MP News: OBC वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करें, सुप्रीम कोर्ट का स्थगन आदेश जारी
सुप्रीम कोर्ट
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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में असिस्टेंट ग्रेड व शीघ्र लेखकों के 1255 पदों पर लागू शत-प्रतिशत कम्युनल आरक्षण लागू किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने MP हाई कोर्ट की युगलपीठ के आदेश पर स्थगन जारी कर दिया। युगलपीठ ने ओबीसी वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का आदेश जारी किया है।
प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में लागू किया 100 प्रतिशत कम्युनल आरक्षण
याचिकाकर्ता पुष्पेंद्र पटेल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में कहा गया है कि 30 मार्च को हाई कोर्ट की ओर से जारी प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में 100 प्रतिशत कम्युनल आरक्षण लागू किया गया है। आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित नहीं किया गया है। इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद तीन अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। युगलपीठ की ओर से दो जनवरी को उक्त याचिका खारिज कर दी गई थी।
हाई कोर्ट की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि विज्ञापन में प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में किया है। स्क्रीनिंग टेस्ट का आयोजन अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए किया गया था। इसलिए उसमें आरक्षण लागू नहीं होता है। युगलपीठ ने हाई कोर्ट की प्रक्रिया को सही करार देते हुए अपने आदेश में कहा है कि चयन प्रक्रिया में आरक्षण व्यवस्था लागू होती है।
रिजल्ट को बताया गया अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने उक्त भर्ती प्रक्रिया में असंवैधानिक रूप से आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 (4) के विरुद्ध रिजल्ट बनाया गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का खुला उल्लंघन है। जो सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की बेंच की ओर से इंद्रा शाहनी बनाम भारत संघ के मामले में 1992 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अनारक्षित वर्ग में सिर्फ मेरिटोरियस चाहें किसी भी वर्ग के हों, को ही चयनित किया जाएगा और उक्त प्रक्रिया परीक्षा के प्रत्येक चरण में लागू की जाएगी।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से भी सात अप्रैल 2022 को पीएससी परीक्षा से संबंधित मामलों में स्पष्ट रूप से व्यवस्था दी गई है कि अनारक्षित वर्ग का जन्म मेरिटोरियस अभ्यर्थियों से ही होता है। यह सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत इंद्रा शाहनी बनाम भारत संघ, सौरभ यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, राजेश कुमार डारिया में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसलों का उल्लंघन है।
हनुमान जाट में मामले में गुजरात एचसी ने भी जारी किया था ऐसा ही आदेश
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि एसएलपी की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर मैंने भी हनुमान जाट में मामले में इसी प्रकार का आदेश जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस पर स्थगन आदेश पारित किया था। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए।