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CG BREAKING: इस विधायक का हार्ट अटैक से निधन, काली हुई राजपरिवार की दिवाली, सीएम ने जताया दु:ख

राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जे के खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह का निधन हो गया है. बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात करीब 3 बजे देवव्रत सिंह को दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि हार्ट अटैक की शिकायत के बाद उन्हें सिविल अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में उनकी सांसें थम गईं. राजनांदगांव के सीएमएचओ मिथलेश चौधरी ने विधायक देवव्रत सिंह के निधन की पुष्टि की है. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शोक जताया है, उन्होंने कहा कि राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा.

देवव्रत सिंह खैरागढ़ शाही परिवार के सदस्य थे. उनके निधन की खबर के बाद उनके समर्थकों में शोक की लहर है. उनके निजी आवास पर समर्थकों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है. समर्थकों का कहना है कि इस बार शाही परिवार की दिवाली काली पड़ गई है.

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देवव्रत सिंह, जो लंबे समय तक कांग्रेस में थे, 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सीएम अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे (JCCJ) में शामिल हो गए थे। पार्टी ने उन्हें टिकट भी दिया था. देवव्रत सिंह उन पांच जेसीसीजे लोगों में से एक थे, जिन्होंने विधानसभा चुनाव जीता था. इससे पहले वह कभी खैरागढ़ के विधायक और कभी कांग्रेस के टिकट पर राजनांदगांव के सांसद रह चुके हैं.

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हालांकि पिछले कुछ दिनों से चर्चा थी कि देवव्रत सिंह जेसीसीजे छोड़कर दोबारा कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. बताया जा रहा था कि पिछले कुछ महीनों में वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से भी मिले थे. वह दीपावली पर्व के मद्देनजर अपने आवास पर थे. बुधवार शाम तक उनकी तबीयत ज्यादा खराब नहीं थी, अचानक रात में उनकी तबीयत बिगड़ गई. उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.

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राजनीतिक परिवार, अच्छी छवि
आपको बता दें कि खैरागढ़ शाही परिवार की दूसरी पीढ़ी के राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह के बेटे शिवेंद्र बहादुर सिंह तीन बार राजनांदगांव से सांसद रह चुके हैं. 1998 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसके बाद उन्होंने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस के मोतीलाल वोरा की जीत हुई.

खैरागढ़ शाही परिवार के दूसरे बेटे रविंद्र बहादुर सिंह की पत्नी रानी रश्मिदेवी सिंह 1995 से लगातार चार बार खैरागढ़ से विधायक थीं. उनकी मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र देवव्रत सिंह विधायक बने. तब से वे राजनीतिक करियर में सक्रिय थे. क्षेत्र में देवव्रत की छवि एक अच्छे नेता की थी.

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