सिंचाई (Irrigation):
    धान की फसल को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहले 3-4 हफ्तों में पानी का स्तर ऊंचा रखना चाहिए, उसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। गर्मी के मौसम में पानी की आवृत्ति बढ़ानी चाहिए।
  3. रोग नियंत्रण (Disease Control):
    धान की फसल में समय-समय पर रोग भी लग सकते हैं, जिनसे बचाव के लिए जैविक और रासायनिक उपचार किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) जैसे जैविक फफूंदनाशक का उपयोग किया जा सकता है।

धान की फसल में कौन कौन से कीड़े लगते हैं, कैसे फसल को बचाएं ?

Paddy Farming Tips: धान की फसल में कई प्रकार के कीड़े और कीट लग सकते हैं जो फसल की गुणवत्ता और उपज को प्रभावित कर सकते हैं। यहाँ हम कुछ सामान्य कीड़ों और उन्हें नियंत्रित करने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

1. तना छेदक (Stem Borer)

प्रभाव:

  • तना छेदक धान के पौधों के तनों में छेद कर देता है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है और उत्पादन कम हो जाता है।
  • प्रभावित तनों में ‘dead hearts’ और ‘white heads’ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

नियंत्रण के उपाय:

  • बुआई के 20-30 दिन बाद क्लोरोपायरीफोस (Chlorpyrifos) या कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड (Cartap Hydrochloride) जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें।
  • प्राकृतिक शिकारी जैसे ट्राइकोग्रामा (Trichogramma) ततैया का उपयोग भी किया जा सकता है।

2. पत्ती लपेटने वाला कीड़ा (Leaf Folder)

प्रभाव:

  • ये कीड़े पत्तियों को लपेट कर अंदर का हिस्सा खा जाते हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) कम हो जाता है।
  • पत्तियों में लपेटे गए हिस्से भूरे या सफेद रंग के हो जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय:

  • नीम का तेल (Neem Oil) या बीटी (Bacillus thuringiensis) का छिड़काव करें।
  • कीटनाशक जैसे फिप्रोनिल (Fipronil) या मोनोक्रोटोफॉस (Monocrotophos) का उपयोग करें।

3. भूरे भृंग (Brown Plant Hopper)

प्रभाव:

  • भूरे भृंग पौधों के तनों से रस चूसते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है और पत्तियां पीली हो जाती हैं।
  • यह कीड़ा ‘Hopper burn’ का कारण बनता है।

नियंत्रण के उपाय:

  • इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) या थायोमिथोक्साम (Thiamethoxam) का छिड़काव करें।
  • पानी की सही मात्रा सुनिश्चित करें और जल-जमाव से बचें।

4. गंधी कीड़ा (Rice Bug)

प्रभाव:

  • ये कीड़े दानों से रस चूसते हैं, जिससे दाने कमजोर और चिपचिपे हो जाते हैं।
  • इससे धान की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

नियंत्रण के उपाय:

  • फेनोबुकार्ब (Fenobucarb) या बूप्रोफेजिन (Buprofezin) का छिड़काव करें।
  • प्रभावित क्षेत्रों में कीटनाशक का उचित उपयोग करें।

5. सफेद पीठ वाला भृंग (White Backed Planthopper)

प्रभाव:

  • यह कीड़ा पौधों के तनों से रस चूसता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और पत्तियां पीली हो जाती हैं।
  • इसके कारण भी ‘Hopper burn’ हो सकता है।

नियंत्रण के उपाय:

  • इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) या बूप्रोफेजिन (Buprofezin) का छिड़काव करें।
  • पौधों के सही जल प्रबंधन पर ध्यान दें।

सामान्य सुझाव और जैविक उपाय Paddy Farming Tips:

  1. समन्वित कीट प्रबंधन (Integrated Pest Management – IPM):
    • जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का संतुलित उपयोग करें।
    • कीटों के प्राकृतिक शिकारियों का संरक्षण करें।
    • नियमित निरीक्षण और कीटों की पहचान करें।
  2. जैविक कीटनाशक (Biological Insecticides):
    • नीम का तेल (Neem Oil), बीटी (Bacillus thuringiensis) और ट्राइकोग्रामा (Trichogramma) का उपयोग करें।
  3. सांस्कृतिक नियंत्रण (Cultural Control):
    • खेत की नियमित साफ-सफाई और पानी की उचित निकासी सुनिश्चित करें।
    • कीटों के जीवन चक्र को तोड़ने के लिए फसल चक्र (crop rotation) अपनाएं।
  4. फेरोमोन ट्रैप्स (Pheromone Traps):
    • तना छेदक और अन्य कीटों की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप्स का उपयोग करें।

निष्कर्ष

Paddy Farming Tips: धान की फसल को कीड़ों से बचाने के लिए उचित निगरानी, जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का समन्वित उपयोग, और सही कृषि तकनीकों का पालन आवश्यक है। उपरोक्त उपायों का सही तरीके से पालन करने से धान की फसल को कीड़ों से सुरक्षित रखा जा सकता है और अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।

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