‘पहले चड्डीछाप, अब पेटीकोट छाप आ गए’: अमरनाथ का शिवलिंग हिंदू ने नहीं मुस्लिम ने ढूंढा था, दिग्विजय सिंह ने RSS और बीजेपी पर बोला हमला
Digvijay Singh attacks RSS and BJP: मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर आरएसएस और बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पहले चड्डीछाप, अब पेटीकोट छाप जो आ गए हैं। ये धर्म नहीं है। कहते हैं भगवान राम को ले आए। इन्हें धर्म से कुछ लेना-देना नहीं था, इनको मस्जिद तोड़ना था।
दिग्विजय सिंह ने ये कहा कि ‘इस देश की संस्कृति, इतिहास, इस देश के संस्कार को समझो। पहले चड्डीछाप, अब पेटीकोट छाप जो आ गए हैं। ये धर्म नहीं है। कहते हैं 500 साल की गुलामी, भगवान राम को ले आए। अरे नालायकों, तुमसे नीरव मोदी नहीं लाया गया, विजय माल्या नहीं लाया गया, तुम भगवान राम को ले आओगे। कहते थे रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। मस्जिद तोड़कर बनाएंगे। इन्हें धर्म से कुछ लेना-देना नहीं था, इनको मस्जिद तोड़ना था।’
अमरनाथ का शिवलिंग किसी हिन्दू ने नहीं ढूंढा
दिग्विजय सिंह ने कहा कि ‘भगवान बुद्ध ने कहा था कि सत्य, अहिंसा, प्रेम, सद्भाव यही हर धर्म का मूल संदेश है। इसी मूल संदेश को गीता में भी लिखा गया है, अद्वैत में भी इसका उल्लेख है। इस्लाम में भी है, बाइबिल में भी है।
गुरु नानक ने तो हर धर्म के जो अच्छे कवि और प्रचारक थे, उन सब के दोहे गुरु ग्रंथ साहिब में डाले हैं। जो स्वर्ण मंदिर है, उसकी नींव एक मुस्लिम फकीर ने रखी। अमरनाथ का शिवलिंग किसी हिन्दू ने नहीं ढूंढा था, एक मुसलमान ने ढूंढा था।
इनके लिए राम श्रद्धा नहीं, राजनीति का विषय- दिग्विजय
दिग्विजय सिंह ने कहा कि 1925 में आरएसएस का गठन हुआ। राम मंदिर का विषय नहीं था उनके पास। 1950 के दशक में जनसंघ का गठन हुआ, राम मंदिर का विषय नहीं था। 1980 में भाजपा बनी, उसमें राम मंदिर का विषय नहीं था। विश्व हिंदू परिषद का गठन हुआ 1965 में, राम मंदिर का कोई विषय नहीं था।
दिग्विजय ने कहा कि राम मंदिर का विषय तब आया, जब संसद में भारतीय जनता पार्टी के दो सदस्य ही आए। तब भाजपा ने इस मुद्दे को पकड़ा। भगवान राम श्रद्धा का विषय नहीं था उनके लिए। उनके लिए यह राजनीति का विषय था। रथयात्रा शुरू कर दी। देश में ऐसा जहर बोया, पूरे देश में नफरत का एक मुद्दा बनाया।
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