रानी अवंती बाई के बलिदान स्थल का होगा कायाकल्प: पूर्व CM उमा भारती ने विकासकार्यों का किया भूमिपूजन, जानिए क्या बोलीं ?

डिंडौरी। वीरांगना रानी अवंती बाई की जयंती के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बालापुर में रानी अवंती बाई के बलिदान स्थल पर एक करोड़ रुपये की लागत से संग्रहालय और अन्य विकास कार्यों का भूमिपूजन किया. जिसमें 70 लाख रुपये की लागत से संग्रहालय भवन, पाथवे, शौचालय, पार्किंग विकास, डे बसेरा एवं अन्य उन्नयन कार्य एवं 30 लाख रूपये की लागत से वीरांगना रानी अवंतीबाई के जीवन परिचय पर आधारित प्रदर्शन कार्य, पेंटिंग कार्य, भित्ति चित्र कार्य , साउंड सिस्टम, एक्सटर्नल विद्युतीकरण समेत अन्य कार्य होंगे. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने वीरांगना रानी अवंती बाई की समाधि पर दीप जलाकर पुष्पांजलि अर्पित की.
विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन
पूर्व मुख्यमंत्री ने बलिदान स्थल परिसर में पौधारोपण भी किया. विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया. जिले के प्रसिद्ध गुदुम बाजा नृत्य दल से भी मुलाकात की और उनका उत्साहवर्धन किया.
कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या पूजन कर किया गया
वीरांगना रानी अवंती बाई के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कन्या पूजन कर किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि रानी अवंती बाई का जन्म 16 अगस्त 1831 को ग्राम मनखेड़ी जिला सिवनी में रावजुझार सिंह के यहां हुआ था. उनका विवाह रामगढ़ के राजा लक्ष्मण सिंह के पुत्र कुँवर विक्रमादित्य से हुआ था. कम उम्र में विक्रमादित्य की मृत्यु के बाद रानी अवंती बाई ने रामगढ़ राज्य की बागडोर संभाली.
जब वह अंग्रेजों से घिर गईं तो उन्होंने अपने पेट में चाकू मार लिया
रानी अवंती बाई ने कैप्टन वाडिगटन को दो बार हराया, लेकिन तीसरी लड़ाई में देवहारगढ़ के जंगल में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए वह रामगढ़ की ओर बढ़ी और शाहपुर के विश्राम गृह के पीछे तालाब के पास मंदिर में पूजा करने के बाद बालपुर के पास अंग्रेजों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया, फिर उन्होंने युद्ध किया उसके गौरव के लिए. 20 मार्च, 1858 को बालापुर नदी के पास अपने पेट में छुरा घोंपकर वीरगति को प्राप्त हो गये.
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