छत्तीसगढ़स्लाइडर

सिरकट्टी वाले संत का यू टर्न: पहले बोले चुनाव लड़ूंगा, नामांकन भी खरीदा, फिर खा गए पलटी, जानिए अब क्या कह रहे व्यास ?

गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में तरह-तरह की कहानियां सामने आ रही हैं। हाल ही में सिरकट्टी वाले संत ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, लेकिन अब पलटी खा गए। उन्होंने कहा कि वह अब चुनावी राजनीति में नहीं पड़ेंगे। पहले कहा था कि सनातनियों के आग्रह पर वे लड़ने का विचार कर रहे हैं। नामांकन भी खरीदा था।

चुनाव लड़ने से साफ इंकार

सिरकट्टी आश्रम के पीठाधीश संत गोवर्धन शरण व्यास ने अपने चुनाव लड़ने के अटकलों पर विराम लगा दिया है। संत द्वारा प्रेस नोट जारी कर कहा गया है कि आश्रम पर सभी की आस्था और विश्वास है। उनका किसी के प्रति मन में दुराग्रह नहीं है।

ऐसे में वो किसी भी चुनावी राजनीति में नहीं पड़ेंगे। हालांकि यह भी बताया कि आश्रम से जुड़े शुभ चिंतकों ने उनसे आग्रह किया था, लेकिन वे सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिए हैं।

आधे घंटे बाहर इंतजार, फिर मुलाकात

बुधवार की देर शाम संत के आश्रम से यह बात निकल कर आई थी कि संत चुनाव लड़ने का मन बना लिए हैं। खबर प्रकाशित होने के बाद आधी रात से ही बाबा को मनाने का दौर शुरू हो गया था।

सुबह 9 बजे से ही राजिम के भाजपा प्रत्याशी रोहित साहू संत के आश्रम पहुंच गए थे। आधे घंटे बाहर इंतजार के बाद संत उनसे चर्चा के लिए तैयार हुए। दोपहर बाद संत ने प्रेस रिलीज जारी कर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया।

प्रत्याशी से भेंट और प्रेस रिलीज जारी से पहले संत ने कहा था

प्रत्याशी से चर्चा के तुरंत बाद संत ने मीडिया को दिए बयान में कहा था कि राजिम में पार्टी प्रमुख आम नागरिक से राय लिए बगैर ही किसी को भी प्रत्याशी बना कर थोप देते हैं। यह भी बोले की राजिम से साफ सुथरा व्यक्ति कैंडिडेट बने ओर राजिम का प्रतिनिधत्व कर उसका विकास करे।

कई विधानसभा में संत का प्रभाव

बता दें कि राजिम में भाजपा के रोहित साहू के प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पार्टी के कई बड़े चेहरे नाराज चल रहे हैं। मान मन्नौवल के बीच संत की एंट्री ने पार्टी की बीपी हाई कर दिया था।

संत अगर चुनावी मैदान में उतरते तो भाजपा को बड़ा नुकसान होता। संत का गरियाबंद जिले के अलावा धमतरी और महासमुंद के सीटो में भी हिंदू वादी विचारधारा रखने वाले मतदाताओं पर खासा प्रभाव है।

Read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanistan Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS

Show More
Back to top button