भोपाल। मध्य प्रदेश में अब पंचायत चुनाव नहीं होंगे. अब तक जिन उम्मीदवारों ने अपनी जमानत राशि पंचायत चुनाव के लिए नामांकन के साथ जमा कर दी है. उन्हें उनकी जमानत राशि वापस कर दी जाएगी. राज्य चुनाव आयोग ने मंगलवार शाम को राज्य में पंचायत चुनाव रद्द करने की घोषणा की.
पंचायत चुनाव रद्द होने की जानकारी देते हुए राज्य चुनाव आयोग के सचिव बीएस जमोद ने बताया कि कानूनी राय लेने के बाद पंचायत चुनाव रद्द करने का फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के लिए चार दिसंबर को जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है.
कब क्या हुआ ?
21 नवंबर को मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश जारी हुआ.
चार दिसंबर को राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया.
13 दिसंबर से चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ पहले और दूसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करना प्रारंभ हुआ.
17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को सामान्य के लिए पुन: अधिसूचित करने के आदेश दिए. राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी वर्ग के आरक्षित पदों के नामांकन पर रोक लगाई.
20 दिसंबर को नामांकन पत्र जमा करने का अंतिम दिन था.
23 दिसंबर को नामांकन पत्र वापस लेने की प्रक्रिया पूरी हुई और अभ्यर्थियों को प्रतीक चिह्नों का आवंटन कर दिया गया.
23 दिसंबर को विधानसभा में सर्वसम्मति से ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव न कराए जाने को लेकर संकल्प पारित हुआ.
26 दिसंबर को कैबिनेट ने अध्यादेश वापस लिया. राज्यपाल ने दी अनुमति.
28 दिसंबर शाम को राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव निरस्त किए.
पंचायतों के इन पदों के लिए हो रहे थे चुनाव
52 जिलों में 859 जिला पंचायत सदस्य, 313 जनपदों के 6,727 जनपद पंचायत सदस्य, 22 हजार 581 सरपंच, 3 लाख 62 हजार 754 पंचों का चुनाव होना था. 114 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल मार्च 2022 के बाद पूरा होगा. इस वजह से उनके चुनाव बाद में किए जाएंगे. मध्य प्रदेश में कुल 3 करोड़ 92 लाख 51 हजार 811 मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाता 2 करोड़ 02 लाख 30 हजार 95 है. वहीं महिला मतदाता 1 करोड़ 90 लाख 20 हजार 672 हैं. अन्य मतदाता 1044 हैं. प्रदेश में 71 हजार 398 मतदान केंद्र बनाए गए थे.
विधि विशेषज्ञों ने अभिमत दिया कि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव प्रक्रिया संचालित की जा रही थी, जब वो ही समाप्त हो गया तो फिर चुनाव कराने का कोई औचित्य ही नहीं बचा था. अध्यादेश वापस लेने से वह परिसीमन पुन: लागू हो गया. जिसे निरस्त किया गया था. 1200 से ज्यादा पंचायतें पुन: अस्तित्व में आ गईं. ऐसी स्थिति में चुनाव कराया जाना संभव ही नहीं था.
आयोग ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 42 में दी गई शक्ति और मध्य प्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 18 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चुनाव कार्यक्रम और इससे संबंधित सभी कार्यवाहियों को निरस्त कर दिया.
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