MP News: 89 समन्वयकों के लिए विज्ञापन आया, 890 की सूची बनी, प्रक्रिया निरस्त कर ‘अपनों’ को दे दी नौकरी
मध्य प्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मध्यप्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 20 पेसा कानून जिला समन्वयकों और 89 ब्लॉक समन्वयकों की भर्ती की है, जो सवालों के घेरे में है। कहानी ऐसी है कि सरकार ने पहले तो भर्ती का विज्ञापन जारी किया। मेरिट के आधार पर 890 अभ्यर्थियों की सूची बनाई। बाद में वक्त कम होने की बात कहकर प्रक्रिया ही निरस्त कर दी और कथित तौर पर भाजपा और उससे जुड़े संगठनों के कार्यकर्ताओं को नौकरी पर रख लिया।
यह पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। दरअसल, मामला ऐसा है कि पंचायत राज संचालनालय ने अनुसूचित जाति की बहुलता वाले जिलों एवं ब्लॉक में पेसा कोऑर्डिनेटर भर्ती के लिए 2021 में विज्ञापन दिया था। इसे सेडमैप ने जारी किया था। प्रक्रिया पूरी होने के बाद मेरिट लिस्ट में 890 अभ्यर्थियों की सूची बनाई गई। जनवरी 2022 में इन 890 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया। नौ से 11 फरवरी तक साक्षात्कार होने थे। इसके एक दिन पहले यानी आठ फरवरी को पूरी प्रक्रिया ही बिना किसी कारण निरस्त कर दी। किसी तरह की जानकारी भी नहीं दी गई। जब सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों को ब्लॉक और डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर का प्रशिक्षण दिए जाने की बात सामने आई तो अभ्यर्थियों को भर्तियों की जानकारी लगी। अब प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थी खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं।
हां, कभी-कभी जाता हूं शाखा में
अमर उजाला ने इस मामले की तह में जाने के लिए जिला समन्वयक के पद पर भर्ती हुए श्यामलाल डाबर से बात की। उन्होंने बताया कि उन्हें जिला समन्वयक रखा गया है। संघ से जुड़े होने के सवाल पर उन्होंने स्वीकार किया कि वह संघ से जुड़े हैं। कभी-कभी जाते हैं शाखा में। संशय होने पर तत्काल उन्होंने फोन भी काट दिया।
ऐसे हुआ गड़बड़झाला
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को 89 ब्लॉक्स में समन्वयक भर्ती करने थे। पेसा कानून इन्हीं ब्लॉक्स में लागू हुआ है। सेडमैप से पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया। जब अभ्यर्थियों की सूची बन गई तो साक्षात्कार से एक दिन पहले पूरी प्रक्रिया ही निरस्त कर दी गई। एमपीकॉन को 20 जिलों में जिला समन्वयक और 89 ब्लॉक समन्वयक भर्ती करने को कहा गया। पंचायत राज संचालनालय के संचालक अमर पाल सिंह का कहना है कि समय कम था इस वजह से एमपीकॉन से आउटसोर्स भर्ती की है। जब एमपीकॉन से बात की गई तो एमडी के मीटिंग में होने की बात कहकर बताया गया कि आउटसोर्स का काम दूसरी एजेंसियों से किया जाता है। एजेंसी का नाम बताए कहा कि सुनील मार्कंडेय नामक शख्स की सेवाएं ली गई हैं। सुनील मार्कंडेय को फोन लगाया तो उन्होंने अखबार का नाम सुनते ही फोन काट दिया।
जयस और कांग्रेस बनाएंगे इसे मुद्दा
ब्लॉक समन्वयकों की भर्ती का मुद्दा अब कांग्रेस और जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन उठा रहे हैं। जयस के नेता और व्यापमं मामले में व्हिसलब्लोअर आनंद राय का कहना है कि बिना विज्ञापन के सीधे संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं को भर्ती कर लिया गया है। यह सीधे-सीधे घोटाला है। एक भी महिला को भर्ती नहीं किया गया है। अभ्यर्थी ईओडब्ल्यू से शिकायत कर रहे हैं। उन्हें हाईकोर्ट जाने के लिए हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं, कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा का कहना है कि यह भर्ती असंवैधानिक है। बिना विज्ञापन के सीधे भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं को रख लिया है। हम राज्यपाल को ज्ञापन देकर गड़बड़ी की जांच कराने की मांग करेंगे। इसे लेकर प्रदेश स्तर पर आंदोलन भी करेंगे।
पंचायत राज संचालनालय के संचालक अमरपाल सिंह से सीधी बातचीत-
सेडमैप की भर्ती को निरस्त कर एमपीकॉन से भर्ती में गड़बड़ी पर सवाल खड़े हो रहे हैं?
अमरपाल सिंहः भर्ती लंबे समय से चल रही थी। हमें काम जल्दी शुरू करना था। इस वजह से एमपीकॉन से आउटसोर्स से नियुक्ति की गई।
यह भर्ती कब तक रहेगी? क्या आगे इसे बढ़ाया जा सकेगा?
अमरपाल सिंहः एक साल के लिए भर्ती की गई है। यदि जरूरत हुई तो आगे बढ़ा भी सकते हैं।
संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं को भर्ती करने के आरोप लग रहे हैं?
अमरपाल सिंहः हमनें एमपीकॉन से आउटसोर्स पर भर्ती की है।