Brijmohan Agarwal Vijay Baghel Santosh Pandey in the race for Union Minister: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद केंद्र में नई सरकार के गठन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। यहां भाजपा ने 11 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। चर्चा है कि इनमें से 3 चेहरे मंत्री बनने की रेस में हैं। इनमें बृजमोहन अग्रवाल, विजय बघेल और संतोष पांडे का नाम सबसे ऊपर है।
रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। दुर्ग से विजय बघेल दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। जबकि राजनांदगांव से संतोष पांडे पूर्व सीएम भूपेश बघेल को हराकर दूसरी बार दिल्ली पहुंचे हैं। अब सवाल यह है कि क्या उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या संगठन की जिम्मेदारी दी जाएगी। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन के लिए भी चुनाव होंगे और नई कार्यकारिणी का गठन होगा। ऐसे में छत्तीसगढ़ के नेताओं और सांसदों को भी इसमें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। केंद्र में उनकी दावेदारी क्यों मजबूत है, दिल्ली जाने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति पर इसका क्या असर होगा।
बृजमोहन अग्रवाल पहली बार सांसद बने
छात्र राजनीति से राजनीति में आए भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल पहली बार सांसद चुने गए हैं, लेकिन अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही मंत्री पद का लंबा अनुभव उनके पास है। अग्रवाल 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे। वर्ष 2023 में वे 8वीं बार जीते। बृजमोहन 1990-92 में अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रहे।
राज्य गठन के बाद बृजमोहन ने वर्ष 2003, 2008 और 2013 में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री पद का कार्यभार भी संभाला। वर्ष 2018 में कांग्रेस की लहर में भी उन्होंने जीत दर्ज की। विधानसभा चुनाव में उन्होंने महंत रामसुंदर दास को रिकॉर्ड 67 हजार 719 मतों से हराया और इस लोकसभा चुनाव में उन्होंने छत्तीसगढ़ में 5 लाख 75 हजार 285 मतों के साथ राज्य में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है।
लगातार दूसरी बार सांसद बने विजय बघेल
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के साथ ही विजय बघेल का राजनीतिक करियर भी शुरू हो गया। वर्ष 2000 में विजय बघेल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भिलाई नगर पालिका परिषद का चुनाव जीता। इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर उन्होंने वर्ष 2003 का विधानसभा चुनाव पाटन विधानसभा क्षेत्र से लड़ा, लेकिन पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव के बाद विजय बघेल भाजपा में शामिल हो गए। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में विजय बघेल भूपेश बघेल को हराकर पहली बार विधायक बने। इस दौरान उन्हें संसदीय सचिव भी बनाया गया।
2013 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भूपेश बघेल से हार का सामना करना पड़ा था। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया, लेकिन अगले ही साल 2019 के लोकसभा चुनाव में विजय बघेल दुर्ग लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए।
2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन से विजय बघेल को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वे हार गए। इसके बावजूद विजय बघेल को लोकसभा के लिए दोबारा टिकट दिया गया और दुर्ग से राजेंद्र साहू को हराकर जीत हासिल की।
संतोष पांडे ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को हराया
संतोष पांडे ने छत्तीसगढ़ की सबसे हॉट सीट राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हराया। वर्ष 2014 में राजनांदगांव के सांसद रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह थे, लेकिन 2019 में अभिषेक का टिकट काटकर संतोष पांडे को उम्मीदवार बनाया गया और वे जीतकर पहली बार सांसद बने। इस चुनाव में वे दूसरी बार सांसद चुने गए हैं।
पांडे बचपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो वे राजनांदगांव जिले से दो बार युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं। संगठन में दो बार प्रदेश मंत्री रहने के अलावा वे प्रदेश महामंत्री भी रहे। वे कृषि उपज मंडी और खेल एवं युवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने साल 2003 में वीरेंद्र नगर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
मोदी सरकार में छत्तीसगढ़ कोटे से सिर्फ 1 मंत्री
देश में पहली बार 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ से सिर्फ एक सांसद को मौका मिला था। उन्हें भी सीधे मंत्री बनाने के बजाय केंद्रीय राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। इनमें सीएम विष्णुदेव साय और रेणुका सिंह शामिल हैं। हालांकि यूपीए 2 में भी छत्तीसगढ़ से सिर्फ चरणदास महंत को ही केंद्र में जगह मिली थी। राज्य गठन से पहले छत्तीसगढ़ से 2 मंत्री केंद्र में हुआ करते थे।
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