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Chhindwara: पाताल से प्रकट हुए थे महादेव, महाशिवरात्रि पर 250 साल पुराने पातालेश्वर मंदिर में उमड़े श्रद्धालु

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छिंदवाड़ा जिले में पातालेश्वर मंदिर का इतिहास जितना पुराना है, वहीं मंदिर की भव्यता भी उतनी ही अच्छी है। यहां पर भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग कुंड के अंदर है। आज शनिवार को महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सुबह-सुबह पहुंचकर यहां रुद्राभिषेक किया है।

जिलेवासियों की अटूट आस्था और विश्वास का केंद्र बिंदु पातालेश्वर धाम अनेक अनूठे रहस्यों को समेटे हुए है। ऐसी मान्यता है कि घने जंगल के बीच पाताल से भगवान प्रकट हुए। इस वजह से इस स्थल का नाम पातालेश्वर पड़ा। मंदिर का इतिहास करीब ढाई सौ वर्ष पुराना है। उस समय यहां पर बीहड़ जंगल हुआ करता था। गोस्वामी संप्रदाय के अहमदाबाद के नागा संत गंगागिरी बाबा ने यहां पर धूनी रमाई।

मंदिर से जुड़े सदस्यों के अनुसार, ढाई सौ साल पहले संत गंगागिरी बाबा का यहां पर आगमन हुआ था। रात में उनके सपने में शिवजी ने दर्शन दिए और इस स्थल पर अपनी उपस्थिति का आभास कराया। अगले दिन नियत स्थान पर खुदाई कराने पर भूरे रंग का शिवलिंग प्रकट हुआ। बाबा ने छोटी सी मढ़ैया बनवाकर शिवलिंग की स्थापना कराई। इसके बाद मंदिर में समय-समय पर निर्माण कार्य और जीर्णोद्धार होते रहे। संत गंगागिरी बाबा के बाद उनके वंशजों की ओर से मंदिर में पूजन-पाठ की जिम्मेदारी निभाई जा रही है।

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