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बिंद्रानवागढ़ को कैबिनेट मंत्री का ऑफर ? क्या मान गए बाबा, पुजारी, धुरवा और नाथ, पड़ी फूट पर बंद कमरे में डैमेज कंट्रोल, पढ़िए भीतरखाने की सियासी कहानी

गिरीश जगत, गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के बिंद्रानवागढ़ में बीजेपी के पूर्व विधायक गोवर्धन मांझी को प्रत्याशी बनाने के बाद विधायक डमरूधर पुजारी नाराज चल रहे थे। बाबा उदय नाथ, हलमंत धुरवा की नाराजगी भी जग जाहिर थी। नाराजगी के चलते दावेदार भागीरथी मांझी आप में शामिल हो गए। हालात बिगड़ते देख डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी भाजपा ने पार्टी कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल और संभाग सह प्रभारी रजनीश पाणीग्राही को सौंपी।

दिनभर बिंद्रानवागढ़ में बीता नेताओं का दिन

शुक्रवार को दोनों बड़े नेता राजिम पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय और भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश साहू, मंडल अध्यक्ष गुरु नारायण तिवारी के साथ दिनभर बिंद्रानवागढ़ में रहे। पहले बाबा से मिलने कदली मुड़ा पहुंचे, फिर डमरूधर पुजारी के निवास मुनगा पदर पहुंचे। जहां हलमंत ध्रुवा को भी बुलाया गया था।

आला नेताओं की नाराजगी दूर

प्रदेश के नेताओं ने पुजारी और धुरवा से बंद कमरे में घंटेभर तक चर्चा की। इस दरम्यान भाजपा प्रत्याशी गोवर्धन मांझी भी मौजूद रहे। इस सार्थक मुलाकात के बाद आला नेताओं ने नाराजगी दूर करने के साथ साथ सीट जीतने का दावा भी कर दिया।भाजपा के इस डैमज कंट्रोल के बाद स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भी राहत की सांस ली है।

चाय के टेबल पर बोले बिंद्रानवागढ़ को कैबिनेट मंत्री मिलेगा

राहत भरी सांस लेने के बाद नेताओं की बीच चर्चाओं का दौर जारी रहा। चाय की चुस्की के साथ नेताओं ने कहा कि पिछली सरकार ने गोवर्धन मांझी को संसदीय सचिव का दर्जा दिया था। चुनाव के बाद सरकार बनते ही कैबिनेट मंत्री बनाने का दावा किया।

कांग्रेस में घमासान बाकी

बैठकों के दौर के बाद कांग्रेस ने भी नाम तय कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट में जहां पूर्व प्रत्याशी संजय नेताम को प्रत्याशी का दावा किया गया है, वहीं प्रदेश कार्यालय में 2013 में प्रत्याशी बनाए गए जनक के नाम का जोर है।

कांग्रेस में भी पड़ सकता है फूट

कहा जा रहा है कि टिकट के ऐलान के बाद कांग्रेस में भी फूट पड़ जाएगी, क्योंकि पिछले तीन साल से बिंद्रानवागढ़ में इन दो नेताओं के बीच गुटबाजी देखने को मिली है।ऐसे नाम पर मुहर लगने के बाद भाजपा भी असंतुष्ट नेताओं पर निगाहें गड़ाना शुरू कर देगी। हालांकि सत्ताधारी संगठन में खुलकर बगावती तेवर दिखाने का साहस नेता नहीं जुटा पाते।

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