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MP में ट्रांसफॉर्मर की ‘मौत’: ट्रांसफॉर्मर ने पूरे गांव को रुलाया, ट्रैक्टर में रखकर निकाली ‘शवयात्रा’, जानिए क्यों मुंह छुपाते रहे अधिकारी

कटनी। मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बहोरीबंद क्षेत्र के पटना गांव में एक ट्रांसफार्मर की ‘मौत’ ने सभी को रुला दिया. यही कारण है कि सोमवार को गांव के सभी लोग ट्रांसफार्मर पर फूल माला चढ़ाने के लिए बेताब थे. ट्रांसफॉर्मर के अंतिम संस्कार के जुलूस निकाला गया.

विद्युत विभाग की लापरवाही

विद्युत विभाग की लापरवाही

दरअसल, बिजली विभाग की लापरवाही का खामियाजा पटना गांव के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. लोगों के सामने भुखमरी के हालात थे. हर कोई गुस्से में है. ऐसे में पटना के ग्रामीणों ने सोमवार को गांव में ट्रांसफार्मर की अर्थी निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया.

 रोजी रोटी खेती पर निर्भर

रोजी रोटी खेती पर निर्भर

कटनी जिले के गांव पटना के किसानों ने बताया कि गांव में बिजली विभाग की लापरवाही के कारण सिंचाई के लिए बिजली नहीं मिल रही है. गांव में एक हजार वोटर हैं. अधिकांश की रोजी-रोटी खेती पर निर्भर है. समस्या ये है कि गांव पटना में भटवा टोला के पास लगाया गया बिजली विभाग का ट्रांसफॉर्मर लोड नहीं उठा पा रहा है. कुछ ही दिन में जल जाता है। महज 24 घंटे भी ठीक से विद्युत आपूर्ति नहीं हो पाती है.

एक ट्रांसफॉमर निजी काम में लगाया

किसान रमेश पटेल की मानें तो गांव में पहले दो ट्रांसफॉर्मर हुआ करते थे, तब जैसे-तैसे काम चल जाता था, मगर पिछले दिनों विभाग ने एक ट्रांसफॉर्मर उठाकर किसी के निजी काम के लिए लगा दिया. इसके बाद बचा एकमात्र ट्रांसफॉर्मर भी जल गया. पटना के ग्रामीणों की मांग है कि गांव में कम से कम सौ-सौ एचपी के दो ट्रांसफॉर्मर रखे जाए ताकि वे यहां आस-पास के 40 कृषि कनेक्शनों का लोड उठा सकें. गड़बड़ विद्युत आपूर्ति की वजह से गांव में धान की फसल सूख चुकी है जबकि गेहूं की फसल की तो अभी बुवाई भी नहीं पाई.

जाना पड़ता है जबलपुर

जाना पड़ता है जबलपुर

किसान इंदर सिंह पटेल का कहना है कि हमारा गांव एई स्लिमनाबाद के अंतर्गत आता है. उनका कार्यालय हमसे 40 किमी दूर है. जब भी ट्रांसफार्मर जलता है, हम एई स्लीमनाबाद कार्यालय जाते हैं. वहां से हमें जबलपुर भेजा जाता है. गांव से जबलपुर की दूरी करीब 100 किलोमीटर है. ट्रांसफार्मर बदलने के लिए ग्रामीणों को जबलपुर जाना पड़ता है, जिसके लिए करीब तीन हजार रुपये का किराया अपनी जेब से वहन करना पड़ता है और फिर दो हजार रुपये तेल और ट्रांसफार्मर लगाने में खर्च होते हैं.

एई कार्यालय से निराश लौटना पड़ा

गुस्साए ग्रामीणों ने विरोध स्वरूप सोमवार को जले हुए ट्रांसफॉर्मर को ट्रैक्टर ट्रोली में रखकर उसकी अर्थी निकाली और गांव से बहोरीबंद होते हुए बिजली विभाग के एई कार्यालय पहुंचे. यहां अभियंता नहीं मिलने पर ग्रामीणों को देर शाम निराश लौटना पड़ा. अब जबलपुर जाना होगा. किसान उम्मेद पटेल कहते हैं कि विभाग उनकी सुनवाई नहीं कर रहा. हर बार कम क्षमता और घटिया गुणवत्ता का ट्रांसफॉर्मर लगा देता है, जिससे ग्रामीण खासे परेशान हैं. इस संबं​ध में जिला कलेक्टर व जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत कर चुके हैं, मगर समस्या का समाधान नहीं हो रहा।.

ग्रामीणों ने की नारेबाजी

विद्युत सप्लाई को लेकर परेशान ग्रामीणों ने ट्रांसफॉर्मर की शव यात्रा निकालने के दौरान मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. किसानों का कहना है कि चुनाव में ‘कमल का फूल उनकी भूल’ था. स्लीमनाबाद एई सुशांत सोनल कहते हैं कि पटना में ऐसी कोई समस्या नहीं है कि ट्रांसफॉमर बार बार जल जाता है. आज ग्रामीण आए जरूर थे. इस दौरान वे कार्यालय के काम से बाहर थे. कल लाइनमैन को मौके पर भेजकर पूरी रिपोर्ट तैयार करवाएंगे और समस्या का समाधान करेंगे.

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